कटाई के बाद इसमें फंगस लगने का डर रहता है। किसानों को इस समस्या से बचाने के लिए 15 लाख के ड्रायर पर 12 लाख का अनुदान दिया जाएगा। कोई भी किसान उत्पादन संगठन सिर्फ तीन लाख लगाकर इसे खरीद सकेगा।
बदलता उत्तर प्रदेश : मक्के से एथेनॉल बनाने की तैयारी, किसानों को मिलेगा अनुदान, गन्ना क्षेत्रों में मक्के का बढ़ेगा रकबा
Aug 12, 2024 20:34
Aug 12, 2024 20:34
- प्रदेश की चीनी मिलों के साथ सरकार की बातचीत जारी
- गन्ना रकबे के साथ चीनी मिलों को मक्का रकबा बढ़ाने के निर्देश
- किसानों को मक्का की खेती के लिए मिलेगा उन्नत प्रशिक्षण
उपकरणों को अनुदान पर उपलब्ध कराया जाएगा
मक्का विकास से जुड़े उपकरणों को अनुदान पर उपलब्ध कराया जाएगा। अभी तक प्रदेश में करीब 15 कंपनियां एथेनॉल तैयार करती हैं। इनकी संख्या भी बढ़ाने की तैयारी है। केंद्र सरकार की ओर से पेट्रोल में 20 फीसदी एथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य रखा गया है। अभी प्रदेश में एथेनॉल का उत्पादन गन्ना, धान और मक्के से होता है। गन्ना और धान में पानी की अधिक जरूरत होती है। ऐसे में मक्का को एथेनॉल के लिए अधिक उपयुक्त माना गया है। प्रदेश में यह खरीफ, जायद और रबी सीजन में उगाई जाती है। यही कारण है कि प्रदेश सरकार ने त्वरित मक्का विकास योजना शुरू की है। इसके लिए 2024-25 में 27.68 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है।
प्रदेश में करीब 8.30 लाख हेक्टेयर में मक्के की बुवाई
प्रदेश में करीब 8.30 लाख हेक्टेयर में मक्के की बुवाई होती है। उत्पादन 21.16 लाख मीट्रिक टन है। रकबा दो लाख हेक्टेयर बढ़ाने और उत्पादन करीब 11 लाख मीट्रिक टन अतिरिक्त करने की तैयारी है। दरअसल, केंद्र सरकार ने एथेनॉल उद्योगों के जलग्रहण क्षेत्र में मक्का उत्पादन में वृद्धि नामक परियोजना शुरू की है। इसे भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान (आईआईएमआर) संचालित कर रहा है। इसके तहत उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश सहित 15 राज्य चुने गए हैं।
किसानों को मिलेगा उपज का मूल्य
अभी प्रदेश में करीब 15 कंपनियां एथेनॉल बनाती है। इनकी संख्या भी बढाने की तैयारी है। एथेनॉल बनाने वाली कंपनियों को सहकारी एजेंसियों से तय दर पर मक्के की आपूर्ति मिलेगी। इससे जहां एथेनॉल का उत्पादन बढ़ेगा, दूसरी तरफ किसानों को उनकी उपज का वाजिब मूल्य भी मिल सकेगा। चीनी उत्पादन में कमी नहीं आएगी क्योंकि गन्ने से ही अभी तक एथेनॉल और चीनी दोनों बनाई जा रही है।
अनुदान पर मिलेंगे उपकरण
संयुक्त निदेशक आरके सिंह ने बताया कि यह सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है। इसमें किसानों को सर्वाधिक लाभ मिलेगा। मक्के में नमी करीब 28 से 30 फीसदी होती है। ऐसे में कटाई के बाद इसमें फंगस लगने का डर रहता है। किसानों को इस समस्या से बचाने के लिए 15 लाख के ड्रायर पर 12 लाख का अनुदान दिया जाएगा। कोई भी किसान उत्पादन संगठन सिर्फ तीन लाख लगाकर इसे खरीद सकेगा। इसी तरह पॉपकार्न की मशीन पर 10 हजार का अनुदान है। अन्य उपकरणों पर भी किसान और किसान उत्पादन संगठनों को अनुदान की व्यवस्था की गई है। किसानों को मक्का अनुसंधान संस्थान में प्रशिक्षण दिलाया जाएगा। उन्हें संकर बीज दिलाया जाएगा और तकनीक से वाकिफ कराया जाएगा।
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