लोकसभा चुनाव परिणाम : रालोद को मिली संजीवनी, भाजपा के लिए अनलकी रहा नल का साथ

रालोद को मिली संजीवनी, भाजपा के लिए अनलकी रहा नल का साथ
UPT | bjp rld alliance

Jun 06, 2024 02:24

वहीं विपक्ष भी ये जान गया कि भाजपा से टक्कर उनके अकेले के बस की नहीं। इसलिए अपना राजनीतिक अहम त्यागकर एकजुट होकर भाजपा का मुकाबलें..

Jun 06, 2024 02:24

Short Highlights
  • लोकसभा चुनाव के नतीजे भाजपा के लिए खतरे की घंटी
  • नगीना में चंद्रशेखर रावण की जीत ने सभी को चौकाया
  • गाजियाबाद के अतुल गर्ग सहित तीन विधायक बने सांसद
Lok sabha Election Result : पश्चिम यूपी में लोकसभा चुनाव के नतीजे भाजपा के लिए खतरे की घंटी बजा गए हैं। भाजपा ने लोकसभा चुनाव से ​हुए ​नुकसान की भरपाई के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया तो इसका खामियाजा भाजपा को 2027 के विधानसभा चुनाव में उठाना पड़ सकता है। वहीं विपक्ष भी ये जान गया कि भाजपा से टक्कर उनके अकेले के बस की नहीं। इसलिए अपना राजनीतिक अहम त्यागकर एकजुट होकर भाजपा का मुकाबला करें। विपक्ष की एकजुटता से ही यूपी में भाजपा को लोकसभा चुनाव में इतना भारी नुकसान हुआ है। 

बात करें पश्चिम यूपी की तो रालोद का साथ भाजपा को रास नहीं आया। हॉ भाजपा के साथ आने से जयंत चौधरी को जरूर संजीवनी मिली है। रालोद की परंपरागत सीट बागपत जरूर वापस उसके खाते में चली गई है। लेकिन नल का साथ भाजपा के लिए भारी नुकसान साबित हुआ है। रालोद ने जो दो सीटें जीतीं उसमें एक पहले से भाजपा के पास थी। सहारनपुर और मुरादाबाद मंडल की सभी सीटों पर भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा। मेरठ मंडल की लोकसभा सीटों पर भाजपा अपना पिछला प्रदर्शन दोहराने में कामयाब रही। नगीना लोकसभा सीट से आजाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर रावण की जीत ने सबको चौंकाया है।

चरण सिंह को भारत रत्न देना और जयंत को साथ लेना ना आया काम
लोकसभा चुनाव से पहले चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न और जयंत चौधरी को साथ लेना पश्चिम यूपी में भाजपा के किसी काम नहीं आया है। एक ओर जहां मुजफ्फरनगर के सांसद संजीव बालियान को हार का सामना करना पड़ा। वहीं सहारनपुर और कैराना में भी भाजपा को झटका लगा है। मुरादाबाद जैसी सीट भी भाजपा के हाथ निकल गई। ठाकुर समाज के लोगों ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा के खिलाफ कई पंचायतें की। जिसमें भाजपा को हराने के लिए व्यूह रचना की गई। ठाकुरों की नाराजगी का असर मुजफ्फरनगर से लेकर सहारनपुर और कैराना में देखा गया। राजपूतों का वोट कांग्रेस प्रत्याशी इमरान मसूद और सपा प्रत्याशी इकरा हसन के खाते में चला गया। नतीजा यह हुआ कि इन तीनों सीटों पर भाजपा हारी। खास यह कि 2014 में मुजफ्फरनगर और कैराना सीट भाजपा ने तब जीती थी। जब रालोद-सपा का गठबंधन था।

दिल और जमीन से नहीं जुड़ सके भाजपा और रालोद कार्यकर्ता
भाजपा और रालोद के नेता एक मंच पर तो आ गए। लेकिन इनके कार्यकर्ता दिल और जमीन से एक दूसरे से नहीं जुड़ सके। कई स्थानों पर भाजपा और रालोद कार्यकर्ताओं के बीच मारपीट की घटना चुनाव के दौरान सामने आती रही। जानकारों की माने तो कार्यकर्ताओं के बीच तालमेल नहीं बिठा पाने का खामियाजा भाजपा को भुगतना पड़ा। चर्चा है कि रालोद के कोटे की बागपत और बिजनौर सीटों पर जाटों ने भावनात्मक सहयोग किया। जबकि बाकी अन्य सीटों पर तटस्थ रहे।

आठ में छह सीटों पर भाजपा हारी
लोकसभा चुनाव के पहले चरण में जिन आठ सीटों पर मतदान हुआ था। उसमें से छह सीटों पर भाजपा हारी। बिजनौर रालोद के खाते में गई। जबकि पीलीभीत सीट को भाजपा ने जीता। इसके अलावा मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, कैराना, रामपुर और मुरादाबाद सीट पर इंडिया गठबंधन ने कब्जा किया। नगीना सीट पर आजाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर आजाद ने जीत दर्ज की। 2019 के चुनाव में मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, कैराना और पीलीभीत पर भाजपा जीती थी। 

इंडिया गठबंधन को मुस्लिम मतदाताओं का साथ 
पश्चिम यूपी में लोकसभा सीट कोई भी हो या उम्मीदवार कोई हो। मुस्लिम मतदाताओं ने इंडिया गठबंधन के पक्ष में एकतरफा ईवीएम का बटन दबाया। यही कारण रहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कई सीटों पर बसपा के मुस्लिम प्रत्याशी होने के बावजूद वोट सपा-कांग्रेस को गया। हालांकि नगीना सीट पर रणनीतिक रूप से मुस्लिमों ने आसपा के चंद्रशेखर को वोट किया। पश्चिमी यूपी की कुछ सीटें ऐसी रहीं जहां दलितों ने इंडिया गठबंधन के पक्ष में वोट  किया। जैसे मेरठ में सुनीता वर्मा ने भाजपा के अरुण गोविल को कड़ी टक्कर दी तो यह मुस्लिम और दलित वोटों के बदौलत संभव हुआ। 

कैराना में तीसरी पीढ़ी की जीत
कैराना में 1984 में चौधरी अख्तर हसन चुनाव जीते थे। उसके बाद बेटे मुनव्वर हसन 1999 में रालोद से चुनाव जीते। मुनव्वर हसन की पत्नी 2009 तबस्सुम हसन ने बसपा के टिकट पर चुनाव जीत दर्ज की थी। तबस्सुम हसन ने रालोद के टिकट पर 2018 में हुए उप चुनाव को जीता था। अब उनकी बेटी इकरा हसन ने समाजवादी पार्टी के टिकट पर जीत दर्ज की है। इकरा हसन पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सबसे कम उम्र की सांसद बनी हैं। इकरा के भाई नाहिद हसन कैराना से विधायक हैं।

रालोद विधायक चंदन चौहान बिजनौर से चुनाव जीते
बिजनौर से 2009 में संजय चौहान ने आरएलडी के टिकट पर सांसद बने थे। इस बार उनके बेटे और मीरापुर से रालोद विधायक चंदन चौहान बिजनौर से चुनाव जीते हैं। समाजवादी पार्टी ने मुजफ्फरनगर से जिस हरेंद्र मलिक पर दांव लगाया था, वह पहले रालोद के विधायक रह चुके हैं। हरेंद्र मलिक दो बार के सांसद संजीव बालियान को हराकर संसद पहुंचे। उनके बेटे पंकज मलिक चरथावल से सपा के विधायक हैं।

पश्चिम के तीन विधायक बने सांसद, अब होगा उपचुनाव
पश्चिमी उत्तर प्रदेश से तीन विधायक सांसद बन गए हैं। इनमें गाजियाबाद विधानसभा सीट से विधायक अतुल गर्ग सांसद बने हैं। बिजनौर से चंदन चौहान और संभल से जियाउर्रहमान बर्क सांसद चुने गए हैं। ये तीनों विधायक हैं। इसलिए गाजियाबाद, मीरापुर और कुंदरकी सीट पर उपचुनाव छह महीने के भीतर होना तय है। 

Also Read

आवासीय प्लॉट योजना को नहीं मिल रहे खरीदार, पंजीकरण की तारीख फिर बढ़ी

5 Oct 2024 01:36 PM

गौतमबुद्ध नगर ग्रेटर नोएडा से बड़ी खबर : आवासीय प्लॉट योजना को नहीं मिल रहे खरीदार, पंजीकरण की तारीख फिर बढ़ी

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की आवासीय प्लॉट योजना को अब तक खरीदार नहीं मिल पाए हैं, जिसके चलते योजना की पंजीकरण तिथि एक बार फिर बढ़ा दी गई है। और पढ़ें