यह कार्यक्रम इंडिया एक्सपो मार्ट (IEML) में होगा और इसमें वैश्विक सेमीकंडक्टर उद्योग के प्रमुख विशेषज्ञ, शिक्षाविद, सरकारी अधिकारी और उद्योग के नेता शामिल होंगे...
सेमीकॉन इंडिया 2024 : वैश्विक नेता, उद्योग विशेषज्ञ और शिक्षाविद् आएंगे एक साथ, होगा तकनीकी नवाचार का महासंगम
Sep 09, 2024 20:34
Sep 09, 2024 20:34
- ग्रेटर नोएडा में होगा सेमीकॉन इंडिया 2024 का आयोजन
- वर्तमान में भारत 2,000 चिप्स ही डिजाइन करता है
- चिप उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए पांच नए यूनिट स्थापित किया जा रहा है
देश के सामने कई चुनौतियां
भारत में सेमीकंडक्टर उद्योग के विकास की दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन वर्तमान में देश सालाना केवल 2,000 चिप्स ही डिजाइन करता है। हालांकि, 2026 तक भारत की सेमीकंडक्टर खपत 55 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है और 2030 तक यह आंकड़ा 110 बिलियन डॉलर से भी अधिक हो सकता है। वर्तमान में, टाटा एलेक्सी, डिक्सन टेक्नोलॉजीज, एसपीईएल सेमीकंडक्टर, एएसएम टेक्नोलॉजीज, मोस्चिप टेक्नोलॉजीज, एचसीएल टेक्नोलॉजीज, और रटनशा इंटरनेशनल जैसी कंपनियां इस क्षेत्र में सक्रिय हैं।
चिप उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए लगाई जाएगी पांच यूनिट
भारत अब चिप उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए पांच नए यूनिट स्थापित कर रहा है। इनमें से एक धोलेरा में टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स और पीएसएमसी के संयुक्त उद्यम के तहत बन रहा है, जिसकी वार्षिक उत्पादन क्षमता तीन बिलियन चिप्स होगी। नए केयंस सेमीकान प्लांट में प्रतिवर्ष 63 लाख चिप्स का निर्माण किया जाएगा। गुजरात में चार प्लांट के साथ, टाटा समूह एक अतिरिक्त प्लांट असम में भी स्थापित करने की योजना बना रहा है।
चिप उद्योग में कई बड़ी चुनौतियां
भारत को चिप उद्योग में कई बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिनमें सप्लाई चेन, कच्चा माल, उपकरण, टेस्टिंग फैसिलिटी और कुशल मैनपावर प्रमुख हैं। रिसर्च और डेवलपमेंट में अमेरिका की प्रमुख स्थिति को देखते हुए भारत को इस दिशा में काफी काम करना होगा। चिप निर्माण में ताइवान, दक्षिण कोरिया और चीन जैसे देशों से प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है। ताइवान की कंपनियां 2 नैनोमीटर तक के चिप्स बना रही हैं, जबकि भारत में 90, 55, 50 और 28 नैनोमीटर तक की चिप्स पर काम हो रहा है, हालांकि 22 नैनोमीटर तक विस्तार की योजना है।
ताइवान के नंबर वन बनने की कहानी
ताइवान की सेमीकंडक्टर उद्योग में प्रमुख भूमिका की कहानी 1960-70 के दशक की है। शिन चिन ताई नामक ताइवानी युवा अमेरिका में पढ़ाई करने आया और वहां की बेरोज कॉर्पोरेशन में मेमोरी चिप्स का निर्माण शुरू किया। पेट्रोल-डीजल संकट के चलते ताइवान लौटते हुए ताई ने अपने देश में सेमीकंडक्टर उद्योग स्थापित करने का विचार साझा किया। आज ताइवान दुनिया के 68 प्रतिशत चिप बाजार पर नियंत्रण रखता है और ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी लिमिटेड (TSMC) एआई और क्वांटम कंप्यूटिंग एप्लीकेशन के लिए 90 प्रतिशत चिप्स का उत्पादन करती है।
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