यूपी उपचुनाव में योगी बनाम अखिलेश : दिग्गजों की प्रतिष्ठा का सवाल, जातीय समीकरणों के आईने में कहां किसका दबदबा

दिग्गजों की प्रतिष्ठा का सवाल, जातीय समीकरणों के आईने में कहां किसका दबदबा
UPT | यूपी उपचुनाव में योगी बनाम अखिलेश

Nov 15, 2024 17:48

उत्तर प्रदेश में 20 नवंबर को होने जा रहे उपचुनाव दिग्गजों की प्रतिष्ठा का सवाल बन गए हैं। यह 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद राज्य का पहला बड़ा चुनाव है, जिसमें बीजेपी और समाजवादी पार्टी...

Nov 15, 2024 17:48

Lucknow News : उत्तर प्रदेश में 20 नवंबर को होने जा रहे उपचुनाव दिग्गजों की प्रतिष्ठा का सवाल बन गए हैं। यह 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद राज्य का पहला बड़ा चुनाव है, जिसमें भाजपा और समाजवादी पार्टी दोनों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव स्वयं चुनाव प्रचार की कमान संभाल रहे हैं। दोनों नेता भलीभांति समझते हैं कि इन उपचुनावों के परिणाम उनके राजनीतिक भविष्य को किस हद तक प्रभावित कर सकते हैं।

ब्रांड इमेज का सवाल
प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं। इन उपचुनावों को 2027 के विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा है। हालांकि इन नतीजों का सरकार की स्थिरता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, लेकिन राजनीतिक दृष्टि से यह ब्रांड इमेज को जरूर प्रभावित करेगा। इनमें से 5 सीटें पहले बीजेपी गठबंधन के पास थीं, जबकि 4 सीटें समाजवादी पार्टी के पास थीं। मीरापुर सीट, जो पहले राष्ट्रीय लोकदल के पास थी, अब बीजेपी गठबंधन में शामिल हो गई है। इस तरह मौजूदा गठबंधन के हिसाब से भाजपा खेमे के पास मझवां, फूलपुर, खैर, गाजियाबाद और मीरापुर सीटें थीं। वहीं समाजवादी पार्टी के पास कटेहरी, सीसामऊ, करहल और कुंदरकी विधानसभा सीटें थीं। इन सभी सीटों पर इस बार भी मुख्य मुकाबला इन्हीं दोनों दलों के बीच है।


आइए आपको बताते हैं, इन नौ सीटों पर जातीय और राजनीतिक समीकरण क्या कहानी कहते हैं....

गाजियाबाद शहर विधानसभा 
यह गाजियाबाद जिले की एक शहरी सीट है और यहां भाजपा का किला मजबूत माना जाता है। हालांकि इस बार समाजवादी पार्टी ने जातीय समीकरणों को आगे करते हुए सियासी सरगर्मी बढ़ाई है। इस बार भाजपा ने संजीव शर्मा को टिकट दिया है, तो सपा ने राज जाटव पर भरोसा जताया है। सपा ने सामान्य सीट पर एससी समाज के नेता को चुनावी मैदान में उतारा है। बीएसपी ने परमानंद गर्ग को टिकट दिया है। पिछली बार 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के अतुल गर्ग इस सीट पर बड़े अंतर से जीतकर विधायक बने थे। साल 2024 में अतुल गर्ग गाजियाबाद लोकसभा सीट से सांसद बने तो उपचुनाव हो रहा है।
एससी- 85,000
बनिया- 80,000
मुस्लिम- 60,000
प्रवासी वोट- 60,000 (अलग-अलग राज्यों के लोग)
अति पिछड़ा- 50,000
पंजाबी- 30,000
जाट- 18,000
त्यागी- 15,000
यादव- 10,000
ठाकुर- 8,000

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मीरापुर विधानसभा 
यह पश्चिमी उत्तर प्रदेश की एक महत्वपूर्ण विधानसभा सीट है। यहां राष्ट्रीय लोक दल का दबदबा तो जरूर है लेकिन एकाधिकार नहीं कहा जा सकता। वैसे यह मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र है और 40% मतदाता मुस्लिम हैं लेकिन मुकाबला कतई एकतरफा नहीं है। पिछली बार विधानसभा चुनाव में सपा-आरएलडी गठबंधन के तहत आरएलडी प्रत्याशी चंदन चौहान जीते। 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा और आरएलडी का गठबंधन हुआ तो चंदन चौहान बिजनौर लोकसभा सीट से सांसद बने। इससे खाली मीरापुर सीट पर उपचुनाव हो रहा है। भाजपा और आरएलडी साथ हैं। आरएलडी ने मिथलेश पाल को प्रत्याशी बनाया है। मुकाबले में सपा ने जातीय समीकरणों के हिसाब से पूर्व सांसद कादिर राणा की बहू सुम्बुल राणा को टिकट दिया है। बसपा ने शाहनजर और आजाद समाज पार्टी ने जाहिद हुसैन को टिकट दिया है। मुख्य मुकाबला सपा और भाजपा के बीच होने के आसार हैं।
मुस्लिम- 1,35,000
एससी- 50,000
जाट- 38,000
अति पिछड़ा- 30,000
पाल- 20,000
सैनी- 20,000
गुर्जर- 15,000
चौहान- 7,000

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खैर विधानसभा 

अलीगढ़ जिले की इस विधानसभा सीट का जातीय समीकरण बेहद दिलचस्प है। यह एससी वर्ग के लिए सुरक्षित सीट है। इसके अलावा ब्राह्मणों का भी दबदबा है। कहा जाता है- बाइसी जिसके साथ, सत्ता उसके हाथ। खैर में ब्राह्मणों के 22 गांव एकसाथ हैं, जिसे ब्राह्मणों की बाइसी कहा जाता है। इन 22 गांवों में करीब 40 हजार वोटर हैं। उपचुनाव में सभी दलों की नजर बाइसी पर है। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा के अनूप प्रधान वाल्मीकि ने इस सीट को बहुत बड़े अंतर से जीता था। अनूप जब 2024 में हाथरस लोकसभा सीट से सांसद बने तो यह विधानसभा सीट खाली हो गई। भाजपा ने पूर्व सांसद राजवीर के बेटे सुरेन्द्र दिलेर को टिकट दिया है और सपा ने चारू कैंन को मैदान में उतारा है। बसपा ने डॉ. पहल सिंह को टिकट दिया है। सपा की चारू कैन हैं तो एससी समाज से लेकिन इनकी शादी जिले के एक जाट परिवार में हुई है। मतदाताओं को यह जातीय कॉकटेल कितना प्रभावित करेगा, ये देखना दिलचस्प होगा। 
जाट- 1,15,000
एससी- 82,000
ब्राह्मण- 75,000
पिछड़ी जातियां- 65,000
वैश्य- 15,000
ठाकुर- 14,000
बघेल- 10,000
यादव- 1,000

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कुंदरकी विधानसभा 
मुरादाबाद जिले की यह मुस्लिम बाहुल्य सीट है। यहां 65 फीसदी मुस्लिम मतदाता है। यह दिग्गज नेता मरहूम शफीकुर रहमान बर्क के व्यक्तिगत प्रभाव वाली सीट रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में शफीकुर रहमान बर्क के पोते जियाउर्रहमान बर्क ने सपा के टिकट पर जीत हासिल की, जो साल 2024 के लोकसभा चुनाव में जीतकर संभल लोकसभा सीट से सांसद बन गए। इस वजह से कुंदरकी में विधानसभा उपचुनाव हो रहा है। इस बार भी यहां मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच माना जा रहा है। सपा ने हाजी रिजवान को चुनावी मैदान में उतारा है तो भाजपा ने रामवीर सिंह और बसपा ने रफतउल्ला उर्फ नेता छिद्दा को टिकट दिया है।
मुस्लिम- 2,20,000
अति पिछड़ा- 40,000
एससी- 30,000
सैनी- 25,000
ठाकुर- 20,000
लोधी- 15,000
यादव- 10,000
ब्राह्मण- 5,000
जाट- 4,000

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करहल विधानसभा 
यादव लैंड में मैनपुरी जिले की यह विधानसभा सीट यूं तो समाजवादी पार्टी का गढ़ मानी जाती है। साल 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बड़े अंतर से जीत दर्ज की थी। मगर इस बार मुकाबला यादव बनाम यादव है, वो भी यूपी के चर्चित यादव परिवार से ही जुड़े दोनों यादव। इस बार भाजपा ने मुलायम सिंह के रिश्तेदार अनुजेश यादव को चुनावी मैदान में उतारा है। सपा ने अखिलेश यादव के भतीजे और पूर्व सांसद तेजप्रताप यादव को टिकट दिया है। सियासी अतीत देखें तो करहल के मतदाताओं का मिजाज एक ही नेता पर बार-बार भरोसा जताने का रहा है। यहां वोटर्स ने किसी को दो-तीन बार तो किसी को पांच बार तक विधानसभा तक पहुंचाया है।
यादव- 1,25,000
शाक्य- 35,000
ठाकुर- 30,000
बघेल- 30,000
एससी- 22,000
ब्राह्मण- 16,000
वैश्य- 15,000
लोधी- 15,000

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सीसामऊ विधानसभा
मौजूदा वक्त में यह यूपी की सर्वाधिक चर्चित विधानसभा सीटों में से एक है। इस सीट पर लगभग 45 फीसदी वोटर मुस्लिम हैं। यहां समाजवादी पार्टी कई बार से लगातार जीत हासिल कर रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में सपा के इरफान सोलंकी विधायक बने। कोर्ट से एक मामले में सजा होने के बाद सीट खाली हो गई और उपचुनाव कराया जा रहा है। सपा ने इरफान सोलंकी की पत्नी नसीम सोलंकी को चुनावी मैदान में उतारा है। भाजपा ने सुरेश अवस्थी को और बसपा ने वीरेन्द्र कुमार शुक्ला को टिकट दिया है।
मुस्लिम- 1,11,000
ब्राह्मण- 70,000
एससी- 60,000
कायस्थ- 26,000
अति पिछड़ा- 13,000
ठाकुर- 6,000
सिंधी और पंजाबी- 6,000
यादव- 4,000

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कटेहरी विधानसभा
अयोध्या से सटे अंबेडकरनगर जिले की  विधानसभा सीट पर मुख्य मुकाबला सपा और भाजपा के बीच माना जा रहा है। ध्यान देने वाली बात यह भी है कि भाजपा लंबे समय से इस सीट पर जीत हासिल नहीं कर पाई है। पिछले विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के लालजी वर्मा जीते और फिर साल 2024 के लोकसभा चुनाव में अंबेडकरनगर लोकसभा सीट से जीतकर सांसद बन गए। इस वजह से यहां पर उपचुनाव हो रहा है। सपा ने लालजी वर्मा की पत्नी शोभावती वर्मा और भाजपा ने धर्मराज निषाद को टिकट दिया है। बसपा ने अमित वर्मा को उतारा है। यहां बसपा की पैठ रही है लेकिन इस बार मुख्य मुकाबले में नहीं दिख रही। सपा और भाजपा की नजर बसपा से छिटकते वोट बैंक पर है। ऐसा लग रहा है कि जिसे बसपा का वोट ट्रांसफर होगा, वह सीट पर जीत दर्ज करेगा।
एससी- 87,000
मुस्लिम- 50,000
ब्राह्मण- 45,000
कुर्मी- 42,000
यादव- 29,000
निषाद- 21,000
राजभर- 18,000
ठाकुर- 18,000
बनिया- 13,000
प्रजापति- 11,000
मौर्य- 6,500
पाल- 5,500
विश्वकर्मा- 5,000
नाई- 5,000

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फूलपुर विधानसभा 
प्रयागराज जिले की यह सीट एक जमाने में पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की राजनीतिक कर्मभूमि रही। यहां जीत हार काफी हद तक जातीय समीकरणों को साधने पर निर्भर करती है। हर बार आखिरी पलों तक सस्पेंस बना रहता है। पिछले चुनाव में भाजपा के टिकट पर जीतने वाले प्रवीण पटेल 2024 के लोकसभा चुनाव में सांसद बन गए तो उपचुनाव की नौबत आई। भाजपा ने पूर्व सांसद केसरी देवी पटेल के बेटे दीपक पटेल को जबकि सपा ने मुज्तबा सिद्दीकी को चुनावी मैदान में उतारा है। कह सकते हैं कि यूपी में सबसे कड़ा मुकाबला इसी सीट पर है। 
एससी- 75,000 
यादव- 70,000
पटेल- 60,000
मुस्लिम- 50,000
ब्राह्मण- 50,000
पासी- 35,000
निषाद- 22,000
वैश्य- 16,000
ठाकुर- 15,000

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मझवां विधानसभा 
ये वो क्षेत्र है, जहां कभी कांग्रेस का वर्चस्व था। फिर बसपा का दौर और अब भाजपा का। यहां से अब तक सपा खाता तक नहीं खुल सका है। मिर्जापुर जिले की मझवां विधानसभा सीट पर पिछली बार भाजपा के सहयोगी दल निषाद पार्टी की तरफ से डॉ. विनोद बिंद चुनाव जीते। 2024 के लोकसभा चुनाव में वह भदोही से लोकसभा सांसद बन गए तो यह सीट खाली हुई। इस बार उपचुनाव में सीधा मुकाबला भाजपा-सपा के बीच है, लेकिन बसपा इस सीट पर मजबूती से चुनाव लड़ती दिख रही है। भाजपा ने सुचिस्मिता मौर्य को टिकट दिया है जबकि सपा ने पूर्व सांसद रमेश बिंद की बेटी ज्योति बिंद को। मुकाबला दो देवियों के बीच है। दोनों ही ओबीसी उम्मीदवार। बसपा ने ब्राह्मण चेहरे के तौर पर दीपक तिवारी को उतारा है।
बिंद- 70,000
एससी- 65,000
ब्राह्मण- 65,000
कुशवाहा/मौर्य- 35,000
यादव- 30,000
कुर्मी- 25,000
पाल- 22,000
भूमिहार- 22,000
मुस्लिम- 22,000
ठाकुर- 10,000


(डिस्क्लेमर : इस खबर में दिए गए सभी आंकड़े प्रचलित और अनुमानित हैं। इनका किसी भी प्रकार से इस्तेमाल करने से पहले जांच लें।)

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