Baghpat Lok Sabha Election : बागपत लोकसभा सीट : कभी चेहरे को देते थे तरजीह अब पार्टी पर मतदाताओं को अधिक भरोसा

बागपत लोकसभा सीट : कभी चेहरे को देते थे तरजीह अब पार्टी पर मतदाताओं को अधिक भरोसा
UPT | बागपत लोकसभा सीट चुनाव।

Mar 22, 2024 10:07

वक्त के साथ बागपत के मतदाताओं का भी मिजाज बदलता चला गया। आज बागपत का मतदाता चेहरा और नाम नहीं बल्कि पार्टी के नाम पर मतदान...

Mar 22, 2024 10:07

Short Highlights
  •  बागपत से पहली बार 1977 में चुनाव जीते थे चौधरी चरण सिंह
  • अधिकतर बार चौधरी चरण सिंह व चौधरी अजित सिंह की पार्टी बदलती रही 
  • चेहरा और नाम देखकर वोट करते थे बगापत सीट के मतदाता  
Baghpat Lok Sabha : पश्चिम यूपी की बागपत लोकसभा सीट। जहां पर कभी चेहरा और नाम पर चुनाव होता था। चौधरी चरण सिंह और चौधरी अजित सिंह दो नाम और चेहरे ऐसे रहे। जिनको पार्टी या दल का कोई प्रभाव नहीं पड़ता था। बागपत के वोटरों का मिजाज कुछ ऐसा था कि इनके नाम को सुनकर ही वोट डाल दिया जाता था। लेकिन वक्त के साथ बागपत के मतदाताओं का भी मिजाज बदलता चला गया। आज बागपत का मतदाता चेहरा और नाम नहीं बल्कि पार्टी के नाम पर मतदान करता है। पिछले दो चुनाव से बागपत सीट पर भाजपा का कब्जा रहा है। कभी रालोद को पसंद करने वाले बागपत के मतदाताओं को अब भगवा रंग अधिक पसंद आ रहा है।  

1989 में बेटे ने जनता दल से किस्मत आजमाई 
बागपत सीट पर 1989 में चौधरी चरण सिंह के बेटे चौधरी अजित सिंह ने जनता दल से किस्मत आजमाई और उनको 69 प्रतिशत वोट मिले थे। चौधरी अजित सिंह ने 1991 में भी जनता दल से चुनाव में उतरकर करीब 60 प्रतिशत वोट लेकर जीत हासिल की थी। 1996 में कांग्रेस से अजित सिंह ने चुनाव लड़ा और 52 प्रतिशत वोट मिलने पर जीते तो बाकी वोट अन्य 29 प्रत्याशियों के पास गया।

पार्टी बदलती रही लेकिन वोटरों को पसंद आया चौधरी का चेहरा
अधिकतर चुनावों में चौधरी चरण सिंह व चौधरी अजित सिंह की पार्टी बदलती रही और उनके सामने हमेशा कांग्रेस के टिकट पर प्रत्याशियों के चेहरे बदले। इसके इसके बावजूद वोटरों ने चरण सिंह और अजित सिंह का चेहरा देखकर वोट किया। 1999 से 2009 तक यहां अपनी पार्टी बनाकर चुनावी मैदान में उतरने पर अजित सिंह को जीत मिलती रही।

पिछले चुनावों में वोटरों का बदला मिजाज
बागपत में 2012 के विधानसभा चुनाव से वोटरों का मिजाज बदलना शुरू हुआ। मतदाताओं ने पहले अधिकतर तीनों विधानसभा सीटों पर रालोद के विधायक बनाए। लेकिन 2012 में पहली बार दो सीटों बागपत व बड़ौत पर बसपा के विधायक चुनाव जीते और रालोद एक सीट छपरौली तक सीमित होकर रह गई। 

2014 के लोकसभा में भाजपा को बंपर वोट 
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में चेहरे की जगह पार्टी को तरजीह देते हुए बागपत के मतदाताओं ने भाजपा के पक्ष में ईवीएम का बटन दबाया। जिसमें डॉ. सत्यपाल सिंह सांसद बने। इस तरह ही 2017 के विधानसभा चुनाव में दो सीटों बागपत व बड़ौत पर भाजपा के विधायक बने और रालोद फिर छपरौली तक सिमट गया। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के नाम पर डॉ. सत्यपाल सिंह को खूब वोट मिला।
 

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