कानपुर नगर निगम में तैनात अपर नगर आयुक्त अमित कुमार भारतीय का नाम 1100 करोड़ रुपये के जमीन घोटाले में सामने आया है।
करोड़ों के जमीन घोटाले में फंसे कानपुर के अपर नगर आयुक्त : मेरठ में फर्जी दस्तावेजों से हुआ था दाखिल-खारिज, शासन को भेजी गई रिपोर्ट
Nov 10, 2024 22:26
Nov 10, 2024 22:26
कैसे हुआ दाखिल-खारिज में घोटाला
मेरठ के आरटीआई कार्यकर्ता लोकेश खुराना ने इस मामले की शिकायत मेरठ के तत्कालीन कमिश्नर सुरेंद्र सिंह से की थी। शिकायत में बताया गया कि मोदी रबर कंपनी ने लीज की जमीन को कॉन्टिनेंटल को बेचने से पहले राज्य सरकार से कोई अनुमति नहीं ली थी। इसके बावजूद 27 जून 2011 को तत्कालीन तहसीलदार सरधना द्वारा दाखिल-खारिज कर दिया गया था, जो ग्रांट डीड की शर्तों का उल्लंघन था। दाखिल-खारिज की इस प्रक्रिया को लेकर एसडीएम सरधना की अदालत में भी आपत्ति जताई गई थी, और तत्कालीन एसडीएम ने तहसीलदार के आदेश को अग्रिम आदेशों तक स्थगित कर दिया था।
विवाद के बावजूद दाखिल-खारिज की प्रक्रिया
24 फरवरी 2020 को तत्कालीन एसडीएम सरधना अमित कुमार भारतीय ने मोदी कॉन्टिनेंटल के नए आवेदन पत्र के आधार पर फिर से दाखिल-खारिज की प्रक्रिया पूरी की, जिसमें राज्य सरकार की इस अरबों की भूमि को कॉन्टिनेंटल कंपनी के नाम पर अवैधानिक रूप से दर्ज कर लिया गया। इस प्रक्रिया में सरकारी नियमों का उल्लंघन करते हुए कई प्रशासनिक स्तर पर गलतियां हुईं, जिनका खुलासा जांच के बाद हुआ है।
तीन सदस्यीय जांच समिति की रिपोर्ट
जमीन घोटाले की गंभीरता को देखते हुए तत्कालीन कमिश्नर सुरेंद्र सिंह ने अपर आयुक्त चैत्रा वी., एमडीए उपाध्यक्ष शशांक चौधरी, और एसडीएम सदर संदीप भागिया की तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया था। इस समिति से 15 नवंबर तक मामले की जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा गया था। जांच में अमित कुमार भारतीय और अन्य अधिकारियों पर लगे आरोप सही पाए गए और समिति ने मामले की पूरी रिपोर्ट शासन को भेज दी है।
पीआईएल के बाद हाईकोर्ट की सुनवाई
आरटीआई कार्यकर्ता लोकेश खुराना ने इस घोटाले को लेकर हाईकोर्ट में पीआईएल दाखिल की थी, जिसमें प्रदेश सरकार से जवाब मांगा गया। इसके बाद पूरे मामले की फाइल तलब की गई। विशेष सचिव विजय कुमार ने कानपुर के अपर नगर आयुक्त अमित कुमार भारतीय को भ्रष्टाचार का दोषी पाते हुए उनके खिलाफ चार्जशीट जारी की और अब इस मामले की जांच कानपुर मंडल के आयुक्त विजय कुमार कर रहे हैं।
विधानसभा में भी उठा मामला
इस मामले को लेकर विधायक अमित अग्रवाल ने विधानसभा में भी चर्चा की थी, जहां उन्होंने इस जमीन घोटाले पर सवाल उठाए थे। हालांकि, तब शासन स्तर पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई थी। इस विवाद के बाद कमिश्नर सुरेंद्र सिंह ने सीलिंग की जमीन पर कब्जा करने के आदेश दिए थे और सरधना के एसडीएम ने मोदी रबर की 26 हजार वर्ग मीटर जमीन पर कब्जा कर बोर्ड लगवा दिए थे।
1972 में सरकार ने दी थी जमीन
गवर्नमेंट एक्ट 1895 के तहत राज्य सरकार ने 1972 में ऑटोमोबाइल टायर और ट्यूब के निर्माण के लिए मोदी रबर को 117 एकड़ भूमि लीज पर दी थी। इस समझौते के तहत भूमि का उपयोग कारखाने और श्रमिकों के आवासीय कॉलोनी निर्माण के लिए किया जाना था। मोदी रबर ने इस भूमि पर लगभग 1200 आवासों का निर्माण करने का प्रस्ताव रखा था, जिसे राज्य सरकार के साथ एग्रीमेंट में शामिल किया गया था।
जांच के मुख्य बिंदु
जांच समिति ने कई मुख्य बिंदुओं पर जांच की। इसमें राज्यपाल और मोदी रबर के बीच हुई ग्रांट डीड की शर्तों की पुष्टि की गई, जिसमें बिना पूर्व अनुमति के भूमि बेचने पर रोक थी। समिति ने यह भी जांच की कि लीज की शर्तों का उल्लंघन क्यों और कैसे हुआ। साथ ही भूमि पर वास्तविक कब्जाधारकों का विवरण, भूमि का सत्यापन, और किसी अन्य व्यक्ति द्वारा अवैध कब्जा किए जाने की स्थिति का भी मूल्यांकन किया गया।
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