कवि नगर में धोखाधड़ी : सीएम धामी का निजी सचिव बताकर 52 करोड़ रुपये का टेंडर दिलाने के नाम पर कारोबारी से 63 लाख ठगे

सीएम धामी का निजी सचिव बताकर  52 करोड़ रुपये का टेंडर दिलाने के नाम पर कारोबारी से 63 लाख ठगे
UPT | उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी

Oct 18, 2024 21:55

कंस्ट्रक्शन कारोबारी से 63 लाख रुपये हड़पने का मामला सामने आया है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री का निजी सचिव बनकर दो आरोपियों ने कंस्ट्रक्शन कारोबारी 52 करोड़ रुपये का टेंडर दिलाने का झांसा दिया। पीड़ित के अनुसार, आरोपियों ने टेंडर दिलाने के नाम पर देहरादून सचिवालय में सौदेबाजी की।

Oct 18, 2024 21:55

Ghaziabad News : गाजियाबाद के कविनगर में एक बड़ी धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। एक कंस्ट्रक्शन कारोबारी से 52 करोड़ रुपये के ऑफलाइन टेंडर दिलाने के नाम पर 63 लाख रुपये हड़पने का मामला उजागर हुआ है। पीड़ित के अनुसार, दो आरोपियों ने खुद को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री का निजी सचिव बताकर ठगी को अंजाम दिया। आरोपियों ने टेंडर दिलाने के लिए देहरादून सचिवालय में सौदेबाजी की, जिससे पीड़ित को विश्वास में लिया गया। कविनगर पुलिस ने चार लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। 


ये है पूरा मामला
हापुड़ के थाना बाबूगढ़ के गांव मोहम्मदपुर आजमपुर के रहने वाले अक्षत त्यागी से बड़ी धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। अक्षत का कहना है कि उनका कंस्ट्रक्शन का काम है और उनकी कंपनी प्रनाली इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड दिल्ली में पंजीकृत है, जिसकी शाखाएं गाजियाबाद और देहरादून में हैं। गाजियाबाद की शाखा कविनगर थानाक्षेत्र में एनएच-9 स्थित अंसल तनुश्री में है। अक्षत के अनुसार, उनकी और उनके साथी रवि कटारिया, चंद्रप्रकाश चौहान की मुलाकात चंडीगढ़ सेक्टर-पांच के जीरकपुर निवासी महेश मारहिया और उसके बेटे सोनर मारहिया से चंडीघाट हरिद्वार में हुई थी। जिसके बाद घटना को अंजाम दिया गया। महेश ने खुद को उत्तराखंड सरकार में पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग (पीएसयू) बताते हुए अर्बन डेवलपमेंट डिपार्टमेंट में टेंडर दिलाने की बात कही है। महेश का दावा है कि सौरभ वत्स और पीसी उपाध्याय उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के निजी सचिव हैं और दोनों मुख्यमंत्री कार्यालय में ही बैठते हैं। उसने कहा कि उनके माध्यम से ही उन्हें टेंडर दिलवाया जाएगा। 


टेंडर फॉर्म भरवाकर 62 लाख रुपये की रकम ऐंठी
पीड़ित अक्षत के अनुसार, 21 मार्च 2023 को देहरादून सचिवालय में महेश के साथ सौरभ वत्स और पीसी उपाध्याय से मुलाकात हुई। वहां, उन्हें बताया गया कि 26 करोड़ रुपये के एक टेंडर में स्ट्रीट लाइट और सोलर पैनल, तथा दूसरे 26 करोड़ के विद्युत पोल का काम शामिल है। आरोपियों ने विश्वास दिलाया कि टेंडर उन्हें मिल जाएंगे, लेकिन इसके लिए 60 लाख रुपये की राशि देनी होगी। अगले दिन, 22 मार्च को उनसे फॉर्म भरवाए गए, और बाद में महेश ने उन्हें 20 लाख रुपये लेकर एक रेस्तरां में बुलाया। इस प्रकार, पीड़ित ने कुल मिलाकर 62.75 लाख रुपये आरोपियों को दे दिए।

आरोपियों ने दिए फर्जी अलॉटमेंट लेटर
महेश ने पीड़ित को फोन कर वर्क ऑर्डर तैयार होने की जानकारी दी और हस्ताक्षर करने के लिए एक होटल में बुलाया। वहां तीनों ने उन्हें बधाई दी और वर्क ऑर्डर पर हस्ताक्षर कराए। लेकिन तीन महीने बाद जब पीड़ित ने काम का दबाव बनाया, तो आरोपियों ने एक फर्जी अलॉटमेंट लेटर दिया। जब वे विभाग गए, तो पता चला कि यह लेटर फर्जी है। खोजबीन में पता चला कि आरोपियों ने फर्जीवाड़ा किया है।

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