मुस्लिम आबादी का 90 फीसदी हिस्सा वास्तव में समान नागरिक संहिता की कार्यप्रणाली और मकसद...
Ghaziabad news : शरीयत में हस्तक्षेप नहीं करेगा यूसीसी, बिना समझे ना पालें गलतफहमी
Feb 25, 2024 18:09
Feb 25, 2024 18:09
- यूसीसी के मुददे पर वक्ताओं ने कही बात
- पसमादा मुसलमानों में यूसीसी को लेकर गलत धारणा
- लोगों को यूसीसी के बारे में समझाने की जरूरत
मुसलमान समझता है कि ये इस्लाम के मूल स्तंभ हैं
उन्होंने कहा कि लोगों का मानना है कि यूसीसी उन्हें नमाज़(प्रार्थना), रोज़ा (उपवास), हज (मुस्लिम तीर्थयात्रा) और ज़कात (दान) करने से रोक देगा। जो कि सच नहीं है। हर मुसलमान समझता है कि ये इस्लाम के मूल स्तंभ हैं और इनका अस्तित्व बना रहना चाहिए। यूसीसी से इसका कोई वास्ता नहीं है। यूसीसी धर्म के आडे नहीं आएगा।
पसमांदा मुसलमानों को भी यूसीसी के बारे में बहुत कम समझ
इस दौरान प्रोफेसर बकरूद्दीन ने कहा कि जो मानते हैं कि यूसीसी शरीयत में हस्तक्षेप के अलावा कुछ नहीं है, मेरा सवाल उन लोगो है कि शरीयत केवल चार पत्नियों से शादी करने तक ही सीमित क्यों है? जब कहीं दुष्कर्म का मामला होता है तो आप शरीयत के मुताबिक कड़ी सजा की मांग क्यों नहीं करते? अगर पहली पत्नी शिकायत दर्ज कराती है तो एक से अधिक महिलाओं से शादी करने वालों के खिलाफ कानून बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि तलाक की प्रक्रिया में सुधार होना चाहिए। जोड़े की धार्मिक पृष्ठभूमि कुछ भी हो, तलाक को आसान बनाया जाना चाहिए।
यूसीसी समान नागरिक संहिता है। समान सांस्कृतिक संहिता नहीं
यहां तक कि पसमांदा मुसलमानों को भी यूसीसी के बारे में बहुत कम समझ है। यूसीसी को लेकर उनके मन में कई गलतफहमियां हैं। इस बारे में कुछ गलत धारणाएं और अजीब सवाल हैं। क्या यूसीसी के बाद उन्हें हिंदुओं की तरह प्रार्थना करने और हिंदू त्योहार मनाने के लिए मजबूर किया जाएगा। लेकिन,यह स्पष्ट है कि यूसीसी समान नागरिक संहिता है। समान सांस्कृतिक संहिता नहीं। प्रत्येक व्यक्ति अपने धर्म का पालन करने के लिए स्वतंत्र है। परिवर्तन केवल नागरिक मामलों में आएगा। इससे मुस्लिम महिलाओं को काफी फायदा होता है।
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