पश्चिम यूपी में मुख्तार अंसारी ने मुन्ना बजरंगी के जरिए एंट्री की। जिसमें उसे कुख्यात संजीव जीवा और सुनील राठी जैसे शूटरों का साथ मिला। इसके बाद मुख्तार अंसारी ने पूरब और पश्चिम के शार्प शूटरों के...
Mukhtar Ansari Death : मुन्ना बजरंगी की बदौलत पश्चिम तक फैली थी मुख्तार की मुख्त्यारी, बजरंगी था माध्यम
Mar 29, 2024 13:02
Mar 29, 2024 13:02
- पश्चिम यूपी के कुख्यात संजीव जीवा और सुनील राठी पर था मुख्तार का हाथ
- मुन्ना बजरंगी के जरिए पश्चिम यूपी के जरायम की दुनिया में जमाया था सिक्का
- उत्तराखंड और पश्चिम यूपी में 90 के दशक में वसूलते थे गुंडा टैक्स
90 का दशक और पश्चिम से पूरब तक साम्राज्य
उत्तर प्रदेश में 90 के दशक में मुख्तार का सिक्का पश्चिम से पूरब तक चलता था। यही कारण था कि पश्चिम में मुख्तार ने मुन्ना बजरंगी के माध्यम से संजीव जीवा की जड़ें मजबूत की और गुंडा टैक्स वसूलने में उसकी मदद की। सूत्रों की मानें तो मुख्तार से जुड़े गिरोह के माफिया पूरे प्रदेश में गुंडा टैक्स वसूलते थे।
अपहरण की पकड़ के लिए मुफीद था पश्चिम यूपी
रिटायर्ड पुलिस अधिकारी सीपी शर्मा बताते हैं कि 1985 के बाद और 90 के दशक में उत्तर प्रदेश में अपहरण उद्योग चरम पर था। ये वो दौर था जब शराब और रेलवे के ठेकों को लेने के लिए बाहुबल का इस्तेमाल होता था। उस दौर में मुख्तार अंसारी ने शराब और रेलवे के ठेकों को अपने लोगों को दिलवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। रिटायर्ड पुलिस अधिकारी बताते हैं कि पूर्वी उत्तर प्रदेश में अपहरण के बाद पकड़ को पश्चिम यूपी में रखा जाता था। चूंकि पश्चिम यूपी में गन्ने की फसल अपराधियों के छुपने के लिए काफी मुफीद मानी जाती थी। जहां पुलिस भी जाने से कतराती थी। उनका कहना है कि कई ऐसे खुलासे हुए जिसमें पूरब से धनाढय व्यापारियों का अपहरण कर उनको मुजफ्फरनगर, शामली, बागपत और मेरठ के आसपास जंगल में खेतों में रखा गया।
मुख्तार के साथ पश्चिम उत्तर प्रदेश में अपराध का अध्याय खत्म
मुख्तार के साथ ही अब पश्चिम उत्तर प्रदेश में भी अपराध का अध्याय खत्म हो गया है। मुख्तार अंसारी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के शातिर शूटरों का सरपरस्त था। मुख्तार ने इन शूटरों का पूर्वी उत्तर प्रदेश में अपने खास मुन्ना बजरंगी से गठजोड़ कराकर कई आपराधिक गतिविधियों को अंजाम दिया था। मुख्तार का गैंग फिल्मी स्टाइल में सनसनीखेज वारदातों को अंजाम देता था। मुन्ना बजरंगी और संजीव जीवा भी मारे जा चुके हैं। मुन्ना बजरंगी की हत्या बागपत जेल में हुई जबकि संजीव जीवा को लखनऊ में अदालत परिसर में मारा गया। इन दोनों के मारे जाने से मुख्तार के हाथ कट गए और मुख्तार की भी अपराध की रीढ़ टूट गई। इसके चलते कहीं ना कहीं मुख्तार को भी अपनी हत्या का भय सताने लगा था।
पश्चिम से पूरब तक वसूलते थे गुंडा टैक्स
प्रदेश के व्यापारी और चिकित्सक मुन्ना बजरंगी गिरोह को गुंडा टैक्स देते थे। कारोबारियों से खासी वसूली होती थी। पश्चिम यूपी और उत्तराखंड के कुछ बिल्डरों से मुन्ना बजरंगी गिरोह का खासा जुड़ाव था। बजरंगी के गुर्गे विवादित जमीन पर कब्जा करते और इनको बिल्डरों को उपलब्ध कराते थे। इसमें मुन्ना बजरंगी की मदद संजीव जीवा करता था।
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