उपभोक्ता परिषद ने जो खुलासा किया है, उसके बाद स्थिति बदल गई है। अब इन तमाम बिंदुओं पर उठाए सवालों के मद्देनजर प्रदेश सरकार चौकन्नी हो गई है और फिलहाल मामला अधर में पड़ गया है।
UPPCL PPP Model : आंकड़ों की पोल खुलने से मामला अधर में, मसौदे की सीबीआई जांच की मांग
Dec 21, 2024 19:29
Dec 21, 2024 19:29
गलत आंकड़ों के सहारे निजी घरानों को लाभ पहुंचाने की कोशिश
उपभोक्ता परिषद की तरफ से शनिवार को आयोजित वेबिनार में विभिन्न जनपदों के जुड़े विद्युत उपभोक्ताओं ने इस बात पर खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा कि पावर कारपोरेशन के गलत आंकड़ों के आधार पर उद्योगपतियों को लाभ देने के लिए बनाए गए पीपीपी मॉडल की सच्चाई उपभोक्ता परिषद जगजाहिर कर चुका है। संगठन ने तार्किक आधार पर कानून और नियमों के तहत वित्तीय पैरामीटर पर उसका खुलासा किया, जिसकी वजह से आज पूरी प्रक्रिया लगभग रूक गई है। उपभोक्ता परिषद के सवाल और जारी आंकड़ों पर विधानसभा सभा के शीतकालीन सत्र में भी काफी गहमागहमी रही। इसकी वजह से पूरा मामला मुख्यमंत्री के संज्ञान में आ गया है।
सीबीआई जांच में दोषी होंगे बेनकाब
उपभोक्ता परिषद ने प्रदेश सरकार से मांग उठाई कि एनर्जी टास्क फोर्स में जो भी आंकड़े रखे गए हैं, उससे प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का नुकसान होगा और कहीं न-कहीं निजी घरानों का बड़ा लाभ होता नजर आ रहा है। ऐसे में इसकी सीबीआई जांच कराया जाना बेहद जरूरी है कि आंकड़ों में हेरा फेरी क्यों की गई। साथ ही इसके आधार पर प्रस्ताव क्यों तैयार किया गया, इसके लिए कौन दोषी है।
इन बिंदुओं पर किया गया खेल
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने सभी विद्युत उपभोक्ताओं का आभार व्यक्त करते हुए कहा पहले चरण की लड़ाई उपभोक्ता परिषद ने जीत ली है। पावर कारपोरेशन ने कई मामलों में आंकड़ों में खेल किया। इनमें प्रमुख रूप से कुल संपत्तियों का 30 प्रतिशत नेटवर्थ, पूर्वांचल और दक्षिणांचल बिजली कंपनियों की 80000 करोड़ की परिसंपत्तियों को कम आंकना, थ्रो रेट के आधार पर अधिक एग्रीगेटेड टेक्निकल एंड कॉमर्शियल (एटीएंडसी) हानियां का आकलन करते हुए निजी घरानों को लाभ देना और रिजर्व प्राइज को प्रत्येक कंपनी के स्तर पर 2000 करोड़ रुपये रखना का मामला है। इसके अलावा एनर्जी टास्क फोर्स की बैठक में उपभोक्ताओं के दोनों कंपनियों पर निकल रहे 16000 करोड़ सरप्लस को रिकॉर्ड में नहीं लेने, दोनों निजी घरानों को सरकार की ओर से लगभग 9061 करोड़ सब्सिडी देने और केंद्र सरकार की स्टैंडर्ड बिडिंग गाइडलाइन (SBD) के उल्लंघन का भी मामला है।
सवाल उठने के बाद अधिकारी नया ताना-बाना बुनने में जुटे
इन सभी बिंदुओं पर जमकर खेल किया गया, जिससे निजी घरानों को फायदा पहुंचाने के मकसद से पीपीपी मॉडल के पक्ष में माहौल बनाया जा सके। लेकिन, उपभोक्ता परिषद ने जो खुलासा किया है, उसके बाद स्थिति बदल गई है। अब इन तमाम बिंदुओं पर उठाए सवालों के मद्देनजर प्रदेश सरकार चौकन्नी हो गई है और फिलहाल मामला अधर में पड़ गया है। उपभोक्ता परिषद की लड़ाई रंग लाई है और पावर कारपोरेशन नए सिरे से सुधार कर आगे की प्रक्रिया करने में लग गया है, जिसके लिए उपभोक्ता परिषद पूरी तरह से चौकन्ना है।
ओड़िशा से टाटा पावर का कार्मिक वेबिनार में शामिल, नहीं दे सका वाजिब जवाब
पावर कॉरपोरेशन जिस टाटा पावर ओड़िशा की सफलता के आधार पर पीपीपी मॉडल को आगे बढा रहा है, उस पर फिर एक नया खुलासा हुआ है। उपभोक्ता परिषद की तरफ से आयोजित वेबिनार में ओड़िशा से टाटा पावर के एक कार्मिक ने भाग लेकर नए बिजली कनेक्शन की अधिक दरों पर अपनी सफाई दी। उपभोक्ता परिषद ने जब उसे उपभोक्ता हित में अनेक सवाल किए तो उनके पास उत्तर नहीं था। प्रतिनिधिम केवल विद्युत आपूर्ति बेहतर होने की ही बात करता रहा। उपभोक्ता परिषद ने कहा कि इससे साफ हो गया कि चाहे वह टाटा, अदाणी या कोई अन्य निजी घराना हो, वह उपभोक्ता परिषद की लड़ाई से परेशान है और उसकी जो पोल खुल रही है उससे वह ज्यादा परेशान है।
उपभोक्ता परिषद ने मुखिया को 'अगर' को लेकर दिया जवाब
इस बीच उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष ने विभाग के मुखिया के निजीकरण के विरोध में दिए वाजिब तर्कों पर सवालों उठाने की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि मुखिया हर जगह कह रहे हैं कि कुछ लोग कह रहे हैं कि अगर 115825 करोड़ जो बकाया उपभोक्ताओं पर है, अगर वह वसूल लिया जाए तो 110000 करोड़ का जो घाटा स्वत: समाप्त हो जाएगा और बिजली कंपनियां 5000 करोड़ के फायदे में हो जाएंगी। लेकिन, अगर से क्या होता है। इसे लेकर उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने जवाब दिया कि आप लोग भी तर्क देते हैं कि अगर पीपीपी मॉडल आ जाएगा, तो बिजली क्षेत्र में व्यापक सुधार हो जाएगा। अगर पीपीपी मॉडल आ जाएगा तो लाइन लॉस कम हो जाएगा। अगर पीपीपी मॉडल आएगा तो उपभोक्ता सेवा में सुधार हो जाएगा। उन्होंने कहा कि इसलिए आपका अगर अच्छा है तो हमारा अगर खराब कैसे हो सकता है। वहीं अगर हमारा अगर खराब है तो आपका अगर भी अच्छा नहीं हो सकता।
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