एक रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों (NBFCs) और माइक्रोफाइनेंस कंपनियों को राहत देने के उद्देश्य से एक नया कानून पेश कर सकती है। दरअसल सरकार असंगठित लोन गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने के प्रस्ताव के चलते यह कानून लेकर आएगी, जो लंबे समय से वित्तीय क्षेत्र के लिए चिंता का विषय रहा है।
इंस्टेंट लोन पर सरकार लगा सकती है लगाम : कानून लाने की तैयारी में है केंद्र, इनकी बढ़ सकती हैं मुश्किलें
Dec 19, 2024 21:55
Dec 19, 2024 21:55
पेश हो सकता है नया कानून
एक रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों (NBFCs) और माइक्रोफाइनेंस कंपनियों को राहत देने के उद्देश्य से एक नया कानून पेश कर सकती है। दरअसल सरकार असंगठित लोन गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने के प्रस्ताव के चलते यह कानून लेकर आएगी, जो लंबे समय से वित्तीय क्षेत्र के लिए चिंता का विषय रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने वित्त मंत्रालय के साथ विधेयक का एक मसौदा साझा किया है।
प्रस्तावित विधेयक में भारतीय रिजर्व बैंक या अन्य नियामकों की तरफ से अधिकृत नहीं किए गए और किसी अन्य कानून के तहत पंजीकृत नहीं हुए सभी व्यक्तियों या संस्थाओं को सार्वजनिक उधारी कारोबार से प्रतिबंधित करने की संकल्पना रखी गई है। विधेयक के मसौदे में ‘गैर-विनियमित ऋण गतिविधियों’ को ऐसे कर्ज के रूप में परिभाषित किया गया है जो विनियमित ऋण को नियंत्रित करने वाले किसी भी कानून के दायरे में नहीं आते हैं, चाहे वे डिजिटल रूप से किए गए हों या अन्य माध्यमों से। यहां तक कि इसमें रिश्तेदारों को कर्ज को छोड़कर अन्य किसी भी गैर-विनियमित ऋण गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने और उधारकर्ताओं के हितों की रक्षा करने के लिए एक व्यापक तंत्र बनाने के लिए एक अधिनियम लाने की बात कही गई है।
प्रस्तावित कानून विशेष रूप से बढ़ते डिजिटल सेक्टर में गैर-मान्यता प्राप्त और अनियमित लोन देने वाली कंपनियों पर रोक लगाएगा। नए नियमों के तहत, अनियमित डिजिटल ऋण गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाया जाएगा, साथ ही इन कार्यों से संबंधित किसी भी फंडिंग या विज्ञापन पर भी प्रतिबंध लगाया जाएगा। प्रस्ताव के एक प्रमुख हिस्से में वैध ऋणदाता (लोन देने वाली कंपनियों) का एक बड़ा डेटाबेस बनाने के लिए एक प्राधिकरण की स्थापना करना शामिल है। इससे लोन ऑपरेशन की बेहतर ट्रैकिंग सुनिश्चित होगी और लोन लेने वालों को अनऑथराइज्ड लैंडर्स के शोषण से बचाया जा सकेगा। सरकार के इस प्रस्ताव से लोन देने वाले इकोसिस्टम में पारदर्शिता और विनियमन आने की उम्मीद है।
10 साल की कैद का प्रावधान
विधेयक में यह भी कहा गया है कि अगर कोई भी ऋणदाता इस कानून का उल्लंघन करते हुए, चाहे डिजिटल रूप से या अन्यथा, ऋण देता है तो उसे कम-से-कम दो साल की कैद की सजा होगी जिसे सात साल तक बढ़ाया जा सकता है। इसके अलावा उस पर दो लाख रुपये से लेकर एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। प्रस्तावित विधेयक में कर्जदारों को परेशान करने या कर्ज वसूली के लिए गैरकानूनी तरीकों का इस्तेमाल करने वाले कर्जदाताओं को तीन से लेकर 10 साल तक की कैद और जुर्माने का भी प्रावधान रखा गया है।
इस विधेयक के मसौदे के मुताबिक, अगर ऋणदाता, उधारकर्ता या संपत्ति कई राज्यों या केंद्रशासित प्रदेशों में स्थित है या कुल राशि सार्वजनिक हित को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करने के लिए पर्याप्त रूप से बड़ी है तो जांच सीबीआई को सौंप दी जाएगी। डिजिटल उधारी पर गठित आरबीआई के कार्यसमूह ने नवंबर 2021 में पेश अपनी रिपोर्ट में गैर-विनियमित उधारी पर अंकुश लगाने और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने की बात कही थी। कार्यसमूह ने बिना नियमन वाले कर्ज पर प्रतिबंध लगाने के लिए नया कानून लाने जैसे कई उपाय सुझाए थे।
कुछ सालों में मोबाइल पर इंस्टेंट लोन का चलन बढ़ा
दरअसल पिछले कुछ सालों में मोबाइल पर इंस्टेंट लोन का चलन तेजी से बढ़ा है। इस दौरान कई लोन एप धड़ाधड़ लोगों को लोन बांटे रहे हैं और वसूली के नाम पर परेशान भी किया जा रहा है। इनमें चाइनीज एप से जुड़े मामले बहुत सामने आए हैं। इस तरह के हालात लोन मार्केट की वित्तीय स्थिरता के लिए बड़ा जोखिम साबित हो रहे हैं। इनके प्रसार पर रोक लगाने के लिए सरकार ने सोशल मीडिया और ऑनलाइन मंचों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि वे धोखाधड़ी वाले ऋण एप के विज्ञापन न दिखाएं। इसके बाद गूगल ने सितंबर, 2022 और अगस्त, 2023 के बीच अपने प्ले स्टोर से इस तरह के 2,200 से अधिक लोन एप हटा दिए थे।
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