उपभोक्ता परिषद ने कहा कि पावर कारपोरेशन प्रबंधन सहित सभी बिजली कंपनियों के प्रबंधन स्तर पर मौजूद लोगों को तत्काल स्वत: अपने पद से हट जाना चाहिए या सरकार उन्हें अभिलंब अनियंत्रित स्थानांतरित करें।
UPPCL PPP Model : पैरोकारी करने वाले प्रबंधन को पद से हटाने की मांग, कीर्तिमान का दावा करने वाले ऊर्जा मंत्री निशाने पर
Dec 23, 2024 18:48
Dec 23, 2024 18:48
यूपीपीसीएल ने रिफॉर्म को लेकर अपने हाथ किए खड़े, पीपीपी मॉडल पर ही भरोसा
राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस की पूर्व संध्या पर उपभोक्ता परिषद ने इसे लेकर बिजली कंपनियों व उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) पर करारा हमला बोला है। संगठन ने कहा कि वर्तमान में सभी बिजली कंपनियों के प्रबंधन से उपभोक्ता सेवा में सुधार की कोई भी अपेक्षा करना और अपना हक प्राप्त करना पूरी तरह निराशाजनक हो गया है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यूपीपीसीएल प्रबंधन की तरफ से दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (DVVNL) और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (PuVVNL) को निजी क्षेत्र में दिए जाने के लिए पारित प्रस्ताव में पावर कारपोरेशन ने लिखा है कि विभिन्न बिंदुओं का विश्लेषण करके ये निष्कर्ष निकला है कि बिना किसी वृहद रिफॉर्म के वर्तमान परिस्थितियों में मूलभूत परिवर्तन संभव नहीं है। ऐसे में प्रस्ताव पारित किया गया है कि प्रदेश में खराब प्रदर्शन करने वाली दो बिजली कंपनियों पूर्वांचल व दक्षिणांचल को पीपीपी मॉडल में दिया जाए। यानी इस प्रस्ताव से निजीकरण करना साबित हो गया है।
यूपीपीसीएल का प्रबंधन अपने पदों से स्वयं हटे या सरकार करे तबादला
संगठन ने कहा कि ऐसे में पावर कारपोरेशन प्रबंधन सहित सभी बिजली कंपनियों के प्रबंधन स्तर पर मौजूद लोगों को तत्काल स्वत: अपने पद से हट जाना चाहिए या सरकार उन्हें अभिलंब अनियंत्रित स्थानांतरित करें। जिन अधिकारियों ने उपभोक्ता सेवा और सुधार के लिए स्वत: अपना समर्पण कर दिया गया है और कहा जा रहा है कि अब निजीकरण पर ही सुधार संभव हो पाएगा तो उनसे प्रदेश के 3.45 करोड़ विद्युत उपभोक्ता क्या अपेक्षा करेंगे। संगठन ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि पावर कारपोरेशन प्रबंधन बिजली कंपनियों के प्रबंधन को तत्काल उनके पद से हटाया जाए क्योंकि इन्हों स्वयं मान लिया है कि बिजली कंपनियों में अब सुधार परलिक्षित नहीं हो रहा है, इसलिए पीपीपी मॉडल में दिया जाना जरूरी है। ऐसे में उपभोक्ता वर्तमान में किससे अपेक्षा से अपने हक की बात इन लोगों से करें।
ऊर्जा मंत्री एके शर्मा पर साधा निशाना
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि चाहे वह प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं को मुआवजा कानून का लाभ स्वत: मिलने का मामला हो या फिर 33122 करोड़ सरप्लस के एवज में दरों में अगले पांच वर्षों तक 8 प्रतिशत कमी की बात और उनके लंबित मामले हैं। इन्हें लेकर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने एक बार भी उपभोक्ताओं के हित में कोई भी बैठक नहीं की है और ना ही आदेश पारित किया है, जो बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस की पूर्व संध्या पर उपभोक्ता परिषद प्रदेश ने ऊर्जा मंत्री से सवाल पूछा कि साल भर ऊर्जा मंत्री के ट्वीट में बिजली विभाग में कीर्तिमान स्थापित करने की बात कही गई और साल के अंत में बिजली विभाग को निजी क्षेत्र में देने का प्रस्ताव पारित कर दिया गया। ऐसे में ऊर्जा मंत्री को गंभीरता से सोचना चाहिए कि उन्होंने स्वयं भी मान लिया है कि ऊर्जा क्षेत्र में बिना निजीकरण के सुधार नहीं होगा।
पावर कारपोरेशन ने निजीकरण के पक्ष में दी दलीलें
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा कि यह प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं के लिए शर्मनाक स्थिति है कि पीपीपी मॉडल के तहत निजीकरण का मामला आया तो यह प्रस्ताव पारित किया जाता है कि बिजली कंपनियों में सुधार परलिक्षित नहीं हो रहा है। पावर कारपोरेशन ने निजीकरण को दिए जाने के प्रस्ताव में यह भी कहा है कि उपभोक्ताओं के लगातार गलत विद्युत बिल बनने, ट्रिपिंग, अघोषित कटौती, वोल्टेज विचलन, नए कनेक्शन के समय पर नहीं मिलने और लोड बढ़ाने के लिए आवेदन लंबित रहने आदि समस्याओं की वजह से वर्तमान में विद्युत वितरण निगमों की कार्य प्रणाली में अपेक्षित प्रगति नहीं आ पा रही है। इसलिए इनका पीपीपी मॉडल में दिया जाना जरूरी है। इसलिए सभी को अपने पद से तत्काल इस्तीफा देना जाना चाहिए।
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