2 लीटर दूध, 150 बच्चे : मिर्जापुर के सरकारी स्कूल का अजीब मिड डे मील, चम्मच से दिया जा रहा दूध!

मिर्जापुर के सरकारी स्कूल का अजीब मिड डे मील, चम्मच से दिया जा रहा दूध!
UPT | एक सरकारी स्कूल में दूध वितरण में धांधली

Dec 12, 2024 17:12

मिर्जापुर के एक सरकारी स्कूल में मिड डे मील के नाम पर 150 बच्चों के बीच सिर्फ 2 लीटर दूध बांटा जा रहा है, जिसका मतलब हर बच्चे को महज 13 मिलीलीटर दूध मिल रहा है। जबकि मिड डे मील के तहत बच्चों को 150 से 200 ग्राम दूध देने का प्रावधान है। यह मामला अब चर्चा का विषय बन गया है और स्कूल प्रशासन पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।

Dec 12, 2024 17:12

Mirzapur News : उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों में मिड डे मील योजना के तहत छात्रों को मिलने वाले भोजन की गुणवत्ता पर अक्सर सवाल उठते रहते हैं। कभी बच्चों को घटिया गुणवत्ता का भोजन दिया जाता है, तो कभी इसमें कीड़े तक पाए जाते हैं। इसके बावजूद योगी सरकार द्वारा इस योजना के लिए बजट जारी किया जाता है और शिक्षा विभाग के द्वारा मेनू भी निर्धारित किया जाता है, जिसे स्कूलों में पालन करने का आदेश होता है। मगर, जब जिम्मेदार अधिकारी और शिक्षक इस आदेश का पालन नहीं करते, तो ऐसी घटनाएँ सामने आती हैं, जो बच्चों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करती हैं। 

मिर्जापुर के सरकारी स्कूल में घटिया दूध वितरण 
इसी प्रकार की एक हैरान करने वाली घटना मिर्जापुर जिले के एक सरकारी स्कूल (कंपोजिट विद्यालय) से सामने आई है। यह घटना जमालपुर विकासखंड के ग्राम सभा हिनौता के कंपोजिट विद्यालय से जुड़ी हुई है। इस स्कूल में 150 बच्चों का नामांकन है और इन बच्चों को 2 लीटर दूध वितरित किया जा रहा था, जो कि बेहद चौंकाने वाली बात है। इसका मतलब यह हुआ कि प्रत्येक बच्चे को मात्र 13 मिलीलीटर दूध मिल रहा था, जो बच्चे के गले को भी तर नहीं कर सकता। जबकि मिड डे मील के नियमों के अनुसार प्रत्येक बच्चे को 150 से 200 ग्राम दूध दिया जाना चाहिए।

ग्रामीणों ने सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल किया
ग्रामीणों को जब इस बात का पता चला, तो उन्होंने इस मुद्दे को लेकर वीडियो बना लिया। वीडियो में यह स्पष्ट रूप से दिखाया गया कि विद्यालय में दूध वितरण के दौरान स्कूल के प्रिंसिपल ने यह बताया कि तीन लीटर दूध है, लेकिन जब ग्रामीणों ने दूध की माप की, तो यह केवल 2 लीटर निकला। यह वीडियो 4 दिसंबर का है और इस वीडियो को सोशल मीडिया पर वायरल किया गया। इसके बाद, यह वीडियो एबीएसए (एडिशनल बेसिक शिक्षा अधिकारी) जमालपुर को भी भेजा गया, जिससे पूरे मामले की गंभीरता का पता चला। 

खंड शिक्षा अधिकारी ने की जांच और प्रिंसिपल को निलंबित किया
ग्रामीणों की शिकायत पर खंड शिक्षा अधिकारी देवमणि पांडेय ने मामले की जांच की। उन्होंने स्कूल का दौरा किया और जांच रिपोर्ट तैयार की, जिसके आधार पर बीएसए (बेसिक शिक्षा अधिकारी) ने प्रधानाध्यापिका सरिता देवी को निलंबित कर दिया। बीएसए ने कहा कि, "प्राथमिक विद्यालय के मिड डे मील की गुणवत्ता और दूध वितरण की सही स्थिति की जांच के लिए एक टीम गठित की गई है। यदि घटना की पुष्टि होती है तो प्रधानाध्यापिका के खिलाफ सख्त दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।" 

मिड डे मील योजना का पालन क्यों जरूरी है?
मिड डे मील योजना के तहत सरकारी स्कूलों में छात्रों को एक निर्धारित मेन्यू के अनुसार भोजन दिया जाता है, जो उनकी पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए तैयार किया जाता है। योजना के तहत बच्चों को प्रत्येक सप्ताह विशेष प्रकार के खाद्य पदार्थ दिए जाते हैं, जैसे कि रोटी, चावल, सब्जी, दाल, और दूध।  

नियमों के मुताबिक, 1 से लेकर कक्षा 5 तक के बच्चों को 150 ग्राम दूध दिया जाता है, जबकि कक्षा 6 से कक्षा 8 तक के बच्चों को 200 ग्राम दूध देना अनिवार्य है। यह नियम बच्चों की शारीरिक वृद्धि और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए बनाए गए हैं।

क्या है इस मामले का बड़ा मुद्दा?
इस पूरे मामले का सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि स्कूल में बच्चों को मिलने वाले भोजन की गुणवत्ता और मात्रा में लापरवाही बरती जा रही है। अगर हर बच्चे को मात्र 13 मिलीलीटर दूध मिलेगा, तो यह उनकी सेहत के लिए खतरे की घंटी हो सकती है। यही नहीं, शिक्षा विभाग द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार भोजन और दूध की गुणवत्ता में कमी को नजरअंदाज करना सीधे तौर पर बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन है।

क्या है मिड डे मील योजना का उद्देश्य 
उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों में मिड डे मील योजना का उद्देश्य बच्चों को पौष्टिक भोजन प्रदान करना है, ताकि उनकी पढ़ाई में कोई विघ्न न आए और उनका स्वास्थ्य भी सही रहे। ऐसे मामलों में तत्काल कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि बच्चों को गुणवत्ता युक्त भोजन मिल सके और उनकी सेहत पर कोई प्रतिकूल असर न पड़े।  

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