यूपी रेरा ने जारी किए निर्देश : अस्थायी ओसी में दिया जाए स्पष्ट विवरण, टावर्स और ब्लॉक्स के नाम भी लिखना अनिवार्य

अस्थायी ओसी में दिया जाए स्पष्ट विवरण, टावर्स और ब्लॉक्स के नाम भी लिखना अनिवार्य
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Jul 12, 2024 19:09

आंशिक पूर्णता या अधिभोग प्रमाण-पत्र तथा अस्थायी पूर्णता या अधिभोग प्रमाण-पत्र जारी करते समय विकास परियोजनाओं के नामों को अनिवार्य रूप से उल्लेख करने के निर्देश दिए गए हैं। इस आदेश के अनुसार...

Jul 12, 2024 19:09

Short Highlights
  • रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी ने महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है
  • प्रमाण-पत्रों में टावर्स या ब्लॉक्स के नाम स्पष्ट रूप से उल्लेख का निर्देश
Lucknow News : उत्तर प्रदेश रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (उप्र. रेरा) ने औद्योगिक और आवासीय विकास प्राधिकरणों को एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है, जिसमें आंशिक पूर्णता या अधिभोग प्रमाण-पत्र तथा अस्थायी पूर्णता या अधिभोग प्रमाण-पत्र जारी करते समय विकास परियोजनाओं के नामों को अनिवार्य रूप से उल्लेख करने के निर्देश दिए गए हैं। इस आदेश के अनुसार, सभी प्रमाण-पत्रों में उन टावर्स या ब्लॉक्स के नाम स्पष्ट रूप से उल्लेख किए जाने चाहिए, जिनके लिए प्रमाण-पत्र जारी किया जा रहा है। इसके साथ ही, परियोजना के सभी चरणों में सम्मिलित सभी टावर्स और ब्लॉक्स के नाम भी अनिवार्य रूप से प्रमाण-पत्र में शामिल किए जाने चाहिए।

संदेह उत्पन्न होने की स्थिति
रियल एस्टेट नियामकन और विकास प्राधिकरण (रेरा) ने कई मामलों में यह देखा है कि प्रोमोटरों द्वारा जारी किए गए ओसी और सीसी प्रमाण-पत्रों में परियोजना के पंजीकरण के समय उल्लेखित नामों से भिन्न थे। इसका मतलब है कि प्रोमोटर ने पंजीकरण के दौरान उन नामों को जारी किया जो वास्तविक अनुबंध में उल्लेखित नहीं थे। ऐसे मामलों में, आवंटन समय और अधिकृत रजिस्ट्री के समय ग्राहकों के मन में यह अस्पष्टता और संदेह उत्पन्न होते हैं कि उनकी खरीदी और रजिस्ट्री की इकाई या टावर की पूर्णता क्या है।

ब्लॉक्स की जानकारी के अनुसार जारी होंगे प्रमाणपत्र 
उत्तर प्रदेश रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी के अध्यक्ष संजय भूसरेड्डी ने बताया कि ऐसे आंशिक पूर्णता या अधिभोग प्रमाण-पत्रों से प्रमाणित किए जाने पर, आवंटियों की शिकायतों का निर्णय लेते समय उन्हें समस्या का समाधान करने में मुश्किल होती है। इसलिए, उन्होंने प्राधिकरणों को सुझाव दिया है कि प्रोमोटर से पंजीकरण के समय जो नाम, टावर्स/ब्लॉक्स के संबंध में जानकारी प्राप्त की गई थी, उसी के अनुसार प्रमाण-पत्र जारी किए जाएं।

प्राधिकरणों को दी गई सलाह
रियल एस्टेट नियामकन और विकास प्राधिकरण (रेरा) ने प्राधिकरणों को सलाह दी है कि उन्हें परियोजना के मानचित्र की स्वीकृति के साथ आवेदन करते समय उनके प्रोमोटर से पाए गए जानकारी भी जांच लेनी चाहिए। यह जानकारी उस परियोजना के टावर्स और ब्लॉक्स के नामों को समेत करती है, साथ ही उसमें स्थित इकाइयों की संख्या भी शामिल होनी चाहिए। इसके अलावा, परियोजना या उसके टावर्स और ब्लॉक्स के पूर्णता या अधिभोग प्रमाण-पत्र भी उन्हीं नामों के तहत जारी किए जाने चाहिए।

यूपी रेरा ने क्या फैसला लिया
आंशिक प्रमाण-पत्रों में विस्तृत विवरण : प्राधिकरणों को निर्देश दिया गया है कि वे आंशिक पूर्णता या अधिभोग प्रमाण-पत्रों में परियोजना के पूर्ण भाग को स्पष्ट रूप से चिह्नित करें। इसमें पूर्ण हुए टावरों या ब्लॉकों के नाम और परियोजना में शामिल सभी टावरों/ब्लॉकों के नाम शामिल होने चाहिए।
अस्थायी प्रमाण-पत्रों पर रोक : यूपी रेरा ने सक्षम प्राधिकरणों को किसी भी परियोजना के लिए अस्थायी पूर्णता या अधिभोग प्रमाण-पत्र जारी करने से बचने का निर्देश दिया है। ऐसे अस्थायी प्रमाण-पत्र नियमों के अनुरूप नहीं हैं और आवंटियों के लिए हानिकारक हो सकते हैं।
नामों में एकरूपता : प्राधिकरणों को सलाह दी गई है कि वे परियोजना, उसके टावरों या ब्लॉकों के नामों में एकरूपता सुनिश्चित करें। ये नाम रेरा में पंजीकरण के समय प्रोमोटर द्वारा दिए गए नामों के अनुरूप होने चाहिए।
आवंटियों के हितों की रक्षा : इन निर्देशों का उद्देश्य आवंटियों को रजिस्ट्री और कब्जे के समय परियोजना की पूर्णता के बारे में आश्वस्त करना है।

रेरा के चेयरमैन क्या बोले
यूपी रेरा के अध्यक्ष संजय भूसरेड्डी ने कहा कि ये कदम रियल एस्टेट क्षेत्र में मानकीकरण लाने और प्रोमोटरों और आवंटियों के बीच विवादों को कम करने के लिए उठाए गए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सक्षम प्राधिकरणों द्वारा थोड़ी सी अतिरिक्त सतर्कता बरतने से इस समस्या का समाधान आसानी से हो सकता है, जो सभी हितधारकों के लिए लाभकारी होगा। यह पहल यूपी रेरा की ओर से आवंटियों के अधिकारों और हितों की सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे रियल एस्टेट क्षेत्र में पारदर्शिता बढ़ेगी और आवंटियों का विश्वास मजबूत होगा। साथ ही, यह कदम प्रोमोटरों और आवंटियों के बीच विवादों को कम करने में भी मदद करेगा, जिससे समग्र रूप से रियल एस्टेट उद्योग को लाभ होगा। 

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