सपा अध्यक्ष ने तंज कसते हुए कहा कि भाजपाइयों को कर्मचारियों और आम जनता के गुस्से और आक्रोश का भी डर नहीं हैं क्योंकि ये चुनाव वोट से नहीं, खोट से जीतते हैं। जहां जनता सजग होती है और प्रशासन ईमानदार होता है, वहां भाजपा वाले हार जाते हैं।
UPPCL Privatisation: आंदोलन को विपक्ष का समर्थन, अखिलेश यादव ने समझायी क्रोनोलॉजी, बोले- अब पानी के निजीकरण का नंबर
Dec 11, 2024 00:50
Dec 11, 2024 00:50
जनता की जेब खाली करने का कुचक्र
अखिलेश यादव ने मंगलवार को सोशल साइट एक्स पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि क्रोनोलॉजी समझिए :
- पहले भाजपाई बिजली का निजीकरण करेंगे
- फिर भाजपाई बिजली की रेट बढ़ाएंगे
- फिर भाजपाई कर्मचारियों की छंटनी करेंगे
- फिर भाजपाई ठेके पर लोग रखेंगे
- फिर ठेकेदारों से भाजपाई कमीशन लेंगे
- फिर भाजपाई बिल बढ़ाकर जनता का शोषण करेंगे
- फिर भाजपाई बढ़े बिल का हिस्सा बिजली कंपनियों से पिछले दरवाजे से लेंगे
- फिर भाजपाई इस भ्रष्ट कमाई का सरकार बनाने में इस्तेमाल करेंगे
- फिर भाजपाई सरकार बनाकर जनता की जेब खाली करने का यही कुचक्र किसी और रूप में दोहराएंगे…
आम जनता के गुस्से और आक्रोश का भी भाजपा को डर नहीं
उन्होंने कहा कि क्या पता इसके बाद पानी के निजीकरण का नंबर आ जाए। सपा अध्यक्ष ने तंज कसते हुए कहा कि भाजपाइयों को कर्मचारियों और आम जनता के गुस्से और आक्रोश का भी डर नहीं हैं क्योंकि ये चुनाव वोट से नहीं, खोट से जीतते हैं। जहां जनता सजग होती है और प्रशासन ईमानदार होता है, वहां भाजपा वाले हार जाते हैं।
भाजपा ने पैसे का आपस में मिल बांटकर कर लिया डिस्ट्रिब्यूशन
अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपाइयों ने सस्ती और निरंतर सुलभ बिजली के लिए न तो जेनरेशन बढ़ाया है, न ट्रांसमिशन को सुदृढ़ बनाया है और न ही डिस्ट्रिब्यूशन को सुधारा है। इसकी जगह भाजपाइयों ने बिजली जैसी जनता की बुनियादी जरूरत को पैसे 'जेनरेशन' की मशीन मान लिया है, पैसे का 'ट्रांसमिशन' इधर से उधर किया है और पैसे का आपस में मिल बांटकर 'डिस्ट्रिब्यूशन' कर लिया है। अखिलेश यादव ने तंज कसते हुए कहा कि बिजलीकर्मी कहे आज का, नहीं चाहिए भाजपा।
आम जनता पर बढ़ेगा आर्थिक बोझ
इससे पहले कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने आरोप लगाया कि सरकार पर अपनी चहेती बिजली कंपनियों को मुनाफा पहुंचाना चाहती है। इस वजह से दो ऊर्जा निगमों के निजीकरण का निर्णय किया गया है। उन्होंने कहा कि बिजली को निजी हाथों में देने से आम जनता पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा। इससे बिजली की दरें बढ़ेंगी और आम आदमी के लिए इसे वहन करना मुश्किल हो जाएगा। सरकार को जनता के हितों की रक्षा करनी चाहिए, न कि उन्हें मुश्किल में डालना।
आरक्षण पर डाका डालना चाहती है सरकार
वहीं सांसद चंद्रशेखर आजाद भी इस मामले को लेकर सवाल उठा चुके हैं। उन्होंने कहा कि पूरी आशंका है कि इस निजीकरण का मकसद पहले से इन निगमों में कार्यरत अधिकारियों और कर्मचारियों के अधिकारों पर डाका डालना और नई भर्तियों में आरक्षित वर्ग को आरक्षण का लाभ न देना है।
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