बुलंदशहर से बड़ी खबर : सीबीआई पूछताछ के बाद डाककर्मी ने जान दी, इस चर्चित केस जांच से जुड़ा है मामला

सीबीआई पूछताछ के बाद डाककर्मी ने जान दी, इस चर्चित केस जांच से जुड़ा है मामला
UPT | मृतक राहुल कुमार

Dec 22, 2024 13:42

बुलंदशहर से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां एक दलित पोस्टमैन ने खुदखुशी कर ली। बताया जा रहा है कि उप डाकपाल राहुल कुमार (28), जो ढाई करोड़ के गबन के आरोप में पिछले एक महीने से निलंबित थे...

Dec 22, 2024 13:42

Bulandshahr News : बुलंदशहर से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां एक दलित पोस्टमैन ने खुदखुशी कर ली। बताया जा रहा है कि उप डाकपाल राहुल कुमार (28), जो ढाई करोड़ के गबन के आरोप में पिछले एक महीने से निलंबित थे, उन्होंने रविवार सुबह रेलवे ट्रैक पर कूदकर अपनी जान दे दी। शनिवार को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने उनकी 6 घंटे लंबी पूछताछ की थी, जिसके बाद वह घर लौटे थे।

बुलंदशहर से ले गए गाजियाबाद 
राहुल ने आत्महत्या से पहले एक सुसाइड नोट लिखा, जिसे उन्होंने अपनी वॉट्सऐप स्टेटस पर भी साझा किया। अपने नोट में उन्होंने खुद को निर्दोष बताते हुए सीनियर अफसरों पर ये आरोप लगाया कि उनका महिलाओं से संबंध था, जिसका पता उन्हें चल गया था। इसके चलते वो राहुल से नाराज थे और उन्हें जातिसूचक शब्द कहते हुए गालियां दी गईं। दरअसल, शनिवार को सीबीआई ने राहुल कुमार को पूछताछ के लिए बुलंदशहर से उठाया और गाजियाबाद ले गई, जहां उनसे 6 घंटे तक लंबी पूछताछ की गई। इसके बाद, टीम उन्हें लखावटी कार्यालय ले आई और पूछताछ के बाद छोड़ दिया गया।



सुबह दूध लेने निकले थे घर से
वहीं परिजनों की मानें तो राहुल घर आने के बाद काफी परेशान थे। उन्होंने रात में खाना खाया और सो गए। इसके बाद, सुबह वो दूध लेने घर से निकले। दूध वाले के घर डब्बा रखकर, गिरधारी नगर के रेलवे क्रॉसिंग पर जाकर उन्होंने आत्महत्या कर ली। इसकी सूचना रेलकर्मी ने पुलिक को दी।

सुसाइड नोट में क्या लिखा
उप डाकपाल राहुल कुमार ने सुसाइड नोट में लिखा कि 26 नवंबर को मंडलीय कार्यालय की टीम ने उन्हें निलंबित कर दिया। 23 नवंबर तक, 5599 रजिस्ट्री में से 3600 लंबित थीं, जबकि 1766 रजिस्ट्री डिस्पैच हो चुकी थीं। हालांकि, डाक टिकट राजेश नामक व्यक्ति ने लगाए थे, फिर भी आरोप उन पर मढ़ दिए गए। राजेश द्वारा खरीदी गई डाक टिकटों का हिसाब संदिग्ध था, लेकिन इस पर जांच को नजरअंदाज कर दिया गया। डिबाई में फर्जी डाक टिकटों के मामले की जांच के बावजूद किसी के खिलाफ FIR नहीं दर्ज हुई और न ही किसी को निलंबित किया गया, जबकि उसके मामले में तत्काल CBI जांच शुरू कर दी गई। उसने आरोप लगाया कि जानबूझकर उन्हें निशाना बनाया गया और जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल किया गया। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें मंडलीय कार्यालय के अफसरों के अफेयर मामलों का पता चल गया था, जिसके कारण उसे मानसिक रूप से परेशान किया गया। वह जाटव समुदाय से हैं और उन्हें जातीय आधार पर अपमानित किया गया। उन्होंने यह भी बताया कि जिस अफसर ने उन्हें परेशान किया, उसकी पत्नी भी डाक विभाग में कार्यरत है। अपने 14 साल के ईमानदार और मेहनती कार्य के बावजूद, उन्हें जातीय भेदभाव का शिकार होना पड़ा। उन्होंने लिखा कि उनकी मौत के लिए मंडलीय कार्यालय के अधिकारी और राजेश जिम्मेदार हैं, लेकिन उन्होंने उसे माफ करने का निर्णय लिया है।

टीपी सिंह ने किया था सुसाइड
गौरतलब है कि ये पहला सुसाइड का मामला नहीं है, इससे पहले भी 21 जुलाई को बुलंदशहर प्रधान डाकघर के अधीक्षक टीपी सिंह ने आत्महत्या कर ली थी। टीपी सिंह ने अलीगढ़ स्थित अपने घर में खुद को गोली मारकर अपनी जान दे दी थी। यहां भी, घटना से एक दिन पहले, 20 जुलाई को सीबीआई की टीम ने भ्रष्टाचार के आरोप में डाकघर पर छापेमारी की थी। टीपी सिंह ने भी सुसाइड से पहले अलीगढ़ के एसएसपी को नोट भेजा था, जिसमें लिखा था कि- मैंने 16 दिसंबर, 2021 को डाकघर अधीक्षक बुलंदशहर का कार्यभार ग्रहण किया था, जिसके बाद से मुझे प्रताड़ित किया जा रहा है। इन प्रताड़ित करने वालों में सैदपुर बुलंदशहर के निवासी सुरेश कुमार,  उप डाकपाल मनोज , पूर्व मेल ओवरसियर योगेंद्र सिंह, पुर्व मेल ओवरसियर बनवाली लाल और उनके तीन बेटे अरुण, वरुण और टेकचंद शामिल थे।

जानें पूरा मामला
बता दें कि यह मामला अगस्त महीने में दर्ज हुई पहली FIR से शुरू हुआ, जिसमें डाकपाल टीपी सिंह, उप डाकपाल राहुल कुमार, क्लर्क गोपाल और एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को भ्रष्टाचार और अनियमितता के आरोप में नामजद किया गया था। इसके बाद इस मामले में CBI भी शामिल हो गई और गाजियाबाद की एंटी करप्शन यूनिट ने 20 जुलाई को बुलंदशहर के प्रधान डाकघर पर छापा मारा। CBI ने करीब 10 घंटे तक दस्तावेजों की जांच की और टीपी सिंह से पूछताछ की, लेकिन बाद में उन्होंने सुसाइड कर लिया। 

टिकट पर शक होने पर अधिकारियों ने शुरू की जांच
इसके बाद, लिखावटी डाकखाने का अधीक्षक युवराज सिंह को नियुक्त किया गया। नवंबर महीने में दिल्ली का एक युवक 3833 टिकट लेकर लखावटी डाकखाने पहुंचा, जहां टिकट पर शक होने पर विभागीय अधिकारियों ने जांच शुरू की। जांच के दौरान यह पता चला कि टिकट जाली थे और इनमें न तो कोई स्टांप था, न ही हस्ताक्षर। साथ ही, यह भी सामने आया कि मेल (रजिस्ट्री, स्पीड पोस्ट और पार्सल) की बुकिंग में 2 करोड़ 50 लाख 91 हजार रुपये के जाली टिकटों का इस्तेमाल किया गया। इस फर्जीवाड़े में डाक अधीक्षक, उप डाकपाल, क्लर्क और एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी शामिल थे, जिसके बाद 26 नवंबर को तीनों कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया।

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