Ghaziabad Polio Case : 18 माह की बच्ची में पोलियो के लक्षण, WHO ने किया सर्वे

18 माह की बच्ची में पोलियो के लक्षण, WHO ने किया सर्वे
UPT | 18 माह की बच्ची में पोलियो के लक्षण

Aug 22, 2024 23:21

जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. नीरज अग्रवाल का कहना है कि बच्चों में होने वाली गंभीर बीमारियों को लेकर लगातार सर्विलांस अभियान चलता है। सर्विलांस के जरिए जानकारी मिलने पर स्वास्थ्य विभाग की टीमें विस्तृत सर्वे करती है।

Aug 22, 2024 23:21

Short Highlights
  • 15 साल पहले गाजियाबाद में आया था पोलियों का अंतिम मामला
  • स्वास्थ्य विभाग ने बच्ची में पोलियो की संभावनाओं को नकारा 
  • अभी बच्ची की पोलियों जांच के लिए सैंपल नहीं लिया गया 
Ghaziabad News : गाजियाबाद में 18 माह की बच्ची में पोलियो के लक्षण मिलने का मामला सामने आया है। गाजियाबाद जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. नीरज अग्रवाल ने बताया कि जिले में 15 साल पहले पोलियो का आखिरी मामला आया था। उसके बाद से गाजियाबाद में पोलियो का कोई केस नहीं मिला है। हालांकि पोलियो जैसे मिलते-जुलते लक्षणों वाले बच्चे हर साल मिलते हैं।

सैंपल नहीं लिए जा सका
जिस बच्ची में पोलियो लक्षण की बात कही जा रही है उसका सैंपल नहीं लिए जा सका है। बताया जाता है कि वो परिजनों के साथ बाहर गई हुई है। परिजनों के लौटने के बाद बच्ची की सैंपल जांच की जाएगी। बच्ची के घर पहुंची डब्ल्यूएचओ की टीम ने आसपास के इलाके का सर्वे कराया हैं। बच्ची के परिजन उसका इलाज कराने संयुक्त अस्पताल संजयनगर गए थे। वहां पर बच्ची के लक्षण देखने पर बालरोग विशेषज्ञ डॉ. एमएल अग्रवाल ने सैंपल जांच कराने के लिए डब्ल्यूएचओ के अधिकारियों को सूचित किया था।

एक्विड फेलोरिसस पैरालाइज (एएफपी) के मामले सामने आते हैं
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी ने बताया कि हर साल जिले में एक्विड फेलोरिसस पैरालाइज (एएफपी) के मामले सामने आते हैं। ऐसे मामलों में बच्चों में विटामिन-डी की कमी होने के साथ अन्य स्वास्थ्य समस्याएं रहती हैं। ऐसे बच्चे सही उपचार मिलने के बाद ठीक होते हैं। बीते साल भी जिले में एएफपी के 80 से अधिक मामले सामने आए थे। इस तरह के मामलों की रिपोर्टिंग डब्ल्यूएचओ करता है। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट पर ही स्वास्थ्य विभाग कार्रवाई करता है।

बीमारियों को लेकर लगातार सर्विलांस अभियान
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. नीरज अग्रवाल का कहना है कि बच्चों में होने वाली गंभीर बीमारियों को लेकर लगातार सर्विलांस अभियान चलता है। सर्विलांस के जरिए जानकारी मिलने पर स्वास्थ्य विभाग की टीमें विस्तृत सर्वे करती है। एक ही लक्षण वाले बच्चों की तलाश करती है। इस सर्वे में बच्चों के टीकाकरण की जानकारी की जाती है। जो बच्चे नियमित टीकाकरण से छूटे होते हैं। उनका टीकाकरण किया जाता है। 

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