अजय राय ने कहा कि पिछले दिनों प्रदेश के विभिन्न जनपदों में हिरासत में हुई हत्याओं के मामले हमारे संज्ञान में आये हैं। फिरोजाबाद में 21 जून को दलित समाज से आने वाले आकाश सिंह जाटव की पुलिस हिरासत में मौत हुई।
पुलिस हिरासत में मौतों के मामले में यूपी नंबर वन : डीजीपी से बोले अजय राय- थाने मानवाधिकार उल्लंघन का केंद्र बने
Jul 17, 2024 01:10
Jul 17, 2024 01:10
- हिरासत में मौतों के मामले में अधिकतर गरीब-कमजोर वर्ग के लोग शिकार
- लूट, हत्या महिला उत्पीड़न की घटनाओं में इजाफा
- पश्चिमी यूपी के अलीगढ़ और शामली में मॉब लंचिंग की घटनाओं ने किया शर्मसार
सुप्रीम कोर्ट ने हिरासत में मौतों को बताया जघन्य अपराध
अजय राय ने कहा है कि पूरे प्रदेश में हिरासत में हो रही मौतें लगातार बढ़ रही हैं। लोकसभा में पेश की गई एक रिपोर्ट के अनुसार देश में हर दिन छह लोगों की मौत पुलिस हिरासत में होती है। इस मामले में उत्तर प्रदेश नंबर वन पर है। 2021-22 में अकेले उत्तर प्रदेश में 501 लोगों की हिरासत में मौत हुई। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने हिरासत में मौतों को जघन्य अपराध करार दिया है। हिरासत में हुई मौतों के मामले में अधिकतर गरीब और कमजोर वर्ग के लोग शिकार होते हैं। अफसोस है कि प्रदेश में पुलिस थाने ही मानवाधिकार उल्लंघन के केंद्र बन गए है।
यूपी में पुलिस कस्टडी में मौत के मामलों का किया जिक्र
अजय राय ने कहा कि पिछले दिनों प्रदेश के विभिन्न जनपदों में हिरासत में हुई हत्याओं के मामले हमारे संज्ञान में आये हैं। फिरोजाबाद में 21 जून को दलित समाज से आने वाले आकाश सिंह जाटव की पुलिस हिरासत में मौत हुई। उनके परिजनों का आरोप है कि आकाश सिंह जाटव को पुलिस ने इतना मारा-पीटा की अस्पताल में उसकी मौत हो गई। जालौन में भी पिछले दिनों राजकुमार नामक व्यक्ति की हिरासत में मौत हुई। जिला चित्रकूट में भी अंशु कुमार नामक व्यक्ति को पुलिस गिरफ्तार करके ले गई और बाद में उसका शव पनहाई रेलवे स्टेशन की पटरी पर मिला।
मृतकों के परिजनों ने पुलिस पर लगाए संगीन आरोप
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि ये घटनाएं बहुत ही गंभीर और चिंताजनक हैं। हिरासत में मारे गए लोगों के परिजनों के आरोप बहुत संगीन और तथ्ययुक्त हैं। पूरे प्रदेश में कानून व्यवस्था धराशायी हुई है। लूट, हत्या महिला उत्पीड़न की घटनाओं में इजाफा हुआ है। पश्चिमी यूपी के अलीगढ़ और शामली में मॉब लंचिंग की घटनाएं शर्मसार करने वाली हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने इन मामलों का हवाला देते हुए पुलिस महानिदेशक से तत्काल प्रभाव से कानून व्यवस्था कायम करने को कहा है। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही दोषी पुलिसकर्मियों पर त्वरित और कठोर कार्रवाई की जाए।
सरकारी आंकड़ों में मौतों की संख्या
दरअसल सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2020-21 में उत्तर प्रदेश में हिरासत में 451 मौतें दर्ज की गईं, जबकि 2021-22 में यह संख्या बढ़कर 501 हो गई। सरकारी आंकड़ों के अनुसार भारत में हिरासत में होने वाली मौतों की कुल संख्या 2020-21 में 1,940 से बढ़कर 2021-22 में 2544 हो गई है। उत्तर प्रदेश के बाद हिरासत में सबसे ज्यादा मौतें पश्चिम बंगाल में हुईं। राज्य में 2020-21 में 185 मौतें और 2021-22 में 257 मौतें दर्ज की गईं।
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