करवाचौथ वाले दिन जिस पति की पत्नी व्रत रख रही हो उसके प्रति पति का प्रेम व ख्याल और कद्र लगातार बढाने का संकल्प लेना पति का परम कर्तव्य हो जाता है।
करवाचौथ 2024 : करवाचौथ पर इस बार बन रहा व्यतिपात योग के साथ गज केसरी व बुधादित्य योग
Oct 19, 2024 09:17
Oct 19, 2024 09:17
- कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी करक चतुर्थी के नाम से भी जानी जाती
- रात्रि में चन्द्र दर्शन के उपरान्त ही अपना व्रत खोलती हैं
- चन्द्रमा नक्षत्र कृतिका में अपनी उच्च वृष राशि पर
ये हैं योग इस करवाचौथ पर
इस बार 20 अक्तूबर को दिन रविवार को प्रात: 6:47 मिनट से चतुर्थी तिथि प्रारम्भ होकर अगले दिन 21 अक्तूबर की प्रात: को 4:18 मिनट पर समाप्त होगी। 6:47 से पूर्व त्रयोदिशी है और उसमे ही भद्रा है जिसका निवास स्वर्गलोक में है। इस प्रकार भद्रा का कोई भी प्रभाव करवाचौथ पर नहीं है। इस प्रकार पंचांगानुसार सूर्योदनी तिथि व चन्द्रोदय पर उसके बाद भी चतुर्थी तिथि का विराजमान रहना स्पष्ट करता है कि भाद्रामुक्त करवा चौथ का व्रत 20 अक्तूबर का है। जिस समय चन्द्रमा नक्षत्र कृतिका में अपनी उच्च वृष राशि पर विचरण कर रहे होंगे और व्यतिपात योग के साथ ही गज केसरी व बुधादित्य योग भी बन रहा होगा।
अपनी माता सहित हर स्त्री का सम्मान
इस प्रकार अपनी माता सहित हर स्त्री का सम्मान, पति-पत्नी के मध्य विशेष प्रेम बढ़ने का, जो भी काम करें उसमे तकनीक से लाभ होने का, आधुनिक इलेक्ट्रिक चीजों व पराविज्ञान में लाभ होने का, सीमित मात्रा में हमें ऊर्जा प्राप्त होने का, धन-परिवार व शिक्षा का लाभ जीवन में संतान सुख से पाने का उदया तिथि में योग बन रहे हैं।
यह व्रत सुहागिनों स्त्रियों के अखण्ड सौभाग्य प्राप्ति का महान अवसर होता है। जिसमें शिव, पार्वती और स्वामी कार्तिकेय को पूजा जाना मन की खुशियों का प्रतीक चन्द्रमा तथा विघ्न विनाशक गणेश दोनों की पूर्ण कृपा दिला पाता है।
करवाचौथ 20 अक्तूबर चंद्रोदय समय
रात्रि - 07:46
पूजन शुभ समय शाम – 05:46 से 07:44 तक
पति-पत्नी के मध्य प्रेम समर्पण का प्रतीक
महिलाओं में भी और पुरूषों में भी कौतुहल, उत्साह, उमंग भरा पावन पर्व जो पति-पत्नी के मध्य प्रेम अनुराग व समर्पण का प्रतीक है जिसे हम सब करवाचौथ के नाम से जानते है इस प्रकार का करक चतुर्थी व्रत जिसे रोहिणी व्रत के नाम से भी जाना जाता है।
इसलिए दिया जाता है सास को उपहार
सुहागिन स्त्रियों का सुहाग जो पति होते हैं वो दरअसल सुहागिन स्त्री की सास मां की ही देन होते हैं। जो कि बड़ा करके लायक बनाकर उस बहू को प्रदान करती है मां इसलिए सासु मां के प्रति अभार प्रकट करने का भी यह बड़ा अवसर होता है करवाचौथ। जिसमें व्रती बहुऐं अपनी सास मां को अथवा उनके समान किसी सम्मानित महिला को शुभ बायना निकाल कर उपहार स्वरूप भेंट प्रदान कर उनके चरणों में माथा रख कर ये भाव किया जाता है कि आप ही के आशीर्वाद से मुझको मेरा सुहाग व सौभाग्य प्राप्त हुआ है और ये मेरा सौभाग्य सदा बना रहे।
ऐसे किया जाना चाहिए रात्रि को चन्द्र पूजा
लगभग रात्रि को आठ बजे अथवा उसके पश्चात जब भी चन्द्र उदय हो रहे हों चन्द्रमा के समक्ष जल भरा मिट्टी का अथवा किसी भी धातु का करवा अर्थाता ऐसा पात्र जिसमें जल निकासी के लिए चोंच बनी हुई हो में जल भर कर दो चुटकी चावल, धागे वाली मिश्री, कच्चा दूध डाल कर गंगा जल भी डाल लें जिससे कि वह जल पूर्णता चन्द्र जल बन जाये। सबसे पहले भगवान गणेश का ध्यान करके दूर्वा व बूंदी के लड्डू अर्पित करें। भगवान शिव के लिए दूध तथा मां पार्वती व चन्द्र देव के लिए खीर का भोग एवं भगवान कार्तिकेय के लिए मालपुवा अथवा गुलाबजामुन अतिप्रिय भोग लगाने से व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होने के योग बनते हैं। इसके बाद सभी सुहागिन महिलायें प्रचलित व्रत कथा इन्द्रप्रस्थ नगरी के वेद शर्मा नामक ब्राह्मण के सात पुत्रों और एक वीरावती नामक पुत्री की कथा सुने व कहें। जिसमें करवाचौथ व्रत भंग होने के कारण पति ने मृत्यु तुल्य कष्ट पाया था और इन्द्राणी के परामर्श से अपना सुख सौभाग्य हमेशा के लिए पाया। इसी प्रकार भगवान कृष्ण के परामर्श अनुसार द्रोपदी ने भी करवाचौथ का व्रत रखा था जिस कारण महाभारत युद्ध में पाण्डवों को छोड़ कर सभी मृत्यु को प्राप्त हो गये। इसीलिए हर आस्थावान भारतीय सुहागिन सम्पूर्ण श्रृंगार सहित अपने दाम्पत्य जीवन की मंगलकामना के लिए करती हैं, व्रत उल्लास व उत्साह पूर्वक हर वर्ष करवाचौथ का।
करवे को पहले से कलावे से बंधा
अपने शुभ करवे को पहले से कलावे से बंधा तथा रोली व हल्दी द्वारा शुभ ऊँ व स्वास्तिक चिन्हों से शोभित हो चन्द्र मंत्र ”ऊँ सोम सोमाय नमः“ जपते हुए अपने स्थान पर ही 7 बार घूम कर चन्द्रमा को देवराज इन्द्र की पत्नी इन्द्राणी का ध्यान करते हुए 7 बार अर्घ्य दें तथा धरती पर गिरे जल को माथे से वरदान के रूप में अवश्य लगायें। इसके उपरांत ही अपने कुल देवता, कुल देवी, बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद ले कर व्रत खोलें। व्रती पत्नी अपने सुहाग के चरण स्पर्श करके माथे से लगाने पर सुख सौभाग्य व प्रेम की वृद्धि का वरदान मिलता है।
करवा चौथ पर पति करें ये काम
करवाचौथ वाले दिन जिस पति की पत्नी व्रत रख रही हो उसके प्रति पति का प्रेम व ख्याल और कद्र लगातार बढाने का संकल्प लेना पति का परम कर्तव्य हो जाता है।
- पति व्रत रखें या न रखें पर पत्नी के व्रत में सहयोग व साथ अवश्य दें।
- पत्नी को खुश तो रखें ही पूरे वर्ष प्रसन्न रखने का संकल्प लें।
- जिस पत्नी द्वारा संकल्पित व्रत अपने पति के पूर्ण स्वास्थ्य व पूर्ण आयु के लिए रखा जा रहा है उसके प्रति अभार व्यक्त करने हेतु पूरे वर्ष पत्नी की भावनाओं व स्वास्थ्य का ख्याल रखने का वचन लें।
- शिव पार्वती के प्रेरणादायक दाम्पत्य जीवन को अपने जीवन में उतारने का संकल्प लें और पत्नी के प्रति पूर्ण निष्ठावान रह कर पत्नी को सबसे बड़ा सुख प्रदान करें।
इस प्रकार करवाचौथ का त्यौहार वैवाहिक जीवन की सफलता का उल्लासपूर्वक मनाया जाने वाला महापर्व हो जाता है क्योंकि भारतीय संस्कृति में उल्लास पूर्ण उत्सव भरा जीवन ही जीवन की सार्थकता है।
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