यूपी में लव जिहाद पर विधेयक : मानसून सत्र के पहले दिन सदन में पेश, कड़ी सजा का प्रावधान

मानसून सत्र के पहले दिन सदन में पेश, कड़ी सजा का प्रावधान
UPT | सीएम योगी

Jul 29, 2024 20:57

उत्तर प्रदेश में 'लव जिहाद' के बढ़ते मामलों को लेकर योगी सरकार ने सख्त कदम उठाए हैं। अब 'लव जिहाद' के मामलों में आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है।

Jul 29, 2024 20:57

Lucknow News : उत्तर प्रदेश में 'लव जिहाद' के बढ़ते मामलों को लेकर योगी सरकार ने सख्त कदम उठाए हैं। अब 'लव जिहाद' के मामलों में आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है। इसके साथ ही, धर्म परिवर्तन के लिए फंडिंग पर भी कड़ी सजा का प्रावधान जोड़ा गया है। सोमवार को यूपी की योगी सरकार ने मानसून सत्र के पहले दिन सदन में में विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध (संसोधन) विधेयक पेश किया। इस विधेयक के तहत अपराध का दायरा और सजा दोनों को बढ़ाया गया है, साथ ही फंडिंग और अन्य अपराधों पर नया शिकंजा कसा गया है।

नए कानून के तहत फंडिंग भी अपराध के दायरे में
विधानसभा में पेश किए गए नए विधेयक में विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन को लेकर फंडिंग को भी अपराध के दायरे में शामिल किया गया है। इसमें विदेशी संस्थाओं या किसी भी अवैध संस्था से प्राप्त फंडिंग को भी शामिल किया गया है। अगर कोई धर्म परिवर्तन की मंशा से किसी व्यक्ति को जानमाल का खतरा पैदा करता है, हमला करता है, बल प्रयोग करता है, शादी करने का झूठा वादा करता है या इसके लिए षड्यंत्र करता है, तो उसे आजीवन कारावास और जुर्माना भुगतना होगा। इसके अलावा, कोर्ट पीड़ित के इलाज और पुनर्वास के लिए न्यायोचित धनराशि जुर्माना के रूप में तय कर सकेगी। सरकार का कहना है कि अपराध की संवेदनशीलता, महिलाओं की गरिमा, और समाज के कमजोर वर्गों के अवैध धर्मांतरण को रोकने के लिए सजा और जुर्माने को कड़ा करने की जरूरत है। इसलिए यह विधेयक पेश किया गया है।

कड़ी सजा का प्रावधान
नए विधेयक के तहत, दिव्यांग और मानसिक दुर्बल व्यक्तियों को कपट या बहला-फुसलाकर धर्म बदलवाने पर 5 से 14 साल की जेल और 1 लाख रुपये जुर्माना हो सकता है। अवैध धर्म परिवर्तन के लिए विदेशी फंडिंग प्राप्त करने पर 7 से 14 साल की जेल और 10 लाख रुपये जुर्माना निर्धारित किया गया है। नाबालिगों, महिलाओं, या व्यक्तियों की तस्करी के माध्यम से धर्म परिवर्तन कराने पर 20 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा और जुर्माना अदालत द्वारा तय किया जाएगा।

कोई भी दे सकेगा अवैध धर्मांतरण की सूचना
कानून में एक और बदलाव प्रस्तावित किया गया है, जिसके तहत घटनाओं की सूचना देने वाले लोगों का दायरा बढ़ाया गया है। पहले केवल पीड़ित, उसके माता-पिता, भाई-बहन या दत्तक संबंधी ही अपराध की सूचना दे सकते थे, अब कोई भी व्यक्ति लिखित रूप में पुलिस को सूचना दे सकेगा, और उस पर जांच की जाएगी। इसके अतिरिक्त, सभी अपराधों को गैर-जमानतीय बना दिया गया है और उनका विचारण केवल सेशन कोर्ट में होगा। जमानत के आवेदन पर विचार करते समय लोक अभियोजक को सुनवाई का अवसर देना अनिवार्य होगा।

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