किसानों के संकट को कम करने के लिए प्रदेश के उन क्षेत्रों में जहां कम बारिश की वजह से किसान धान की बुवाई नहीं कर पाए हैं या बाढ़ से उनकी फसलें नष्ट हो गई हैं, वहां सरकार मक्का, बाजरा, ज्वार, दलहन और तिलहन के बीज अनुदान पर प्रदान कर रही है।
UP News : सूखे में किसानों का संकट मोचक बनी योगी सरकार, अनुदान पर दे रही बीज
Jul 27, 2024 15:05
Jul 27, 2024 15:05
- किसानों को हाइब्रिड बीजों पर 50 प्रतिशत अनुदान
- विभागीय बिक्री केंद्रों पर निःशुल्क बीज मिनीकिट
जुलाई में सामान्य से 42 प्रतिशत कम बारिश
इस साल जुलाई में सामान्य से लगभग 42 प्रतिशत कम बारिश हुई है, जिसका प्रभाव खरीफ की मुख्य फसल धान की रोपाई पर पड़ा है। सेंट्रल यूपी और बुंदेलखंड में औसत से काफी कम वर्षा हुई है, इन क्षेत्रों में अब भी 25 से 30 प्रतिशत खेतों में बुवाई बाकी है। मौसम विभाग के अनुसार, जुलाई के शेष दिनों में भी अधिक बारिश की संभावना नहीं है। प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने हाल ही में किसानों को सलाह दी कि वे कम समय में और कम बारिश में होने वाली दूसरी फसलों की ओर ध्यान दें। विकल्प के रूप में, किसान मक्का, बाजरा, ज्वार और दलहन-तिलहन की फसलें बो सकते हैं।
किसानों के लिए सुविधाएं
प्रदेश के सभी 75 जिलों के लिए त्वरित मक्का विकास कार्यक्रम और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत संकर मक्का के बीज पर 50 प्रतिशत अनुदान की व्यवस्था की गई है। मक्का की मांग और प्रति कुंटल उपज दोनों ही अच्छे हैं।
प्रदर्शन के लिए अनुदान
देशी मक्का, संकर मक्का और पॉपकॉर्न मक्का की फसलों पर प्रदर्शन के लिए सरकार प्रति हेक्टेयर 6,000 रुपये, बेबी कॉर्न मक्का पर 40,000 रुपये और स्वीट कॉर्न मक्का पर 50,000 रुपये का अनुदान दे रही है।
हाइब्रिड बीजों पर भी अनुदान
हर ब्लॉक पर मक्का, बाजरा और ज्वार के हाइब्रिड बीजों के स्टॉल लगाए जा रहे हैं, और इन बीजों पर भी 50 प्रतिशत अनुदान किसानों के खातों में भेजा जा रहा है।
मिलेट्स के नि:शुल्क मिनीकिट
सरकार ने सभी ब्लॉकों के विभागीय बिक्री केंद्रों पर मडुआ, सांवा, कोदो और बाजरा के निःशुल्क बीज मिनीकिट भी उपलब्ध कराए हैं। इसके अलावा, दलहन और तिलहन के बीज, जैसे कि उड़द, मूंग, अरहर और तिल के बीज सामान्य वितरण कार्यक्रम के तहत उपलब्ध हैं। इनमें से अधिकांश फसलें कम पानी और कम समय में उगाई जा सकती हैं। मक्का और बाजरा की बाजार में अच्छी मांग है, और दलहन से किसान प्रोटीन युक्त एक अतिरिक्त फसल ले सकते हैं। इन फसलों से भूमि की उर्वरता भी बढ़ती है, जिससे अगली फसल की उपज में सुधार होता है और समय पर रबी की फसलों की बुवाई की जा सकती है।
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