भाजपा पश्चिम उत्तर प्रदेश में अपराध नियंत्रण मॉडल, कैराना पलायन, देवबंद में एटीएस केंद्र स्थापना और बाबा के बुलडोजर की नीति के अलावा सहारनपुर में शाकंभरी देवी विश्वविद्यालय स्थापना...
PM Modi Meerut rally : पीएम मोदी की मेरठ रैली : पश्चिम से पूरब तक भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश
Apr 01, 2024 15:30
Apr 01, 2024 15:30
- प्रदेश में वोटों के ध्रुवीकरण की धार पर हिंदुत्व की लहर उठाने की कोशिश
- पीएम मोदी से पहले सीएम योगी प्रबुद्ध सम्मेलनों में कर चुके रामलला की होली का जिक्र
- मतदान की बयार पूर्वांचल से लेकर बुंदेलखंड तक के समीकरणों की दिशा तय कर सके
ध्रुवीकरण की धार पर हिंदुत्व की लहर
भाजपा पश्चिम उत्तर प्रदेश में धीरे-धीरे ध्रुवीकरण की धार पर हिंदुत्व की लहर को उठाने की कोशिश कर रही है। वहीं दूसरी ओर चुनावी मुद्दों की आग में रोजगार,उद्योग, खेतीबाड़ी, कानून-व्यवस्था और विकास जैसे मसलों को पकाने की कोशिश है। पश्चिम उत्तर प्रदेश से पैदा हुआ चुनावी तापमान बढ़कर पूर्वांचल तक पहुंचने की कोशिश में भाजपा लगी हुई है।
2024 में पश्चिमी यूपी पर मोदी का फोकस
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के राजनीति विभाग के डॉ. संजीव शर्मा का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 2014 और 2019 के बाद फिर 2024 में पश्चिम उत्तर के मेरठ से ही चुनावी जनसंपर्क अभियान की शुरूआत की है। मोदी ने चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने और सदन में जयंत के खिलाफ कांग्रेस के सदस्यों की आपत्ति को किसानों के सम्मान से जोड़कर ये संदेश भी दे दिया है।
यहीं कारण है कि इस बार भी भाजपा लोकसभा चुनाव में मोदी की अगुआई में पश्चिम उत्तर प्रदेश में नई तासीर पैदा करने की कोशिश में है। जिससे कि पश्चिम उत्तर प्रदेश में 19 और 26 अप्रैल को होने वाले मतदान की बयार पूर्वांचल से लेकर बुंदेलखंड तक के समीकरणों की दिशा तय कर सके।
वहीं दलित चिंतक और मेरठ कालेज के प्रोफेसर डॉ. सतीश का कहना है कि भाजपा पश्चिम उत्तर प्रदेश में अपराध नियंत्रण मॉडल, कैराना पलायन, देवबंद में एटीएस केंद्र स्थापना और बाबा के बुलडोजर की नीति के अलावा सहारनपुर में शाकंभरी देवी विश्वविद्यालय स्थापना के अलावा एक्सप्रेस वे निर्माण का एजेंडा लेकर लोकसभा चुनाव मैदान में है। वर्ष 2014 से 2024 के बीच इन दस सालों में बहुत कुछ बदला है।
2013 ने बदली पश्चिम यूपी की सियासी हवा
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के राजनीति विभाग के प्रोफेसर डा. संजीव शर्मा का कहना कि 2013 में मुजफ्फरनगर दंगों से उठी सियासी बदलाव की हवा ने सामाजिक ताने-बाने सहित प्रदेशभर के चुनावी समीकरणों को पूरी तरह से बदल दिया। जिसको अब तक भारतीय राजनीति में अहम मोड़ के रूप में देखा जा रहा है। भाजपा ने नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाकर दो फरवरी, 2014 को विजय शंखनाद रैली कराई थी। पूर्व प्रशासनिक अधिकारी प्रभात राय की माने तो ऐसी लहर चली कि पश्चिम उत्तर प्रदेश के सभी समीकरण ध्वस्त हो गए थे।
पश्चिम यूपी के दिग्गजों के किले हिले
2014 में चली मोदी लहर में पश्चिम यूपी के दिग्गजों के किले हिल गए थे। इन दिग्गजों में सहारनपुर से मसूद परिवार के अलावा कैराना से हसन परिवार और बागपत से चौधरी परिवार शामिल हैं। भाजपा की मोदी लहर ने पश्चिम के दो अभेद्य किले मुरादाबाद व रामपुर को भी जीत लिया था।
उस दौर में नगीना, बिजनौर, संभल व अमरोहा जैसी कमजोर सीटों पर भाजपा की जीत एक परिवर्तन का संकेत था। हालांकि, 2019 लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा और रालोद की तिकड़ी ने मिलकर चुनाव लड़ा जिसमें भाजपा सात सीटें हार गई थी।
अब 15 साल बाद भाजपा और रालोद फिर से एक बार साथ हैं। इस बहाने भाजपा जहां पश्चिम यूपी के जाटों को साधने की कोशिश में है तो वहीं दूसरी ओर प्रदेश के किसानों को अपने पक्ष में करने की तैयारी है। भाजपा का इस बार हारी सीटों बिजनौर, सहारनपुर, संभल, नगीना, रामपुर एवं मुरादाबाद पर फोकस है।
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