क्रीमीलेयर आरक्षण के फैसले के खिलाफ देशभर में विभिन्न संगठनों ने बुधवार 21 अगस्त को "भारत बंद" का आह्वान किया है। उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में इसका असर देखने को मिल रहा...
Bharat Bandh : बुलंदशहर में दिखा भारत बंद आह्वान का असर, कलेक्ट्रेट के बाहर पहुंचे सैकड़ों प्रदर्शनकारी
Aug 21, 2024 20:57
Aug 21, 2024 20:57
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जिला पुलिस और प्रशासन पूरी तरह सतर्क
सपा, असपा और सपा के लोग भारत बंद में शामिल हुए हैं। बुलन्दशहर में हज़ारों की भीड़ का सड़कों पर कब्ज़ा देखने को मिल रहा है। लोग कलक्ट्रेट के बाहर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं ,लोगों को नियंत्रित करने के लिए पीएसी ,पुलिस बल तैनात है। अनुसूचित जाति और जनजाति संगठन, बसपा, असपा, सपा के आरक्षण को लेकर भारत बंद के आह्वान पर जिला पुलिस और प्रशासन पूरी तरह सतर्क है।
Bulandshahr : बुलंदशहर में भी दिखा भारत बंद आह्वान का असर। कालाआम पर जमा होकर प्रदर्शन करते हुए कलेक्ट्रेट के गेट पर पहुंचे सैकड़ों प्रदर्शनकारी। देशभर के कई दलित संगठन और कई राजनीतिक पार्टियों ने किया बंद का समर्थन।#भारत_बंद #BharatBandh #21_अगस्त_भारत_बंद_रहेगा… pic.twitter.com/UHdAYG9uy5
— Uttar Pradesh Times (@UPTimesLive) August 21, 2024
जिले में इन जगहों पर फोर्स तैनात
एसएसपी श्लोक कुमार ने थाना प्रभारियों को शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए नियमित गश्त और हर घटना को गंभीरता से लेने का निर्देश दिया है। जिले के प्रमुख इलाकों, चौराहों, और मार्गों पर पुलिस बल की तैनाती की गई है। पुलिस अधिकारी और उनकी टीम लगातार गश्त कर रहे हैं। नगर क्षेत्र में अंसारी रोड, कालाआम चौक, बूरा बाजार सहित अन्य स्थानों पर पुलिस बल मौजूद है। कालाआम चौराहा स्थित राजा बाबू पार्क पर आजाद समाज पार्टी के कार्यकर्ताओं ने धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है, जिसकी अगुवाई असपा के प्रदेश सचिव वीर सिंह गौतम कर रहे हैं।
भारत बंद का आह्वान
क्रीमीलेयर आरक्षण के फैसले को चुनौती देने के लिए भीम आर्मी, बहुजन समाज पार्टी (बसपा), आजाद समाज पार्टी और अन्य दलित संगठनों ने राष्ट्रव्यापी भारत बंद का आह्वान किया है। इन संगठनों का कहना है कि यह फैसला दलितों और आदिवासियों के अधिकारों पर गंभीर प्रहार है और इसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए।
7 जजों की संविधान पीठ ने सुनाया फैसला
1 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने एससी एसटी के आरक्षण को लेकर फैसला सुनाया था। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली 7 जजों की संविधान पीठ ने 6:1 के बहुमत से यह फैसला दिया था कि राज्य सरकारों को एससी एसटी के भीतर उप-वर्गीकरण करने का संवैधानिक अधिकार है। इससे दलित और आदिवासी समुदायों के भीतर आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े तबकों को लाभ मिल सकेगा।
उप-वर्गीकरण पर विवाद
हालांकि, इस फैसले को दलित और आदिवासी संगठनों ने असमानता को बढ़ावा देने और समुदाय के भीतर विभाजन पैदा करने वाला बताया है। उनका कहना है कि यह फैसला संविधान और कानून के मूल मक्सद के खिलाफ है और तुरंत वापस लिया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने देशभर में दलित और आदिवासी समुदायों में व्यापक आक्रोश पैदा किया है। भीम आर्मी और अन्य संगठनों द्वारा किए गए भारत बंद का आह्वान इसी आक्रोश का परिणाम है। यह मामला सामाजिक न्याय और समानता के मुद्दों पर एक बड़ा संघर्ष है।
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