उपभोक्ता परिषद ने भी ओटीएस योजना की आड़ में बिजली का बिल नियमित रूप से जमा करने वाले उपभोक्ताओं को निशाना बनाए जाने पर कड़ा विरोध किया है। संगठन ने कहा कि ऐसी शिकायतें सामने आई हैं, जिसमें लोगों ने बताया कि स्कीम में ज्यादा रजिस्ट्रेशन कराने के लिए पूरे इलाके की बिजली काट दी जा रही है।
UPPCL : उपभोक्ता परिषद के विरोध के बाद गांव की जोड़ी गई बिजली, 72 अभियंताओं पर कार्रवाई से प्रबंध निदेशक निशाने पर
Dec 29, 2024 10:13
Dec 29, 2024 10:13
ओटीएस स्कीम की वजह में बिल जमा करने वाले उपभोक्ता परेशान
उपभोक्ता परिषद ने भी ओटीएस योजना की आड़ में बिजली का बिल नियमित रूप से जमा करने वाले उपभोक्ताओं को निशाना बनाए जाने पर कड़ा विरोध किया है। संगठन ने कहा कि ऐसी शिकायतें सामने आई हैं, जिसमें लोगों ने बताया कि स्कीम में ज्यादा रजिस्ट्रेशन कराने के लिए पूरे इलाके की बिजली काट दी जा रही है, जिससे ऐसे उपभोक्ता भी परेशान हो रहे हैं, जो अपना बिल समय पर जमा करते हैं। ये सही तरीका नहीं है। अगर आदर्श उपभोक्ताओं का संरक्षण नहीं किया गया तो उपभोक्ता परिषद उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग में जाकर अपना विरोध दर्ज कराएगा।
उपभोक्ता ने दी गांव की बिजली काटने की जानकारी
संगठन के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने रविवार को बताया कि इस तरह के प्रकरण में उन्हें अधिशासी अभियंता फिरोजाबाद जसराना ने फोन करके बिजली जोड़ने की जानकारी दी है। उपभोक्ता परिषद के वेबिनार में फिरोजाबाद से जुड़े जसराना के बरौली गांव के उपभोक्ता अंकित शर्मा ने जानकारी दी थी कि उनके गांव में 50 प्रतिशत विद्युत उपभोक्ता अपने बिजली का भुगतान कर रहे हैं और 50 फीसदी बिल समय से नहीं जमा कर रहे हैं। ऐसे में क्षेत्रीय अभियंताओं ने पूरे गांव की बिजली ट्रांसफार्मर से काट दी है। उनका कहना है कि जब पूरा गांव अंधेरे में रहेगा, तभी लोग ओटीएस योजना का लाभ लेने आगे आएंगे। उपभोक्ता परिषद के मामला उठाने के बाद अभियंता बैकफुट में आया। उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष के अनुसार, उन्हें बता दिया गया है कि आगे से इस प्रकार की कार्रवाई नहीं की जाए, जिससे उपभोक्ताओं को दिक्कत हो। हर हाल में कानून के दायरे में ही कार्रवाई होनी चाहिए।
यूपीपीसीएल अध्यक्ष के निर्देश पर धड़ाधड़ निलंबन की कार्रवाई
इस बीच उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) प्रबंधन ने एकमुश्त समाधान योजना (ओटीएस) में लापरवाही को लेकर तीन दिनों के भीतर 48 अभियंता निलंबित कर दिए हैं। इसके अलावा 24 से अधिक अभियंताओं को चार्जशीट दी गई है। यूपीपीसीएल के अध्यक्ष डॉ. आशीष कुमार गोयल के निर्देश पर निगमों के प्रबंध निदेशकों ने कार्रवाई को तेज कर दिया है। इसी को लेकर नया विवाद शुरू हो गया है।
अधिकारियों पर सख्ती : निलंबन और चार्जशीट जारी
जानकारी के अनुसार निलंबन की सूची में 1 अधीक्षण अभियंता, 12 अधिशासी अभियंता, 5 सहायक अभियंता और 30 अवर अभियंता शामिल हैं। इसके अलावा संविदा कर्मियों पर भी कार्रवाई की गई है। इनमें 129 लाइनमैन और 85 मीटर रीडरों को भी सेवा से हटाया गया। वहीं 24 से अधिक अभियंताओं को चार्जशीट देकर स्पष्टीकरण मांगा गया है।
नए साल के पहले दिन काली पट्टी बांधकर करेंगे काम
ऊर्जा संगठनों का आरोप है कि निजीकरण के विरोध में चल रहे आंदोलन को कमजोर करने और कर्मचारियों के बीच टकराव का माहौल बनाने की साजिश के तहत ये कार्रवाई की जा रही हैं। प्रदेश में पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के पीपीपी मॉडल के विरोध में अभियंता और कर्मचारी संगठन फिलहाल शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन कर रहे हैं। नए साल की शुरुआत हाथों में काली पट्टी बांधकर की जाएगी। इसके अलावा बिजली पंचायतों केे आयोजन का भी सिलसिला जारी है। आरोप है कि यूपीपीसीएल प्रबंधन इससे खफा होकर जानबूझकर अभियंताओं को निशाना बना रहा है। बड़े पैमाने पर बिजली कर्मचारियों, जूनियर इंजीनियरों और अन्य अभियंताओं के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।
अभियंताओं पर अभी तक की सबसे बड़ी कार्रवाई
यूपी पावर ऑफिसर एसोसिएशन का कहना है कि किसी भी योजना की सफलता अंतिम दिनों में पता चलती है। उपभोक्ताओं को जागरूक करने में ही एक सप्ताह से ज्यादा का समय लगा जाता है। ऐसे में अभियंता कार्मिकों पर अभी से समीक्षा के नाम पर कार्रवाई कतई सहीं है। सभी बिजली कंपनियों में इतिहास की अब तक की सबसे ज्यादा निलंबन की कार्रवाई की गई है। इन अभियंताओं को वर्तमान में फील्ड में तैनाती देकर अच्छे नतीजे हासिल किए जा सकते हैं। यूपीपीसीएल में पहले से ही अभियंताओं की कमी है। ऐसे में अभियंताओं को सस्पेंड करना अपने आप में सवाल खड़े कर रहा है।
यूपीपीसीएल प्रबंधन निलंबन तत्काल ले वापस
एसोसिएशन के कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा, महासचिव अनिल कुमार, सचिव आरपीकेन, संगठन सचिव बिंदा प्रसाद, ट्रांसमिशन अध्यक्ष सुशील कुमार वर्मा, एके प्रभाकर ने कहा कि इस माहौल में नजर आ रहा है कि यूपीपीसीएल प्रबंधन सुधारवादी योजना के पक्ष में नहीं है। उसकी मंशा सिर्फ अभियंताओं का मनोबल तोड़ना है। अगर वास्तव में वह बेहतर नतीजे चाहता है तो सभी अभियंताओं का निलंबन तत्काल वापस होना चाहिए।
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