UPPSC के अभ्यर्थियों पर लाठीचार्ज : आयोग और युवाओं के अपने अपने तर्क, जानें क्यों हो रहा फैसले का विरोध...

आयोग और युवाओं के अपने अपने तर्क, जानें क्यों हो रहा फैसले का विरोध...
UPT | UPPSC के अभ्यर्थियों पर लाठीचार्ज

Nov 11, 2024 13:52

उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग (UPPSC) की आगामी पीसीएस और समीक्षा अधिकारी/सहायक समीक्षा अधिकारी (RO/ARO) की परीक्षाओं को अलग-अलग पालियों में आयोजित करने को लेकर...

Nov 11, 2024 13:52

Lucknow News : उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग (UPPSC) की आगामी पीसीएस और समीक्षा अधिकारी/सहायक समीक्षा अधिकारी (RO/ARO) की परीक्षाओं को अलग-अलग पालियों में आयोजित करने को लेकर राज्यभर में जबरदस्त विरोध प्रदर्शन हो रहा है। अभ्यर्थी और छात्र संगठन परीक्षा एक ही पाली में कराने की मांग कर रहे हैं।

अभ्यर्थियों एक ही पाली में परीक्षा की कर रहें मांग
UPPSC द्वारा पीसीएस और RO/ARO की परीक्षा इस बार अलग-अलग पालियों में कराने की योजना से अभ्यर्थी संतुष्ट नहीं हैं। 7 और 8 दिसंबर को पीसीएस की परीक्षा दो पालियों में और 22 और 23 दिसंबर को RO/ARO की परीक्षा तीन पालियों में आयोजित की जाएगी। अभ्यर्थियों का कहना है कि विभिन्न शिफ्टों में परीक्षा आयोजित करने से परिणामों की निष्पक्षता पर असर पड़ सकता है। अभ्यर्थियों का आरोप है कि अलग-अलग शिफ्टों में परीक्षा कराने से उनके स्कोर पर असर पड़ेगा क्योंकि शिफ्ट में छात्रों की संख्या और पेपर के डिफिकल्टी लेवल में असमानता हो सकती है। इसके अलावा पर्सेंटाइल प्रणाली को लेकर भी कई सवाल उठाए जा रहे हैं। अभ्यर्थियों का कहना है कि यदि किसी शिफ्ट में सवाल कठिन थे तो वह शिफ्ट के छात्रों का स्कोर अन्य शिफ्टों के मुकाबले प्रभावित हो सकता है। इसके अलावा कुछ छात्रों का यह भी आरोप है कि आयोग कई पीरियों में परीक्षा कराकर हमारे साथ नइंसाफी करेगा है। आयोग किसी एक पारी का पेपर आसान बना कर सेटिंग के अनुसार अपने जानकार या विषेश छात्रों को परीक्षा कराएगा। जिससे बाकी छात्रों के भविष्य के साथ खुलेआम खिलवाड़ होगा।

भाजपा MLC देवेंद्र सिंह ने लिखी चिट्ठी
इस विरोध प्रदर्शन में सिर्फ अभ्यर्थी ही नहीं, बल्कि सियासी हलकों से भी समर्थन मिल रहा है। भाजपा के एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह ने भी UPPSC को पत्र लिखकर छात्रों की मांग का समर्थन किया है। उन्होंने अपने पत्र में लिखा कि पहले भी आयोग 10 लाख से अधिक अभ्यर्थियों की परीक्षा एक ही पाली में करवा चुका है और इस बार भी कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। एमएलसी देवेंद्र प्रताप ने लिखा कि यदि परीक्षा को अलग-अलग पालियों में कराया गया तो इससे परीक्षा की शुचिता पर असर पड़ सकता है। उनका यह भी कहना था कि आयोग की स्केलिंग प्रक्रिया पर पहले भी सवाल उठ चुके हैं और यदि इस प्रक्रिया को जारी रखा गया तो यह और भी विवादास्पद हो सकता है। इसके साथ ही उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के एक हालिया फैसले का हवाला भी दिया। हालांकि, UPPSC का कहना है कि नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया से मेरिट पर कोई असर नहीं पड़ेगा और यह पूरी तरह से निष्पक्ष और पारदर्शी है। आयोग के मुताबिक, पर्सेंटाइल का तरीका परिणामों की शुचिता बनाए रखने में मदद करेगा।
 
परीक्षा प्रक्रिया में बदलाव का कारण

UPPSC की परीक्षाओं में यह बदलाव पहले से चल रहे विवादों के कारण आया है। इस साल फरवरी में सिपाही भर्ती और RO/ARO भर्ती की परीक्षा के पेपर लीक हो गए थे। जिससे आयोग और सरकार की आलोचना हुई थी। इन घटनाओं के बाद सरकार ने दोनों परीक्षाओं को रद्द कर दिया और शासन स्तर पर एक कमिटी गठित की गई। इस कमिटी ने सिफारिश की थी कि परीक्षा प्रक्रिया को और भी निष्पक्ष बनाने के लिए कुछ बदलाव किए जाएं। कमिटी ने यह सुझाव दिया था कि किसी भी भर्ती परीक्षा में एक पाली में 5 लाख से अधिक अभ्यर्थी न हों। इसके बाद 19 जून को शासनादेश जारी किया गया। जिसके तहत UPPSC ने परीक्षा को अलग-अलग पालियों में करवाने का निर्णय लिया। इस साल UPPSC की पीसीएस परीक्षा में 5.75 लाख और RO/ARO की परीक्षा में 10.76 लाख अभ्यर्थी शामिल हो रहे हैं।

आयोग का क्या कहना है?
UPPSC का कहना है कि नॉर्मलाइजेशन के तहत की जाने वाली स्केलिंग से छात्रों के स्कोर को सही तरीके से परखा जाएगा और परीक्षा की निष्पक्षता पर कोई असर नहीं पड़ेगा। आयोग का दावा है कि यह प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी और निष्पक्ष है और इससे किसी भी छात्र के स्कोर को नकारात्मक रूप से प्रभावित नहीं किया जाएगा। 

क्या बदलाव से होगा समाधान?
वर्तमान स्थिति में UPPSC को अभ्यर्थियों और नेताओं के विरोध का सामना करना पड़ रहा है और यह देखना होगा कि क्या आयोग अपनी परीक्षा प्रक्रिया में कोई बदलाव करता है या नहीं। अगर विरोध बढ़ता है और अभ्यर्थियों के सवालों का संतोषजनक जवाब नहीं मिलता तो यह परीक्षाओं के आयोजन को प्रभावित कर सकता है। फिलहाल आयोग और प्रशासन की तरफ से स्थिति पर निगाह रखी जा रही है और उम्मीद की जा रही है कि मामला शांतिपूर्वक सुलझेगा।

विरोध के बीच सुप्रीम कोर्ट का आदेश
छात्रों के विरोध के बीच 7 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि सरकारी भर्ती की प्रक्रिया शुरू होने के बाद, बीच में सरकार नियमों को नहीं बदल सकती है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया पूरी तरह निष्पक्ष होनी चाहिए. कोर्ट ने ये भी कहा कि भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के बाद अभ्यर्थियों को अप्रत्याशित नियमों का सामना नहीं करना चाहिए।

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