मुरादाबाद के कुंदरकी कस्बे में जन्मीं और हिमाचल प्रदेश के बद्दी जिले की तेज-तर्रार IPS अधिकारी इल्मा अफरोज ने लंबी खामोशी के बाद अपनी आवाज बुलंद की। खनन माफिया और नशे के सौदागरों...
IPS इल्मा ने चुप्पी तोड़ी : बोलीं- खनन माफिया और तस्करों पर मैंने नकेल कसी, छुट्टी बढ़ाने का लिया फैसला
Nov 28, 2024 10:51
Nov 28, 2024 10:51
खनन माफिया और नशे के कारोबार पर लगाई लगाम
इल्मा अफरोज ने बद्दी में अपनी तैनाती के अनुभव साझा करते हुए कहा, "जब मैं पुलिस अधीक्षक बनी तो मैंने नशे के सौदागरों और खनन माफिया के खिलाफ जमीनी स्तर पर सख्त कार्रवाई की।" उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने बच्चों और युवाओं को नशे से बचाया और तस्करों को सलाखों के पीछे पहुंचाया। इल्मा ने गर्व के साथ कहा कि उनकी ईमानदार मेहनत से बद्दी जिले में नशे और अवैध खनन पर काफी हद तक काबू पाया गया।
झुग्गी-झोपड़ी के बच्चों के लिए खोले दरवाजे
अपने कार्यकाल के दौरान इल्मा ने न केवल अपराधियों के खिलाफ अभियान चलाया, बल्कि मानवता का उदाहरण भी पेश किया। उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने अपने बंगले के दरवाजे झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले बच्चों के लिए खोल दिए। "मैं ऑफिस टाइम के बाद उन्हें पढ़ाती और उनके साथ खेलती," इल्मा ने भावुक होकर कहा। उन्होंने कहा कि बच्चों के चेहरों पर मुस्कान लाना उनके जीवन के सबसे संतोषजनक अनुभवों में से एक रहा।
"इंडिया फर्स्ट" की भावना हमेशा रखें
इल्मा ने छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा, "आप जो भी बनें, लेकिन आपके दिल में हमेशा 'इंडिया फर्स्ट' की भावना होनी चाहिए। हमारे लिए देश पहले है और हम बाद में।" उन्होंने छात्राओं से जय हिंद बुलवाकर अपने भाषण को और जोश भरा बना दिया।
"अगर मैं ऑक्सफोर्ड जा सकती हूं, तो आप भी जा सकती हैं"
इल्मा ने छात्राओं को अपनी प्रेरणादायक यात्रा के बारे में बताया। "मैं कुंदरकी की गलियों में पली-बढ़ी हूं, लेकिन मैंने ठाना कि मुझे ऑक्सफोर्ड जाना है और मैंने वह सपना पूरा किया।" उन्होंने कहा कि अगर उन्होंने यूएन, न्यूयॉर्क और सिविल सेवाओं में अपनी जगह बना ली तो छात्राएं भी ऐसा कर सकती हैं।
राजनीतिक टकराव के बाद बढ़ाई छुट्टियां
इल्मा अफरोज 2017 बैच की IPS अधिकारी हैं और हिमाचल प्रदेश के बद्दी जिले की SP के रूप में तैनात थीं। खनन माफिया के खिलाफ उनकी सख्त कार्रवाई के चलते उनका कांग्रेस विधायक रामकुमार चौधरी से टकराव हो गया। 13 नवंबर को उन्होंने छुट्टी ली और मुरादाबाद अपने घर लौट आईं। 21 नवंबर को उनकी छुट्टियां खत्म होनी थीं, लेकिन उन्होंने इसे आगे बढ़ा लिया है।
14 साल की उम्र में पिता को खोया
इल्मा अफरोज के जीवन में पहली बड़ी चुनौती तब आई, जब वे महज 14 साल की उम्र में अपने पिता को कैंसर के कारण खो बैठीं। इसके बाद उनकी मां ने अकेले ही इल्मा और उनके 12 वर्षीय भाई को पालने की जिम्मेदारी उठाई। इल्मा ने विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए शिक्षा को अपनी प्राथमिकता बनाते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफन कॉलेज से दर्शनशास्त्र में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से स्कॉलरशिप प्राप्त की और आगे की पढ़ाई के लिए ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय गईं। यहां उन्होंने अपने ज्ञान को बढ़ाने के लिए पेरिस में भी एक्सचेंज प्रोग्राम में भाग लिया। न्यूयॉर्क में एक फाइनेंशियल कंपनी से अच्छे पेशेवर पैकेज का नौकरी का प्रस्ताव मिला लेकिन देश की सेवा की ख्वाहिश में उन्होंने यह प्रस्ताव ठुकराकर भारत लौटने का फैसला किया।
जानिए कहां से शुरू हुआ विवाद
यह विवाद 4 अगस्त 2024 को शुरू हुआ। जब बद्दी पुलिस ने दून विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस विधायक राम कुमार चौधरी की पत्नी कुलदीप कौर के खनन से जुड़े दो उपकरणों– डंपर और पोलेन मशीन को जब्त किया। इस पर जुर्माना भी लगाया गया। बताया जाता है कि इस कार्रवाई के बाद विधायक की पत्नी ने पुलिस अधीक्षक (एसपी) इल्मा अफरोज पर राजनीतिक दबाव बनाने की कोशिश की। वहीं पुलिस द्वारा कार्रवाई जारी रखने पर विधायक राम कुमार चौधरी ने विधानसभा में एक विशेषाधिकार हनन नोटिस दायर कर दिया और आरोप लगाया कि एसपी इल्मा अफरोज उनकी जासूसी कर रही हैं। विधायक के इस आरोप ने मामला तूल पकड़ लिया और दोनों पक्षों के बीच तनाव बढ़ गया। विवाद इस कदर बढ़ा कि आईपीएस अधिकारी इल्मा अफरोज ने रातों-रात अपना सरकारी बंगला खाली कर दिया और मुरादाबाद अपने घर चली गईं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इल्मा ने लंबे समय के लिए छुट्टी पर जाने का निर्णय लिया। जिससे उनकी वापसी के सवाल पर सस्पेंस बना हुआ है।
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