उत्तरी भारत के मेडिकल कॉलेजों में सिर्फ मेरठ में ही बोटॉक्सी थेरेपी की सुविधा उपलब्ध है। मेरठ मेडिकल कालेज के न्यूरोलॉजी विभाग में बोटॉक्सी थेरेपी से पश्चिम यूपी और एनसीआर के जिलों के मरीजों को कम पैसों में इलाज की सुविधा मिलेंगी।
Meerut news : मेरठ मेडिकल कालेज में पहली बार हुई बोटॉक्सी थेरेपी, दिमाग से जुड़ी इन बीमारियों का अब हो सकेगा इलाज
Jun 28, 2024 19:48
Jun 28, 2024 19:48
- दिमाग की कई बीमारियों में है विशेष कारगार है बोटॉक्सी थेरेपी
- लंबे समय से मूवमेंट डिसऑर्डर से पीड़ित मरीजों के लिए वरदान
- उत्तरी भारत के मेडिकल कालेजों में सिर्फ मेरठ में उपलब्ध सर्जरी
विशेष थेरेपी पश्चिमी उत्तर प्रदेश एवं मेरठ के लिए बड़ी उपलब्धि
एलएलआरएम के पीआरओ डॉ. राहुल ने बताया कि प्राचार्य डॉ.आरसी गुप्ता के नेतृत्व में मेडिकल कॉलेज मेरठ नित नई ऊँचाइयाँ छू रहा है। इसी क्रम में लाला लाजपत राय स्मारक मेडिकल कॉलेज मेरठ के न्यूरोलॉजी विभाग में पहली बार बोटॉक्सी थेरेपी की गई है। यह विशेष थेरेपी पश्चिमी उत्तर प्रदेश एवं मेरठ के लिए बड़ी उपलब्धि है। यह विशेष थेरेपी दिमाग़ की कई बीमारियों जैसे लकवे के बाद हाथ पैर में होने वाली अकड़न, गर्दन में होने वाली अकड़न, चेहरे की मांसपेशियों का फड़कना, हाथों पैरो के कंपन, लंबे समय से हो रहे माइग्रेन, हाथों में ज़्यादा पसीना आना आदि सभी प्रकार के मूवमेंट डिसऑर्डर जो दवाई से ठीक नहीं हो सकते है।
काफ़ी लंबे समय से मूवमेंट डिसऑर्डर से पीड़ित
इन बीमारियों के इलाज में अत्यंत उपयोगी है। डॉ. दीपिका सागर ने बताया कि बोटॉक्स थेरेपी उन मरीज़ों के लिये वरदान साबित होगी जो काफ़ी लंबे समय से मूवमेंट डिसऑर्डर से पीड़ित हैं तथा जिन्हें दवाई से अधिक लाभ नहीं मिल पाता है। उन्होंने यह भी बताया कि सेरेब्रल पल्सी की मरीज़ जो चलने फिरने में अकड़न के कारण असमर्थ होते हैं। उन मरीज़ों में यह थेरेपी कारगर है। इस थेरेपी का प्राइवेट अस्पतालों में खर्च लाखों में होता है। जबकि लाला लाजपत राय स्मारक मेडिकल कॉलेज मेरठ में यह काफ़ी कम खर्चे में हो जाता है।
दिमाग़ी टीबी के कारण उल्टे हाथ में अकड़न हो गई थी
थेरेपी मेडिकल कॉलेज में न्यूरोलॉजी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. दीपिका सागर द्वारा दो मरीज़ों पर की गई हैं। एक मरीज़ भावना निवासी मेरठ को दिमाग़ी टीबी के कारण उल्टे हाथ में अकड़न हो गई थी। जिसके वजह से वे अपना हाथ नहीं खोल पाती थी। मरीज़ पिछले 3-4 साल से काफ़ी परेशान थी। काफ़ी डॉक्टरों को दिखाने के बाद भी कोई आराम नहीं मिल पा रहा था। दूसरी मरीज़ सरोज निवासी बुलन्दशहर को सीधी आँख के अकड़न और फड़कने की बीमारी थी। जिसके कारण उसको आँख खोलने में काफ़ी परेशानी होती थी और आँख अपने आप बंद हो जाती थी। दोनों मरीज़ों को इस थेरेपी से काफ़ी आराम हुआ है। प्राचार्य डॉ. आरसी गुप्ता ने न्यूरोलॉजी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. दीपिका सागर को उपलब्धि हेतु बधाई दी।
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