बसपा काल का महाघोटाला : जमीन से लेकर उद्यान विभाग तक भ्रष्टाचार, सरदार मोहिंदर सिंह पर बड़ा आरोप

जमीन से लेकर उद्यान विभाग तक भ्रष्टाचार, सरदार मोहिंदर सिंह पर बड़ा आरोप
UPT | सरदार मोहिंदर सिंह पर बड़ा आरोप

Sep 19, 2024 17:36

इन तीनों प्राधिकरणों के चेयरमैन रहे सरदार मोहिंदर सिंह के कार्यकाल में यह घोटाला हुआ। उन पर आरोप है कि उन्होंने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए इन प्राधिकरणों को आर्थिक संकट में धकेल दिया...

Sep 19, 2024 17:36

Short Highlights
  • बसपा कार्यकाल में हुए महाघोटाला का खुलासा
  • तीनों प्राधिकरणों के चेयरमैन रहे सरदार मोहिंदर सिंह पर लगा आरोप
  • 27 अधिकारियों के खिलाफ जांच बैठाई गई
Noida News : नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण में एक बड़े घोटाले की खबर सामने आई है।बहुजन समाज पार्टी के शासनकाल में, इन तीनों प्राधिकरणों के चेयरमैन रहे सरदार मोहिंदर सिंह के कार्यकाल में यह घोटाला हुआ। उन पर आरोप है कि उन्होंने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए इन प्राधिकरणों को आर्थिक संकट में धकेल दिया। यह मामला केवल नोएडा तक सीमित नहीं है, बल्कि दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और गुड़गांव जैसे शहरों के निवासियों को यहां की जमीन के लीज़ बेचने का भी आरोप है।

बिल्डरों को बेहद काम दाम पर बेची गई जमीनें
जानकारी के अनुसार, जमीन आवंटन में सबसे बड़ा घोटाला हुआ, जहां बिल्डरों को हजारों एकड़ भूमि बेहद कम कीमत पर बेची गई। महज 10 प्रतिशत अग्रिम राशि पर बड़े-बड़े प्लॉट आवंटित कर दिए गए। ग्रेटर नोएडा वेस्ट में 90 लाख वर्ग मीटर जमीन बिल्डरों को सस्ते दामों पर दी गई। इसके साथ ही, आवेदकों से प्लॉट आवंटन के नाम पर 10 हजार से 3 लाख रुपये तक की रिश्वत मांगी जाती थी। 



कई बड़े अधिकारियों का नाम शामिल
इसके अलावा, उद्यान विभाग में भी भ्रष्टाचार के मामले सामने आए हैं, जहां पेड़ काटकर उन्हें बिना उचित प्रक्रिया के पार्कों में लगाया गया और इसके लिए बड़े बिल पास किए गए। इस घोटाले में केवल मोहिंदर सिंह नहीं, बल्कि कई वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हैं। एसीओ, डीसीईओ, महाप्रबंधक परियोजना और महाप्रबंधक योजना जैसे कई अधिकारियों के नाम सामने आए हैं। कुछ अधिकारियों ने तो अपने पदों से इस्तीफा देकर बिल्डर बनने का रास्ता अपनाया।

27 अधिकारियों के खिलाफ बैठी जांच
ग्रेटर नोएडा वेस्ट में बिना मास्टर प्लान में बदलाव किए उद्योग लगाने के लिए आरक्षित भूमि बिल्डरों को आवंटित कर दी गई। इस पूरे मामले में लगभग 27 अधिकारियों के नाम शामिल हैं और शासन ने इनके खिलाफ जांच बैठाई है। हालांकि, अब तक इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।

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