नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनने के बाद से ज़ेवर और यमुना प्राधिकरण क्षेत्र की ज़मीनों के दाम आसमान छू रहे हैं। ज़मीन की बढ़ती कीमतों के चलते हर कोई यमुना सिटी में भूखंड हासिल करने की होड़ में लगा है। इस अवसर का लाभ उठाते हुए यमुना प्राधिकरण के कुछ अधिकारी और कर्मचारी घोटालों को अंजाम दे रहे हैं।
यमुना प्राधिकरण में बड़ा घोटाला : औद्योगिक भूखंड आवंटन में गड़बड़ी का मामला आया सामने, कई अधिकारी और कर्मचारी शक के घेरे में
Oct 03, 2024 18:44
Oct 03, 2024 18:44
- प्राधिकरण के अधिकारी और कर्मचारियों पर घोटालों का आरोप
- प्लॉट्स पर कोई निर्माण या गतिविधि नहीं
- फर्जी फंक्शनल सर्टिफिकेट से मिली कोटा योग्यता
फर्जी फंक्शनल सर्टिफिकेट से मिली कोटा योग्यता
यमुना प्राधिकरण ने पिछले वर्षों में छोटी वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए कमर्शियल प्लॉट आवंटित किए थे, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि इन प्लॉट्स पर कोई निर्माण या गतिविधि नहीं हो रही है। इसके बावजूद, प्राधिकरण के अधिकारियों ने आवंटियों के साथ मिलकर इन प्लॉट्स को फंक्शनल दिखाने में सफलता प्राप्त की, जिससे उन्हें 10 अक्टूबर को होने वाली आवासीय भूखंड योजना के ड्रॉ में कोटा मिलने की योग्यता हासिल हो गई। जब प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (CEO) डॉक्टर अरुणवीर सिंह को इस फर्जीवाड़े की जानकारी मिली, तो उन्होंने तुरंत मामले की जांच के आदेश दिए हैं।
ये है पूरी घटना
यमुना प्राधिकरण ने सेक्टर-17, सेक्टर-22, सेक्टर-32 और अन्य क्षेत्रों में फल, सब्ज़ी, दूध और चाय की दुकानें खोलने के लिए साढ़े सात वर्ग मीटर के भूखंड आवंटित किए थे। प्राधिकरण के नियमों के अनुसार, वाणिज्यिक गतिविधियां संचालित करने वाले आवंटियों को आवासीय भूखंड योजनाओं में कोटा मिलता है। इस नियम का गलत फायदा उठाने के लिए कुछ अधिकारियों और आवंटियों ने मिलकर साजिश रची।
10 कियोस्क आवंटियों की जांच
जिन लोगों को फर्जी फंक्शनल सर्टिफिकेट जारी किए गए हैं, उनमें अतुल आर गुप्ता एंड एसोसिएट्स, रिया कौशिक, अंकित गुप्ता, रजत कौशिक, मयंक गुप्ता, गोपेश शर्मा, कृष्ण कुमार अग्रवाल, आस मोहम्मद, शैलेंद्र गुप्ता, और नंदनी गर्ग शामिल हैं। इन सभी ने आवासीय भूखंड योजना में आवेदन किया है और कमर्शियल एलॉटी के रूप में आरक्षण की मांग की है। प्राधिकरण को शक है कि इन आवंटियों के बीच आपसी संबंध हो सकते हैं, इसलिए इनके पहले किए गए आवंटनों की भी जांच की जाएगी।
जांच में शामिल अधिकारियों पर कार्रवाई
फर्जी फंक्शनल सर्टिफिकेट जारी करने वाली फ़ाइल पर प्राधिकरण के वैयक्तिक सहायक, प्रबंधक सिद्धार्थ चौधरी, उप महाप्रबंधक वित्त राजेश कुमार, और ओएसडी के हस्ताक्षर पाए गए हैं। डॉक्टर अरुणवीर सिंह ने स्पष्ट किया है कि इन सभी अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी जांच शुरू कर दी गई है। जांच रिपोर्ट आने पर कानूनी और विभागीय कार्रवाई की जाएगी। यमुना प्राधिकरण में इस तरह का घोटला पहली बार सामने नहीं आया है, लेकिन इस बार सीईओ द्वारा त्वरित कार्रवाई से उम्मीद है कि दोषियों को जल्द सजा मिलेगी और प्राधिकरण में पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा।
Also Read
22 Nov 2024 08:16 PM
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में शुक्रवार को मंत्री परिषद् की बैठक की गई। इसमें यह निर्णय लिया गया है कि नोएडा-ग्रेटर नोएडा के बीच मेट्रो रेल सेवा के एक्वा लाइन का विस्तार किया जाएगा... और पढ़ें