मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों की समृद्धि को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, सरकार कृषि विविधीकरण पर जोर दे रही है...
योगी सरकार योजना : उत्तर प्रदेश में बागवानी को मिलेगा बढ़ावा, रायबरेली में खुलेगा उद्यान महाविद्यालय
Jul 20, 2024 01:50
Jul 20, 2024 01:50
इसी क्रम में कुछ दिन पहले राज्य मंडी परिषद की बैठक में मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए थे कि बागवानी फसलों की गुणवत्तायुक्त पौधरोपण के लिए प्रदेश के चारों कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालयों में टिशू कल्चर प्रयोगशालाएं स्थापित की जाएं। इसके लिए धनराशि की व्यवस्था मंडी परिषद करेगी। इसी तरह रायबरेली में भी एक औद्यानिकी महाविद्यालय की स्थापना की जाए।
उद्यान महाविद्यालय के लिए जमीन चिन्हित
विभागीय मंत्री दिनेश सिंह ने बताया कि उद्यान महाविद्यालय के लिए रायबरेली के हरचरनपुर के पडेरा गांव में जमीन चिन्हित की जा चुकी है। कृषि विभाग इसे उद्यान विभाग को ट्रांसफर भी कर चुका है। पहले चरण के काम के लिए पैसा भी रिलीज किया जा चुका है। इसमें डिग्री कोर्स के साथ अल्पकालीन प्रशिक्षण के कोर्स भी चलेंगे। उल्लेखनीय है कि योगी सरकार के लगातार प्रयास के नाते यहां के किसानों किसानों के लिए फलों एवं सब्जियों की खेती संभावनाओं की खेती बन रही है। सरकार की इस नई पहल से इस क्षेत्र की संभावनाएं और परवान चढ़ेगी।
फलों और सब्जियों की खेती का रकबा बढ़ा
2023 की कृषि वानिकी रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश में फल और सब्जी उत्पादन का हिस्सा पिछले दस वर्षों में उल्लेखनीय रूप से बढ़ा है। राज्य की हिस्सेदारी 7.2% से बढ़कर 9.2% हो गई है। इसके साथ ही, इस क्षेत्र से प्राप्त सकल मूल्य उत्पादन (जीवीओ) में भी महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है, जो 20,600 करोड़ रुपये से बढ़कर 38,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। इसमें योगी सरकार द्वारा कृषि विविधीकरण एवं बाजार की मांग के अनुरूप खेती करने की अपील, सेंटर ऑफ एक्सीलेंस एवं मिनी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में गुणवत्तायुक्त पौधे तैयार कर उन्हें न्यूनतम दरों पर किसानों को उपलब्ध कराना, संरक्षित तापमान एवं आर्द्रता को नियंत्रित कर संरक्षित खेती को बढ़ावा देना तथा मंडियों का आधुनिकीकरण आदि का महत्वपूर्ण योगदान है।
हर जिले में बनेंगे सेंटर
मालूम हो कि फल एवं सब्जियों (शाकभाजी) की खेती और इनका प्रसंस्करण व्यापक संभावनाओं का क्षेत्र है। इन्हीं संभावनाओं के मद्देनजर योगी सरकार अपने पहले कार्यकाल से ही लगातार इनकी खेती को हर संभव प्रोत्साहन दे रही है। करीब दो साल पहले लगातार दूसरी बार योगी बनने के बाद ही अगले 5 साल के लिए इनकी खेती के क्षेत्रफल में विस्तार, उपज में वृद्धि और प्रसंस्करण के बाबत महत्वाकांक्षी लक्ष्य भी विभाग के सामने रख दिया गया था। उसी के अनुरूप काम भी हो रहा है।
2027 तक बागवानी फसलों को 16 फीसद करने का लक्ष्य
लक्ष्य के अनुसार वर्ष 2027 तक बागवानी फसलों का क्षेत्र 11.6 प्रतिशत से बढ़ाकर 16 प्रतिशत तथा खाद्य प्रसंस्करण का क्षेत्र 6 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत करना है। इसके लिए स्थापित की जाने वाली प्रसंस्करण इकाइयों के लिए बड़े पैमाने पर कच्चे माल के रूप में फलों एवं सब्जियों की आवश्यकता होगी।
2027 तक हर जिले में उपलब्ध होगी सुविधाएं
बागवानी क्षेत्र में निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने में उच्च गुणवत्ता वाले रोपण सामग्री (पौधे और बीज) की अहम भूमिका है। इसे ध्यान में रखते हुए, सरकार ने एक महत्वाकांक्षी योजना शुरू की है। इस योजना के तहत, प्रत्येक जिले में एक उत्कृष्टता केंद्र, लघु उत्कृष्टता केंद्र या हाई-टेक नर्सरी स्थापित की जाएगी। यह परियोजना पहले से ही प्रगति पर है, और सरकार का लक्ष्य है कि 2027 तक देश के हर जिले में इस प्रकार की अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हों। केंद्रों का उद्देश्य किसानों को उच्च गुणवत्ता वाली रोपण सामग्री प्रदान करना है, जो बदले में बागवानी उत्पादन और गुणवत्ता में वृद्धि करेगा।
सरकार दे रही प्रोत्साहन
पिछले 7 वर्षों में, सरकारी प्रोत्साहन और क्षेत्र की बढ़ती संभावनाओं के कारण, फल और सब्जी उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। खेती का क्षेत्रफल 1.01 लाख हेक्टेयर से अधिक बढ़ा है, जबकि उपज में 0.7 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है। इसके अतिरिक्त, किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले पौधे उपलब्ध कराने के लिए, बस्ती में फलों के लिए और कन्नौज में सब्जियों के लिए इंडो-इजराइल सेंटर फॉर एक्सीलेंस की स्थापना की गई है।
संरक्षित खेती को बढ़ावा देगी सरकार
इंडो-इजराइल तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। नमी और तापमान को नियंत्रित किया जाएगा। बेमौसम गुणवत्तापूर्ण पौध और सब्जियां उगाने में मदद जाएगी। संरक्षित खेती को बढ़ावा देने का काम लगातार जारी है।
क्या कहते हैं कृषि वैज्ञानिक
उत्तर प्रदेश में फलों, सब्जियों और मसालों की खेती करने वाले किसानों की आय बढ़ाने का ये सबसे प्रभावी तरीका है। उत्तर प्रदेश में 9 अलग-अलग कृषि जलवायु क्षेत्र हैं, जो विभिन्न प्रकार के फलों, सब्जियों और फूलों की खेती के लिए उपयुक्त हैं। इस प्रयास में लघु और सीमांत किसानों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी, जो कुल किसानों का लगभग 90% हिस्सा हैं। ये किसान आमतौर पर धान, गेहूं और गन्ने जैसी परंपरागत फसलों की खेती करते हैं। सरकार की योजना के अनुसार इन किसानों की आय बढ़ाने के लिए, उन्हें फलों, सब्जियों और फूलों की खेती की ओर प्रोत्साहित करना आवश्यक होगा।
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