पश्चिमी यूपी में बनेगा प्रदेश का पहला डॉल्फिन रिसर्च सेंटर : हस्तिनापुर या मुजफ्फरनगर में होगा निर्माण, जानिए क्या फायदा होगा

हस्तिनापुर या मुजफ्फरनगर में होगा निर्माण, जानिए क्या फायदा होगा
UPT | प्रतीकात्मक तस्वीर

Nov 10, 2024 20:43

हस्तिनापुर और मुजफ्फरनगर में दो संभावित स्थानों पर इस सेंटर का निर्माण किया जाएगा और इनमें से किसी एक को अंतिम रूप दिया जाएगा...

Nov 10, 2024 20:43

Short Highlights
  • डॉल्फिन संरक्षण को बड़ी पहल
  • मेरठ में बनेंगे डॉल्फिन मित्र
  • हस्तिनापुर या मुजफ्फरनगर में होगा निर्माण
Meerut News : उत्तर प्रदेश में पश्चिमी यूपी के मेरठ जिले में जल्द ही यूपी का पहला डॉल्फिन रिसर्च सेंटर स्थापित किया जाएगा। यह सेंटर डॉल्फिनों को बढ़ावा देने और उनके संरक्षण के उद्देश्य से बनाया जा रहा है। हस्तिनापुर और मुजफ्फरनगर में दो संभावित स्थानों पर इस सेंटर का निर्माण किया जाएगा और इनमें से किसी एक को अंतिम रूप दिया जाएगा। गंगा नदी में पाई जाने वाली डॉल्फिनों ने हमेशा ही पर्यटकों को आकर्षित किया है और इस रिसर्च सेंटर की स्थापना इस खूबसूरत प्रजाति के संरक्षण में महत्वपूर्ण कदम होगा। प्रदेश सरकार के स्वीकृति मिलने के बाद इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया जाएगा।

वन विभाग ने यूपी सरकार को भेजा प्रस्ताव
मेरठ के हस्तिनापुर क्षेत्र में गंगा नदी में डॉल्फिनों के साथ-साथ कछुए और घड़ियाल भी देखे जा सकते हैं, जो पर्यावरण के महत्वपूर्ण संकेतक हैं। अब इन प्रजातियों का संरक्षण और उनकी संख्या बढ़ाने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। वन विभाग द्वारा यूपी सरकार को डॉल्फिन रिसर्च सेंटर के निर्माण के लिए प्रस्ताव भेजा जा चुका है। डीएफओ राजेश कुमार ने बताया कि हस्तिनापुर और मुजफ्फरनगर में जमीन चयनित कर ली गई है और जैसे ही सरकार स्वीकृति देती है, इन स्थानों पर काम शुरू हो जाएगा।



गंगा नदी में बढ़ रही डॉल्फिनों की संख्या
अपर गंगा नदी के क्षेत्र में डॉल्फिनों की संख्या में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। 2020 में इस क्षेत्र में करीब 40 डॉल्फिन थी, जबकि 2023 में यह संख्या बढ़कर 50 हो गई। 2024 की गणना में 52 डॉल्फिनों की पुष्टि की गई है, जिनमें 5-6 छोटे बच्चे भी शामिल हैं। डीएफओ के मुताबिक, गंगा नदी का 80 प्रतिशत क्षेत्र हस्तिनापुर सेंचुरी के अंतर्गत आता है और वन विभाग इस क्षेत्र में डॉल्फिनों के संरक्षण के लिए लगातार काम कर रहा है। आने वाले समय में, हापुड़ और बुलंदशहर के इलाकों में भी इस संरक्षण कार्य को बढ़ाया जाएगा।

पहचाने गए पांच हॉटस्पॉट
मेरठ जिले में डॉल्फिनों के पांच हॉटस्पॉट पहचाने गए हैं, जहां पर्यटक और शोधकर्ता डॉल्फिनों को देख सकते हैं। वन विभाग इन हॉटस्पॉट्स के आस-पास के गांवों के लोगों को डॉल्फिनों के संरक्षण के प्रति जागरूक कर रहा है। इसके लिए विशेष फंड भी स्थापित किया गया है, जिससे स्थानीय लोग इस संरक्षण प्रयास का हिस्सा बन सकेंगे। इस पहल के अंतर्गत डॉल्फिन मित्र बनाने की योजना है, जिससे स्थानीय लोग इन जीवों के संरक्षण में सक्रिय रूप से शामिल हो सकेंगे।

पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण हैं डॉल्फिन
डॉल्फिन मित्रों का गठन उसी तरह किया जाएगा जैसे बाघ मित्रों का गठन किया जाता है। डीएफओ ने बताया कि डॉल्फिन न केवल पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि ये नदी की सेहत का भी संकेत देती हैं। डॉल्फिनों के संरक्षण के साथ-साथ उनका अध्ययन भी नदी की जैविक विविधता और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को समझने में मदद करेगा। पहले हस्तिनापुर में डॉल्फिन के लिए प्रजनन केंद्र बनाने की योजना थी, लेकिन वह अब तक साकार नहीं हो पाई है। हालांकि, बिहार के भागलपुर में डॉल्फिनों का रेस्क्यू और संरक्षण केंद्र मौजूद है, लेकिन प्रजनन केंद्र का अब तक कोई निर्माण नहीं हुआ है।

भारत सरकार ने घोषित किया राष्ट्रीय जलजीव
भारत सरकार ने 2009 में गंगेटिक डॉल्फिन को राष्ट्रीय जलजीव घोषित किया था। यह विशेष प्रजाति गंगा नदी में पाई जाती है और साफ पानी में रहने वाली एक सामाजिक प्राणी मानी जाती है। गंगेटिक डॉल्फिन अन्य समुद्री डॉल्फिनों से भिन्न होती है और ये अक्सर इंसानों के पास आकर तैरने का आनंद लेती हैं। यह विशेषता इन डॉल्फिनों को मनुष्य के लिए सुरक्षित और प्रिय बनाती है और इनका संरक्षण गंगा नदी के पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।

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