वर्तमान में पुराने टैरिफ रेगुलेशन के सभी मानक को लेकर बिजली कंपनियों व पावर कॉरपोरेशन ने अपीलेट ट्रिब्यूनल फॉर इलेक्ट्रिसिटी (अपटेल) में चैलेंज किया है। इसमें पांच वर्षों से बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं होने का मामला भी है और मुकदमा चल रहा है। इसलिए किसी भी मानक में कोई बदलाव करना सही नहीं है।
UPPCL : बिजली दरों में वृद्धि और उपभोक्ताओं का 33122 करोड़ सरप्लस खत्म करने की साजिश! नियामक आयोग में विरोध प्रस्ताव दाखिल
Jan 16, 2025 20:03
Jan 16, 2025 20:03
2025 के आधार पर होगा मल्टी ईयर वितरण टैरिफ रिलेशन
मल्टी ईयर टैरिफ रेगुलेशन के खत्म होने के बाद अब वर्तमान में बिजली कंपनियों में जो बिजली दर तय करने का मानक होगा, वह मल्टी ईयर वितरण टैरिफ रिलेशन 2025 के आधार पर होगा, इसके प्रस्तावित ड्राफ्ट के विद्युत नियामक आयोग के जारी करने की जानकारी मिलते ही गुरुवार को उपभोक्ता परिषद ने कड़ा विरोध दर्ज कराया। संगठन ने नियामक आयोग के सामने कई अहम बिंदु रखे हैं। संगठन ने कहा कि उसे जानकारी मिली कि प्रदेश में नई बनने वाली बिजली कंपनियों को लेने के इच्छुक उद्योगपतियों और केंद्र सरकार सहित पावर कारपोरेशन के कुछ उच्चाधिकारी इस रेगुलेशन के ड्राफ्ट को इस प्रकार प्रस्तावित करा रहे हैं, जिससे प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का संवैधानिक तरीके से निकलने वाले सरप्लस माइनस में पहुंच जाए। साथ ही बिजली कंपनियों का बड़ा सरप्लस निकल आए। वहीं आने वाले समय में बिजली कंपनियों को लेने वाले निजी घराने इलेक्ट्रिसिटी रेट में प्रत्येक वर्ष बेतहाशा वृद्धि कराने के लिए नया कानून पहले से ही बनवाने में कामयाब हो जाए।
नियामक आयोग से बिना दबाव काम करने की गुजारिश
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने इस जानकारी के आधार पर विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार व सदस्य संजय कुमार सिंह से मुलाकात कर जनहित विरोध प्रस्ताव दाखिल किया। उन्होंने कहा कि विद्युत नियामक आयोग एक संवैधानिक संस्था है, वह बिना किसी के दबाव में आकर काम करे।
पुराने टैरिफ रेगुलेशन के मानक को अपटेल में चैलेंज
वर्तमान में पुराने टैरिफ रेगुलेशन के सभी मानक को लेकर बिजली कंपनियों व पावर कॉरपोरेशन ने अपीलेट ट्रिब्यूनल फॉर इलेक्ट्रिसिटी (अपटेल) में चैलेंज किया है। इसमें पांच वर्षों से बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं होने का मामला भी है और मुकदमा चल रहा है। इसलिए उनके किसी भी मानक में कोई बदलाव नहीं किया जाए। यह इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर 33122 करोड़ सरप्लस निकल रहा है। इसके आधार पर बिजली दरों में कमी विद्युत नियामक आयोग इसीलिए नहीं करता है, क्योंकि उसका मानना है कि मामला अपटेल ट्रिब्यूनल में चल रहा है। इसलिए कोई बदलाव जनहित में नहीं किया जाना चाहिए।
नियामक आयोग ने दिया आश्वासन, प्रस्तावित कानून आने पर अध्ययन
नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार व सदस्य संजय कुमार सिंह ने उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष को पूरा भरोसा दिया कि उपभोक्ताओं के हितों की अनदेखी नहीं होने दी जाएगी। ड्राफ्ट रेगुलेशन को लेकर उपभोक्ता परिषद को अपनी बात रखने का पूरा मौका दिया जाएगा और उपभोक्ता हित में ही निर्णय किया जाएगा। उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा कि प्रस्तावित कानून आते ही उसका अध्ययन करने के बाद संगठन पूरी निष्ठा के साथ लड़ाई लड़ेगा और उपभोक्ताओं को कोई भी नुकसान नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि देश के निजी घराने व पावर कारपोरेशन के कुछ उच्चाधिकारी जो खेल करने की सोच रहे हैं, वह भूल जाए।
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