नोएडा-ग्रेनो एक्सप्रेसवे पर महामाया फ्लाईओवर या उससे पहले जाम की स्थिति में वाहनों को सेक्टर-128 कट से सर्विस रोड से घुमा कर सेक्टर-94 चरखा गोलचक्कर के पास पहुंचाया जाएगा।
किसान आंदोलन : 10 फीसदी विकसित भूखंड और मुआवजे की मांग, सालों इंतजार के बाद बोले- दिल्ली दूर नहीं
Dec 02, 2024 11:22
Dec 02, 2024 11:22
यहां से किया डायवर्ट
नोएडा-ग्रेनो एक्सप्रेसवे पर महामाया फ्लाईओवर या उससे पहले जाम की स्थिति में वाहनों को सेक्टर-128 कट से सर्विस रोड से घुमा कर सेक्टर-94 चरखा गोलचक्कर के पास पहुंचाया जाएगा। यहां से डीएनडी और चिल्ला बॉर्डर की ओर जाने वाले वाहनों को कालिंदी कुंज से दिल्ली की ओर भेजा जाएगा। कालिंदी कुंज की तरफ से आने वाले वाहनों को दलित प्रेरणा स्थल से सेक्टर-37 और 18 होते हुए निकाला जाएगा। इसके साथ ही किसानों के नोएडा की तरफ पहुंचने पर ग्रेनो की तरफ से आने वाले ट्रैफिक को कालिंदी कुंज और लूप से महामाया फ्लाईओवर पर चढ़ाया जाएगा।
इन रास्तों से भी होकर गुजरेंगे किसान
चिल्ला बॉर्डर और डीएनडी से आने वाले वाहनों के लिए यह होगा डायवर्जन किसानों के दिल्ली से आने वाले रास्ते पर जाम की स्थिति में चिल्ला बॉर्डर और डीएनडी से आने वाले वाहनों को सेक्टर-27 अट्टा पीर होते हुए सेक्टर-37 लाया जाएगा। इसके बाद इन्हें नोएडा-ग्रेनो एक्सप्रेसवे की ओर भेजा जाएगा। यह व्यवस्था ट्रैफिक की सुचारु आवाजाही और जाम की स्थिति से बचने के लिए की गई है, ताकि यात्रियों को समय पर मंजिल तक पहुंचने में कोई परेशानी न हो। प्रशासन ने इन मार्गों पर जाम से बचने के लिए वैकल्पिक मार्गों का निर्धारण किया है, जिससे यातायात में गति बनी रहे।
इन गांवों में चली मीटिंग
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता सुनील प्रधान ने बताया कि ग्रेटर नोएडा और यमुना क्षेत्र में पड़ने वाले हर गांव में रातभर किसानों की बैठक चली है। जिसमें रणनीति तैयार की गई है। ग्रेटर नोएडा में स्थित बादलपुर, सादोपुर, मायचा, धूममानिकपुर, दनकौर, जेवर और सैनी आदि गांव में महिलाओं ने बैठक की है। महिलाओं ने फैसला लिया है कि आज सोमवार को अपने घर का काम का छोड़कर वह इस आंदोलन में हिस्सा लेंगी।
क्या हैं किसानों की मांगें?
गोरखपुर में बन रहे हाईवे के लिए 4 गुना मुआवजा दिया गया। जबकि गौतमबुद्ध नगर को चार गुना मुआवजे के लाभ से वंचित रखा गया है। इसके अलावा 10 साल से सर्किल रेट भी नहीं बढ़ा है। नए कानून के लाभ जिले में लागू करने पड़ेंगे। किसानों की प्रमुख मांगों में 10 फीसदी विकसित भूखंड, हाई पावर कमेटी की सिफारिशों और नए भूमि अधिग्रहण कानून के लाभ दिया जाना शामिल है। ये सारे निर्णय शासन स्तर पर लिए जाने हैं।
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