राजवीर सिंह के घर में स्थित लॉकर की तलाशी के दौरान विजिलेंस अधिकारियों को 77 लाख रुपये के गहने और नकदी मिले। इसके अलावा कई महत्वपूर्ण दस्तावेज भी बरामद हुए। इनमें से एक दस्तावेज में उनके करीबी से अलगाव की बात दर्ज थी। यह दस्तावेज इस उद्देश्य से बनाया गया था कि अगर कभी उनकी संपत्ति की जांच हो, तो वे अलगाव का हवाला देकर खुद को बचा सकें
करोड़ों की संपत्ति के दस्तावेजों में छिपे राज : UPRNN के पूर्व परियोजना प्रबंधक ने कानून के शिकंजे से बचने को चली चाल
Oct 25, 2024 16:18
Oct 25, 2024 16:18
कंपनी का कराया रजिस्ट्रेशन
जांच के दौरान पता चला कि राजवीर सिंह ने अपने कार्यकाल के दौरान अपने नाम से एक कंपनी का रजिस्ट्रेशन भी करा रखा था। कंपनी के दस्तावेजों में दर्ज टर्नओवर ने विजिलेंस अफसरों को चौंका दिया। राजवीर सिंह ने यह सब कुछ अपनी पहचान छिपाने के लिए किया था ताकि किसी भी जांच में उनके खिलाफ सबूत न मिल सके।
सात महीने की गहन जांच में विजिलेंस को मिली अहम जानकारी
विजिलेंस अधिकारियों ने बताया कि लखनऊ में 2007 से 2011 के दौरान राजवीर सिंह ने अपर परियोजना प्रबंधक रहते हुए करोड़ों की अवैध संपत्ति जुटाई थी। कई शिकायतों के बाद शासन ने उनकी संपत्ति की जांच का आदेश दिया। सात महीने की गहन जांच पड़ताल और प्रमाणों की पुष्टि के बाद, विजिलेंस ने नोएडा और दिल्ली में राजवीर सिंह के पांच ठिकानों पर छापा मारा, जिसमें 100 करोड़ से अधिक की संपत्ति का खुलासा हुआ।
लॉकर से मिले 77 लाख के गहने और नकदी
राजवीर सिंह के घर में स्थित लॉकर की तलाशी के दौरान विजिलेंस अधिकारियों को 77 लाख रुपये के गहने और नकदी मिले। इसके अलावा कई महत्वपूर्ण दस्तावेज भी बरामद हुए। इनमें से एक दस्तावेज में उनके करीबी से अलगाव की बात दर्ज थी। यह दस्तावेज इस उद्देश्य से बनाया गया था कि अगर कभी उनकी संपत्ति की जांच हो, तो वे अलगाव का हवाला देकर खुद को बचा सकें। विजिलेंस अब इस दस्तावेज के आधार पर अन्य संदिग्ध मामलों की भी जांच कर रही है।
बसपा सरकार के समय भी विवादों में आए राजवीर सिंह
यह पहली बार नहीं है जब राजवीर सिंह विवादों में आए हैं। बसपा सरकार के समय हुए अरबों के घोटाले में भी उनका नाम सामने आया था। इस घोटाले में राजवीर सिंह पर आरोप लगाते हुए विजिलेंस ने चार्जशीट दाखिल की थी और उन्हें निलंबित भी कर दिया गया था। हालांकि, बाद में बहाली के बावजूद उन्हें प्रमोशन नहीं दिया गया। कुछ महीने पहले स्मारक घोटाले में भी उनके खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति मिल चुकी है।
विजिलेंस के सामने राजवीर सिंह की चालाकी नाकाम
राजवीर सिंह की चालाकी उनके गुप्त दस्तावेजों के माध्यम से सामने आई, जिनमें उन्होंने झूठी जानकारी देकर खुद को बचाने की कोशिश की। विजिलेंस का मानना है कि यह दस्तावेज उनकी संपत्ति की जांच से बचने के लिए एक योजना का हिस्सा थे। लेकिन, जांच के दौरान राजवीर सिंह की यह चालाकी पकड़ी गई। अब इस मामले में विजिलेंस कई अन्य बिंदुओं पर भी पड़ताल कर रही है।
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