डाला छठ पर्व पर डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए मिर्ज़ापुर नगर के गंगा किनारे बने घाटों पर श्रद्धालुओं का उमड़ा जनसैलाब। तीन दिवसीय इस व्रत को बहुत ही कठिन व्रत माना जाता है।
सूर्य को अर्घ्य देने उमड़े श्रद्धालु : धूमधाम से मना छठ का महापर्व, कल होगा समापन
Nov 07, 2024 21:25
Nov 07, 2024 21:25
श्रद्धालुओं का भारी जनसैलाब उमड़ा
महापर्व छठ पूजा, जो कभी बिहार तक ही सीमित थी, आज पूरे देश में बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। मिर्ज़ापुर नगर के विभिन्न घाटों पर आज डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए श्रद्धालुओं का भारी जनसैलाब उमड़ पड़ा था। छठ पर्व का आरंभ 'नहाय-खाय' के साथ होता है। इस दिन व्रती महिलाएं भोर में उठकर स्नान आदि कर नए वस्त्र पहन सूर्य देव को जल अर्पित करती हैं। इसके बाद सात्विक आहार ग्रहण कर अपने व्रत की शुरुआत करती हैं। नहाय-खाय के दिन कद्दू की सब्जी, लौकी, चने की दाल और भात (चावल) खाया जाता है। नहाय-खाय का भोजन बिना लहसुन और प्याज के सात्विक तरीके से तैयार किया जाता है। व्रती के खाने के बाद ही परिवार के अन्य लोग नहाय-खाय का खाना खा सकते हैं।
कल होगा व्रत का समापन
व्रत के दूसरे दिन 'खरना' होता है, जिसमें गुड़ की खीर और रोटी बनाई जाती है। आज तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए घर के पुरुष, सिर पर डाला रखकर बैंड-बाजे के साथ नदी किनारे पहुंचते हैं, जबकि महिलाएं जल में खड़ी होती हैं और पुरुष अर्घ्य देते हैं। कल उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही इस व्रत का समापन हो जाएगा।
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