UPPCL Privatisation : कनफ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट क्लॉज को हटाने की साजिश! उपभोक्ता परिषद की टेंडर को सार्वजनिक करने की मांग

कनफ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट क्लॉज को हटाने की साजिश! उपभोक्ता परिषद की टेंडर को सार्वजनिक करने की मांग
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Jan 25, 2025 09:32

उपभोक्ता परिषद ने मांग की है कि सबसे पहले अब पावर कारपोरेशन को जिन तीनों कंपनियों ने प्रीपेड कॉन्फ्रेंस में भाग लिया है, उसको सार्वजनिक करना चाहिए कि वह पावर कारपोरेशन या किसी भी बिजली कंपनी में काम कर रही हैं या फिर ऐसा नहीं है।

Jan 25, 2025 09:32

Lucknow News :  प्रदेश में दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (DVVNL) और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (PuVVNL) के निजीकरण के खिलाफ अभियंता और कर्मचारी संगठनों की लड़ाई जारी है। इस बीच उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) की तरफ से प्रस्तावित स्टैंडर्ड बिल्डिंग गाइड लाइन के आधार पर ट्रांजैक्शन एडवाइजर की प्री बोर्ड कांफ्रेंस सवालों के घेरे में है। कानूनी रूप से इसकी वैधता नहीं होने के कारण अफसरों के फैसले पर सवाल उठ रहे हैं। बताया जा रहा है इसमें तीन कंसलटेंट कंपनियां ई एंड वाई, पीडब्लूसी एवं ग्रांट थॉर्नटन (जीटी) ने हिस्सा लेकर कनफ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट क्लास पर चर्चा की है। इसका जाहिर हो गया कि यह सभी कंपनियां कहीं ना कहीं कनफ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट क्लास के दायरे में आ रही हैं।

टेंडर प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव
इससे एक बात स्पष्ट तौर पर सामने आ गई है कि पावर कारपोरेशन या बिजली कंपनियों मे ये तीनों कंसल्टेंट कंपनियां टेंडर में भाग ले रही हैं या काम कर रही हैं। ऐसा इसलिए है कि क्योंकि उत्तर प्रदेश की एनर्जी टास्क फोर्स ने यह व्यवस्था अपने निर्णय में दे रखी है कि यूपीपीसीएल के साथ वर्तमान में कार्यरत कंसल्टेंट्स इस निविदा में भाग लेने के लिए अहर्य नहीं होगी। इस शर्त का उल्लंघन रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (आरएफपी) का उल्लंघन माना जाएगा। 

कनफ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट का गंभीर मामला
उपभोक्ता परिषद ने मांग की है कि सबसे पहले अब पावर कारपोरेशन को जिन तीनों कंपनियों ने प्रीपेड कॉन्फ्रेंस में भाग लिया है, उसको सार्वजनिक करना चाहिए कि वह पावर कारपोरेशन या किसी भी बिजली कंपनी में काम कर रही हैं या फिर ऐसा नहीं है। यदि काम कर रही है तो उन पर क्या निर्णय किया जा रहा है इसको भी सार्वजनिक किया जाना जनहित में होगा। दरअसल उपभोक्ता परिषद के संज्ञान में आया है कि यह सभी तीनों कंपनियां कहीं ना कहीं पावर कारपोरेशन के काम में किसी न किसी रूप में लगी हुई हैं।  यदि ऐसा है तो यह कनफ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट क्लास के दायरे में आता है।

निविदा पोर्टल को सार्वजनिक करने की मांग
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि पूरी टेंडर प्रक्रिया की पारदर्शिता कहीं भी सामने नहीं आ रही है, क्योंकि पावर कारपोरेशन के मन में यदि खोट नहीं है तो उसे पूरी टेंडर प्रक्रिया आम जनता के लिए ओपन करना चाहिए, जिससे ई निविदा पोर्टल पर कोई भी पूरे टेंडर की प्रक्रिया को देख सके, उसके कागजात की छानबीन कर सके। साथ ही वह अपना भी मंतव्य जरूरत पड़ने पर सक्षम प्राधिकरण को भेज सके। क्योंकि यह कोई छोटा मामला नहीं है, इसके सहारे उत्तर प्रदेश के 42 जनपदों को निजीकरण करने का मामला है जो एक गंभीर और संवेदनशील मुद्दा है।

क्लॉज हटाने के मामले में यूपीपीसीएल प्रबंधन दे जवाब
उपभोक्ता परिषद के अनुसार, उसे जानकारी मिली है कि सभी कंसल्टेंट कंपनियां कनफ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट क्लॉज को हटवाने के लिए लगी है, क्योंकि ज्यादातर कंसलटेंट कंपनियां प्रदेश के बिजली क्षेत्र या विद्युत नियामक आयोग में काम कर चुकी हैं या काम कर रही हैं। संगठन ने मांग की है कि ऐसे में पावर कारपोरेशन पारदर्शिता के तहत सभी सवालों का जवाब दें।

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