अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि भाजपा के लोग, जनता को रोजी-रोटी के संघर्ष में उलझाए रखने की राजनीति करते हैं, जिससे भाजपाई सांप्रदायिक राजनीति की आड़ में भ्रष्टाचार करते रहें। सालों-साल वैकेंसी या तो निकलती नहीं है या फिर परीक्षा की प्रक्रिया पूरी नहीं होती है।
UPPSC Protest : अखिलेश यादव बोले- 'योगी बनाम प्रतियोगी' छात्र हुआ माहौल! अब क्या सरकार छात्रों के हॉस्टल पर बुलडोजर चलाएगी?
Nov 12, 2024 10:37
Nov 12, 2024 10:37
छात्र और युवा अब सरकार से सीधे पूछ रहे सवाल
सपा अध्यक्ष ने मंगलवार को कहा कि प्रदेश में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियों में लगे छात्र और युवा अब सरकार से सीधे सवाल पूछ रहे हैं। उनकी जुबान पर एक ही बात है-'नौकरी भाजपा के एजेंडे में है ही नहीं।' यह आक्रोश छात्रों और उनके परिवारों में बढ़ता जा रहा है। अखिलेश यादव ने कहा कि 'नहीं चाहिए अनुपयोगी सरकार', 'भाजपा सरकार नहीं धिक्कार है' और 'अयोग्य लोगों का अयोग्य आयोग नहीं चाहिए' जैसे आरोप बताते हैं कि रोजगार और शिक्षा की समस्याओं ने सरकार के प्रति विश्वास को हिलाकर रख दिया है।
छात्रों को पढ़ाई की मेज से उठाकर सड़कों पर लाकर खड़ा कर दिया सरकार ने
अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि भाजपा के लोग, जनता को रोजी-रोटी के संघर्ष में उलझाए रखने की राजनीति करते हैं, जिससे भाजपाई सांप्रदायिक राजनीति की आड़ में भ्रष्टाचार करते रहें। सालों-साल वैकेंसी या तो निकलती नहीं है या फिर परीक्षा की प्रक्रिया पूरी नहीं होती है। भाजपा ने छात्रों को पढ़ाई की मेज से उठाकर सड़कों पर लाकर खड़ा कर दिया है।
प्रतियोगी छात्र और उनके परिवार सरकार के खिलाफ एकजुट
उन्होंने कहा कि छात्रों का कहना है कि सरकार ने नौकरी और रोजगार के मुद्दों को हल करने के बजाय उनके विरोध प्रदर्शन को कुचलने के लिए बल प्रयोग किया। 'लाठी-डंडा चलवाया, नौकरी नहीं जिनका एजेंडा' जैसे नारों से छात्रों की नाराजगी साफ झलकती है। इस आक्रोश ने प्रतियोगी छात्रों को और उनके परिवारों को सरकार के खिलाफ एकजुट कर दिया है।
लोग अब भाजपा के बहलावे-फुसलावे में आने वाले नहीं
सपा अध्क्ष ने कहा कि पढ़े-लिखे मध्यवर्गीय परिवार अब भाजपा के चुनावी वादों और भावनात्मक प्रचार से थक चुके हैं। आक्रोशित अभ्यर्थी और उनके हताश-निराश परिवारवाले अब भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन रहे हैं। नौकरीपेशा, पढ़ा-लिखा मध्यवर्ग अब भावना में बहकर भाजपा के बहलावे-फुसलावे में आने वाला नहीं है। सोशल मीडिया और व्हाट्सएप ग्रुप पर किए जाने वाले प्रचार के जरिए भावनात्मक शोषण से भी जनता अब जागरूक हो गई है। अभिभावकों को भी अब एहसास हो चुका है कि भाजपा की रणनीति केवल सत्ता पाने के लिए थी, न कि युवाओं के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए। अब ये लोग भी भाजपा की नकारात्मक राजनीति के झांसे में आनेवाले नहीं और बांटने वाली सांप्रदायिक राजनीति को नकार के 'जोड़ने वाली सकारात्मक राजनीति’ को गले लगा रहे हैं। अब कोई भाजपाइयों का मानसिक गुलाम बनने को तैयार नहीं हैं।
छात्रों के हौसले ने सरकार को दी चुनौती
अखिलेश यादव ने कहा कि छात्रों के लगातार आंदोलन ने भाजपा के स्थानीय कार्यकर्ताओं और नेताओं को असमंजस में डाल दिया है। जहां कभी पार्टी के झंडे और प्रतीक गर्व से लगाए जाते थे, आज वह गायब हो गए हैं। आंदोलनकारी अब सवाल उठा रहे हैं-'दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी के नेता कहां हैं, जब उन्हें हमारी आवाज में अपनी आवाज मिलानी चाहिए?'
नकारात्मक राजनीति का अंत
सपा अध्यक्ष ने कहा कि युवाओं का मानना है कि जब तक भाजपा सत्ता में है, रोजगार और शिक्षा से जुड़े सुधार संभव नहीं हैं। भाजपा के पतन में ही छात्रों का उत्थान है, यह बयान छात्रों की सोच और उम्मीदों को दर्शाता है। अब युवा भाजपा की नकारात्मक राजनीति से अलग होकर सकारात्मक और एकता पर आधारित राजनीति की ओर बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा की 'बुलडोजर राजनीति' ने आंदोलनकारियों के गुस्से को और भड़का दिया है। छात्रों का सवाल है कि क्या अब सरकार उनके हॉस्टल और लॉज पर भी बुलडोजर चलाएगी? इस समय, भाजपा के झंडे उतर चुके हैं और आंदोलनकारी अपनी आवाज बुलंद कर चुके हैं, जिससे सरकार को अपने रवैये पर पुनर्विचार करना चाहिए।
सकारात्मक राजनीति की ओर झुकाव
अखिलेश यादव ने तंज कसते हुए कहा कि युवाओं का अब स्पष्ट संदेश है कि भाजपा की नकारात्मक राजनीति का समय समाप्त हो गया है। वे अब एक ऐसी राजनीति चाहते हैं जो उनके भविष्य को सुरक्षित रखे और उनके संघर्षों को सुने।
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