अनूठी पहल : किसानों को पराली के बदले गोवंश खाद दे रही योगी सरकार, अभियान में वाराणसी, बांदा, बदायूं, जालौन, बरेली, अमेठी, सिद्धार्थनगर और बहराइच का रहा उत्कृष्ट प्रदर्शन 

किसानों को पराली के बदले गोवंश खाद दे रही योगी सरकार, अभियान में वाराणसी, बांदा, बदायूं, जालौन, बरेली, अमेठी, सिद्धार्थनगर और बहराइच का रहा उत्कृष्ट प्रदर्शन 
UPT | सांकेतिक फोटो।

Jan 04, 2025 14:57

योगी सरकार ने 'पराली के बदले गोवंश खाद' योजना शुरू की है, जिसका उद्देश्य पराली जलाने की घटनाओं को रोकना और किसानों को लाभ प्रदान करना है। इस योजना के तहत, फसलों की कटाई के बाद पराली एकत्रित करके किसानों को गोवंश खाद दिया जा रहा है, जिससे पर्यावरण की सुरक्षा होती है और किसानों की उत्पादन लागत कम होती है।

Jan 04, 2025 14:57

Lucknow News : योगी सरकार ने किसानों और पर्यावरण के हित में एक अनूठी पहल शुरू की है, जिसे 'पराली के बदले गोवंश खाद' योजना कहा जा रहा है। इस पहल का उद्देश्य पराली जलाने की घटनाओं को रोकना और किसानों को लाभ प्रदान करना है। हर साल, खासकर फसलों की कटाई के बाद, पराली जलाने की समस्या बढ़ जाती थी, जिससे वायु प्रदूषण में भारी वृद्धि होती थी और पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता था। इसके समाधान के लिए योगी सरकार ने 28 अक्टूबर से इस अभिनव अभियान की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य किसानों से पराली एकत्रित करना और उसके बदले उन्हें गोवंश खाद देना था।

यह मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाने में सहायक
इस अभियान के तहत, 2,90,208.16 कुंतल पराली एकत्रित की गई और इसके बदले में किसानों को 1,55,380.25 कुंतल गोवंश खाद वितरित की गई। इस खाद का उपयोग जैविक खेती में किया जा रहा है और यह मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाने में सहायक है। इससे किसानों की उत्पादन लागत घटेगी, क्योंकि जैविक खाद रासायनिक खादों के मुकाबले सस्ती होती है और इसका पर्यावरण पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस अभियान का प्रमुख उद्देश्य पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण को नियंत्रित करना और किसानों को पारंपरिक खेती के मुकाबले जैविक खेती अपनाने के लिए प्रेरित करना है।

प्रदेश के कई जिलों ने किया उत्कृष्ट प्रदर्शन
अभियान के दौरान प्रदेश के कई जिलों ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। इनमें वाराणसी, बांदा, बदायूं, जालौन, बरेली, अमेठी, सिद्धार्थनगर और बहराइच के जिले प्रमुख रहे। इन जिलों में किसानों ने बड़ी संख्या में पराली एकत्रित की और गोवंश खाद प्राप्त किया। इस पहल से न केवल पराली जलाने की समस्या पर अंकुश लगा, बल्कि निराश्रित गोवंश संरक्षण को भी बढ़ावा मिला। गो-आश्रय स्थलों में एकत्रित गोवंश खाद को किसानों तक पहुंचाया गया, जिससे पशुपालन विभाग की कार्यशैली को भी बल मिला।

गोवंश खाद का उपयोग किसानों को रासायनिक खादों से बचाने में मदद कर रहा
इस योजना से जैविक खेती को भी बढ़ावा मिल रहा है। गोवंश खाद का उपयोग किसानों को रासायनिक खादों से बचाने में मदद कर रहा है, जिससे भूमि की गुणवत्ता में सुधार हो रहा है। यह पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ किसानों की आर्थिक स्थिति को भी बेहतर बना रहा है। गोवंश खाद के इस्तेमाल से खेतों की मिट्टी में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्वों की आपूर्ति होती है, जो फसलों की गुणवत्ता और उपज को बेहतर बनाते हैं।

किसानों को गोवंश खाद वितरित करने के साथ-साथ उन्हें जैविक खेती के लाभ के बारे में भी जागरूक किया 
योजना के तहत सरकार ने किसानों को गोवंश खाद वितरित करने के साथ-साथ उन्हें जैविक खेती के लाभ के बारे में भी जागरूक किया। इसके अलावा, यह पहल गोवंशों के संरक्षण के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि गो-आश्रय स्थलों में अधिक से अधिक गोवंशों को संरक्षण मिल रहा है। इससे न केवल पशुपालन विभाग की सक्रियता में वृद्धि हुई है, बल्कि समाज में गोवंशों की महत्ता और उनके संरक्षण के लिए भी जागरूकता फैली है।

यह पूरी तरह से पारदर्शी और टिकाऊ योजना है
इस अभियान का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह पूरी तरह से पारदर्शी और टिकाऊ योजना है। इसके जरिए न केवल पराली जलाने की समस्या का समाधान हो रहा है, बल्कि पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी भी निभाई जा रही है। किसानों को जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित करने से न केवल उनकी उत्पादन लागत घटेगी, बल्कि प्रदेश में कृषि क्षेत्र में हरित क्रांति की दिशा में बड़ा कदम उठाया जाएगा।

यह पहल किसानों, पर्यावरण और समाज के लिए एक सकारात्मक कदम
योगी सरकार की यह पहल किसानों, पर्यावरण और समाज के लिए एक सकारात्मक कदम है। इससे जहां पराली जलाने की समस्या का समाधान हो रहा है, वहीं किसानों को आर्थिक लाभ भी हो रहा है। साथ ही, यह पहल देश के समग्र कृषि क्षेत्र को जैविक खेती की ओर अग्रसर करने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। समाप्ति में, योगी सरकार की 'पराली के बदले गोवंश खाद' योजना एक अनूठा और प्रेरणादायक कदम है, जो न केवल किसानों की आय बढ़ाने, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए एक मील का पत्थर साबित हो रही है। इस पहल से जहां प्रदेश के किसान लाभान्वित हो रहे हैं, वहीं पर्यावरण में भी सुधार हो रहा है, जो भविष्य के लिए एक सकारात्मक संकेत है। 

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