KGMU: ट्रामा सेंटर में बच्चे की मौत के बाद हंगामा, डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप

ट्रामा सेंटर में बच्चे की मौत के बाद हंगामा, डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप
UPT | केजीएमय ट्रामा सेंटर

Jun 28, 2024 19:57

केजीएमय के ट्रामा सेंटर में नौ माह के बच्चे की मौत के बाद परिजनों ने हंगामा किया। परिजनों ने डॉक्टरों पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया है। 

Jun 28, 2024 19:57

Short Highlights
  • परिजनों ने पुलिस से की शिकायत
  • केजीएमयू कराएगा मामले की जांच
Lucknow News: किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के ट्रामा सेंटर में शुक्रवार को नौ माह के बच्चे की मौत के बाद परिजनों ने हंगामा किया। परिजनों ने डॉक्टरों पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया है और मामले की शिकायत पुलिस से की है। वहीं, केजीएमयू ने इस मामले की जांच कराने का भरोसा दिलाया है। 

परिजनों ने की पुलिस से शिकायत
गोरखपुर निवासी मृतक के पिता जितेन्द्र यादव ने बताया कि बच्चे को डायरिया के चलते 14 जून को भर्ती कराया था। रात में बच्चे की तबीयत बिगड़ने पर ड्यूटी पर तैनात डॉक्टरों के पास गया लेकिन किसी ने नहीं सुनी। वार्ड ब्यॉय ने भी कुछ नहीं किया। डॉक्टरों की लापरवाही के कारण उसके बच्चे की मौत हो गई। उसका कहना है कि अब डॉक्टर और स्टाफ नर्स पुलिस से शिकायत करने पर बच्चे के शव को लावारिस में डालने की धमकी दे रहे हैं। फिलहाल, परिजनों ने इस मामले की शिकायत पुलिस से की है। वहीं, केजीएमयू प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह ने कहा कि इस मामले की जांच कराई जाएगी। जांच में अगर लापरवाही सामने आई तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। 

केजीएमयू ने जारी किया बयान 
केजीएमयू ने बयान जारी कर बताया कि नौ माह के बच्चे को 14 जून को केजीएमयू में भर्ती कराया गया था। उसे बुखार, डायरिया, निमोनिया, पैन्सीटोपेनिया के लक्षण थे। बच्चे को मैक्स अस्पताल लखनऊ के पीआईसीयू से केजीएमयू में स्थानांतरित किया गया था। जहां उसे सप्ताह तक भर्ती रखा गया। बच्चा पिछले 2 महीनों से बीमार था। जिसके लिए उसने 3 बार अस्पताल में भर्ती होने सहित कई डॉक्टरों से परामर्श लिया था। बच्चे की सांस संबंधी परेशानी धीरे-धीरे बिगड़ती गई। इसलिए उसे एचएफएनसी सहायता के लिए पीआईसीयू में स्थानांतरित कर दिया गया। निमोनिया की बिगड़ती स्थिति को देखते हुए अधिक बैक्टीरिया को कवर करने के लिए एंटीबायोटिक्स को अपग्रेड किया गया। अगले कुछ दिनों में बच्चे की हालत और भी खराब हो गई। उसे एआरडीएस हो गया। इसके लिए उसे मैकेनिकल वेंटिलेशन पर रखा गया। उाके सेप्टिक शॉक के गंभीर हो जाने के कारण आयनोट्रोप्स जोड़े गए। परिवार को बच्चे की लगातार बिगड़ती हालत के बारे में बताया जाता था। अगले कुछ दिनों में बच्चे के मस्तिष्क और गुर्दे की कार्यप्रणाली भी खराब हो गई। उसने प्रतिक्रिया देना बंद कर दिया। तरल पदार्थ शरीर में जमा होना शुरू हो गया। जिससे पूरे शरीर में सूजन हो गई। बाल चिकित्सा नेफ्रोलॉजी विशेषज्ञ से राय ली गई और उनकी सलाह के बाद गुर्दे की विफलता के प्रबंधन के लिए बच्चे को डायलिसिस पर रखा गया। तमाम कोशिशों के बावजूद बच्चे की हालत लगातार बिगड़ती गई। आज बच्चे को ब्रैडीकार्डिया के बाद कार्डियक अरेस्ट हुआ और उसे मृत घोषित कर दिया गया। 

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