दिल्ली कूच के समर्थन में राकेश टिकैत के तीखे तेवर : कहा- जरूरत पड़ी तो करेंगे देशव्यापी आंदोलन, मांग नहीं पूरी तो क्या करे किसान?

कहा- जरूरत पड़ी तो करेंगे देशव्यापी आंदोलन, मांग नहीं पूरी तो क्या करे किसान?
UPT | राकेश टिकैत

Dec 03, 2024 11:20

भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के प्रमुख किसान नेता राकेश टिकैत ने सरकार के भूमि अधिग्रहण नीतियों पर तीखा प्रहार किया है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि किसानों की मांगों को अनसुना...

Dec 03, 2024 11:20

Noida News : भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के प्रमुख किसान नेता राकेश टिकैत ने सरकार के भूमि अधिग्रहण नीतियों पर तीखा प्रहार किया है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि किसानों की मांगों को अनसुना किया गया तो देशव्यापी आंदोलन किया जाएगा। टिकैत ने अपने बयान में स्पष्ट किया कि सरकार भूमि अधिग्रहण के नाम पर किसानों की जमीन मनमाने ढंग से हड़प रही है और उनकी समस्याओं को नजरअंदाज कर रही है।

"सरकार किसानों की आवाज नहीं सुन रही"
राकेश टिकैत ने अपने बयान में आरोप लगाया कि सरकार किसान हितों की अनदेखी कर रही है। उन्होंने कहा, "सरकार किसानों की बात नहीं मान रही है। भूमि अधिग्रहण के नाम पर किसानों की जमीनें छीनी जा रही हैं। किसानों से किए गए वादे पूरे नहीं किए जा रहे हैं। यह नीतियां किसानों के हितों के खिलाफ हैं।"

दिल्ली कूच के समर्थन में राकेश टिकैत के तीखे तेवर
"गौतमबुद्ध नगर में नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना तीन प्राधिकरण हैं। जहां किसानों की भूमि अधिग्रहण की गई है। यहां तक सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों से किसानों को 64 प्रतिशत अधिक मुआवजा देने को कहा है, लेकिन सरकार नहीं कर रही। किसानों को 10 प्रतिशत जमीन देने का भी वादा किया गया था, लेकिन सभी किसानों को वह जमीन नहीं दी जा रही है। कुछ प्लॉट की मांग रही, लेकिन सरकार वह भी नहीं दे रही है। नौकरी भी नहीं दी जा रही है। किसान क्या करेगा? या तो दिल्ली जाएगा या वहीं पर रहेगा।"

देशव्यापी आंदोलन की चेतावनी
टिकैत ने किसानों को आश्वासन दिया कि यदि सरकार ने उनकी मांगों को जल्द नहीं माना तो वह देशव्यापी आंदोलन करेंगे। उन्होंने कहा, "हम शांति से अपनी बात रख रहे हैं, लेकिन अगर हमारी मांगें नहीं मानी गईं तो आंदोलन को और बड़े स्तर पर ले जाएंगे। देश के हर कोने में किसान एकजुट होंगे और सरकार को झुकना पड़ेगा।" 

"जुड़ेंगे तो जीतेंगे" और "बंटेंगे तो कटेंगे" पर चले किसान
हाल ही में राजनीतिक पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने नारा दिया था कि "बंटेंगे तो कटेंगे" और "जुड़ेंगे तो जीतेंगे" इसी नारी को लेकर किसानों ने आगे की रणनीति तैयार की है किसानों का कहना है कि हम एक साथ हैं और आगे की लड़ाई भी एक साथ लड़ी जाएगी। किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटा जाएगा और ना ही किसान अलग-अलग होंगे। अब अगले 7 दिनों तक दलित प्रेरणा स्थल में किसान रहेंगे। सात दिन बाद अधिकारियों से बातचीत की जाएगी और अगर अधिकारियों ने समाधान नहीं निकला तो सिस्टम के खिलाफ दिल्ली जाएंगे। किसानों का साफतौर पर कहना है कि अब पीछे नहीं हटने वाले, यह लड़ाई अंतिम सांस तक जाएगी।

क्या हैं किसानों की मांगें?
गोरखपुर में बन रहे हाईवे के लिए 4 गुना मुआवजा दिया गया। जबकि गौतमबुद्ध नगर को चार गुना मुआवजे के लाभ से वंचित रखा गया है। इसके अलावा 10 साल से सर्किल रेट भी नहीं बढ़ा है। नए कानून के लाभ जिले में लागू करने पड़ेंगे। किसानों की प्रमुख मांगों में 10 फीसदी विकसित भूखंड, हाई पावर कमेटी की सिफारिशों और नए भूमि अधिग्रहण कानून के लाभ दिया जाना शामिल है। ये सारे निर्णय शासन स्तर पर लिए जाने हैं।

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