यमुना अथॉरिटी के आवासीय भूखंड आवंटियों को झटका : पड़ा 800 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ, जानिए वजह

पड़ा 800 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ, जानिए वजह
UPT | यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी।

Jul 12, 2024 20:12

यमुना प्राधिकरण द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार 6,508 आवासीय प्लॉटों के आवंटियों को किसानों के लिए 64.7% अतिरिक्त मुआवजा चुकाना होगा।

Jul 12, 2024 20:12

Greater Noida News : इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एक महत्वपूर्ण फैसले के बाद यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (यीडा) क्षेत्र के आवासीय भूखंड आवंटियों को बड़ा आर्थिक झटका लगा है। शुक्रवार को यमुना प्राधिकरण द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार 6,508 आवासीय प्लॉटों के आवंटियों को किसानों के लिए 64.7% अतिरिक्त मुआवजा चुकाना होगा। इनके अलावा बिल्डरों और संस्थागत क्षेत्र के बड़े-बड़े आवंटियों को भी यह रकम चुकानी पड़ेगी।

पूरे प्रकरण से जुड़ी खास जानकारी
1. प्रभावित आवंटी :
सेक्टर-18 और सेक्टर-20 में 2009 से 2014 तक आवंटित लगभग 30,000 प्लॉटों में से 6,508 आवंटी प्रभावित हुए हैं। केवल वे आवंटी जिन्होंने अभी तक अपने भूखंडों की रजिस्ट्री नहीं कराई है, उन्हें यह अतिरिक्त राशि चुकानी होगी।
2. देय राशि : अनुमानित कुल देनदारी लगभग 800 करोड़ रुपये है। इसमें 64.7% अतिरिक्त मुआवजा और उस पर बना ब्याज शामिल है।
3. न्यायालय का फैसला : 2014 में न्यायालय ने आदेश दिया था कि प्राधिकरण किसानों को 64.7% अतिरिक्त मुआवजा दे। प्राधिकरण को यह राशि अपने आवंटियों से वसूलने की अनुमति दी गई थी।
4. पिछली कार्रवाई : 2016 में प्राधिकरण ने आवंटियों को उनकी देनदारी का हिसाब दिया था। कुछ आवंटियों ने इसका विरोध करते हुए न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
5. वर्तमान स्थिति : हाल ही में हाईकोर्ट ने 13 बिल्डरों और 94 शैक्षणिक संस्थानों की याचिका खारिज कर दी है। अब प्राधिकरण सभी श्रेणी के आवंटियों को मांग पत्र भेज रहा है।
6. प्राधिकरण का रुख : यीडा के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉ. अरुणवीर सिंह ने कहा कि सभी आवंटियों को जल्द से जल्द यह राशि जमा करनी होगी। प्राधिकरण ने बिल्डरों और संस्थाओं के नक्शे पास करने पर रोक लगा दी है और कंप्लीशन सर्टिफिकेट जारी करने पर भी रोक है।

यह फैसला यमुना क्षेत्र के विकास में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। जहां एक ओर यह किसानों के हितों की रक्षा करता है, वहीं दूसरी ओर आवंटियों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ डालता है। इस स्थिति से निपटने के लिए प्राधिकरण और आवंटियों के बीच सामंजस्यपूर्ण समाधान की आवश्यकता है, जिससे विकास प्रक्रिया बाधित न हो और सभी पक्षों के हितों की रक्षा हो सके। 

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