देवोत्थान एकादशी के पर्व पर विंध्याचल धाम में एक अलौकिक दृश्य देखने को मिला, जब पूरे मंदिर परिसर को दीपों और रंगोली से सजाया गया। हजारों दीपों से सजा मंदिर परिसर मानो स्वर्ग से भी सुंदर लग रहा था।
देवोत्थान एकादशी : मंदिर परिसर को रंगोली से सजाया, दीपों से जगमगाया विंध्याचल धाम, भक्ति गीतों से विभोर हुए भक्त
Nov 13, 2024 17:43
Nov 13, 2024 17:43
रंगोली सजाकर मंदिर के प्रत्येक कोने को आकर्षक बनाया
विंध्याचल धाम में विशेष रूप से रंगोली सजाई गई और मंदिर के प्रत्येक कोने को आकर्षक विद्युत सजावट से नहलाया गया। भक्तों ने मां विंध्यवासिनी के भव्य श्रृंगार का दर्शन किया और मंदिर की सीढ़ियों से लेकर छत तक दीपों की कतार ने इस धार्मिक स्थल को दिव्य रूप में बदल दिया। देर रात तक विभिन्न प्रदेशों के कलाकारों ने भक्ति गीतों की शानदार प्रस्तुति दी, जिससे माहौल और भी भक्तिमय हो गया।
जयकारे गूंजते रहे
विंध्याचल धाम में मनाए गए प्रबोधिनी एकादशी पर्व के दौरान मां विंध्यवासिनी के जयकारे गूंजते रहे। मान्यता है कि इस दिन देवी-देवता मां के धाम में हाजिरी लगाते हैं और भक्त उनके आशीर्वाद से समृद्ध होते हैं। देवोत्थान एकादशी को विशेष महत्व दिया जाता है, क्योंकि इस दिन से धार्मिक कार्यों का आरंभ होता है। पंडा समाज ने इस दिन मां के धाम को दीपों से सजाया और दीपदान से भक्तों की मनोकामनाओं की पूर्ति की।
भक्ति संगीत ने भक्तों को भक्ति भाव से विभोर कर दिया
कार्यक्रम में शामिल कलाकारों की भक्ति संगीत ने भक्तों को भक्ति भाव से विभोर कर दिया। हवा में संगीत की लहरें थीं और हर भक्त माता के जयकारे में झूमता हुआ नज़र आया। इस कार्यक्रम का संयोजन श्रृंगारिया शेखर शरण उपाध्याय, रघुवर दयाल उपाध्याय और राघवेंद्र उपाध्याय ने किया, जिन्होंने इस धार्मिक आयोजन को और भी भव्य और सशक्त बनाया। धार्मिक आस्था और उत्साह के इस अद्भुत मिलाजुले दृश्य ने विंध्याचल धाम को एक नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया।
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