नवरात्रि के दूसरे दिन मां विंध्यवासिनी के ब्रह्मचारिणी रूप की आराधना की जाती है। भक्तजन इस दिन मां के इस दिव्य स्वरूप का पूजन करके अपने कष्टों को दूर करने की प्रार्थना करते हैं।
Mirzapur News : नवरात्रि के दूसरे दिन मां विंध्यवासिनी के ब्रह्मचारिणी रूप में भक्तों को मिला सच्चा सुख
Oct 04, 2024 14:59
Oct 04, 2024 14:59
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विन्ध्य पर्वत और गंगा के संगम तट पर विराजमान
मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप अत्यंत दिव्य और प्रेरणादायक होता है। वे सफेद वस्त्र धारण किए हुए हैं और एक हाथ में कमंडल तथा दूसरे हाथ में माला लिए हुए सभी भक्तों के लिए आराध्य हैं। मां विंध्यवासिनी, जो विन्ध्य पर्वत और गंगा के संगम तट पर विराजमान हैं, अपने भक्तों के सभी कष्टों को दूर करने का आश्वासन देती हैं। ब्रह्मचारिणी का स्वरूप शक्ति विग्रह के रूप में भी जाना जाता है। यह स्वरूप तपस्वियों के लिए प्रेरणा स्रोत है। इनकी आभा चंद्रमा के समान निर्मल और कान्तिमय होती है। इनकी शक्ति का स्थान स्वाधिष्ठान चक्र में माना जाता है, और यह सभी प्राणियों को सदमार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती हैं।
दर्शन के लिए भक्तों की भारी भीड़
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। इस नवरात्रि में भक्तजन पंचामृत का भोग अर्पित करके मां को प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं। यहां तक कि कई भक्त दूर-दूर से आकर नौ दिन तक मां की आराधना करते हैं। दर्शन के लिए भक्तों की भारी भीड़ होती है, और सभी मां के दरबार में आकर भाव विभोर हो जाते हैं। नवरात्रि के इस पावन अवसर पर मां की मनोहारी दर्शन से भक्तों को मानसिक शांति और ऊर्जा प्राप्त होती है। मां के विभिन्न रूपों की पूजा कर सभी भक्त अपने सभी कष्टों से मुक्ति पाने की कामना करते हैं।
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