पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (PUCL) के जिला अध्यक्ष संतोष पटेल एडवोकेट ने बुधवार को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, मुख्य सचिव व पुलिस महानिदेश को पत्र भेजा है। और पत्र में कस्टडी के दौरान हुई...
एसटीएफ कस्टडी में हुई थी युवक की मौत : मानवाधिकार आयोग को भेजा पत्र, दोषियों के खिलाफ जांच की मांग
Mar 20, 2024 16:13
Mar 20, 2024 16:13
- युवक अजय प्रताप की एसटीएफ कस्टडी के दौरान हुई थी मौत
- मानवाधिकार आयोग को भेजा पत्र
- कस्टडी में हुई मौत को छुपाने की कोशिश
बीमारी में भी हुई थी गिरफ्तारीसोनभद्र: पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) के जिला अध्यक्ष संतोष पटेल एडवोकेट ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, मुख्य सचिव व पुलिस महानिदेश को पत्र भेजकर लखनऊ के सांगीपुर से गिरफ्तार किए गए युवक अजय प्रताप की एसटीएफ कस्टडी के दौरान हुई मौत को मानवाधिकार के लिहाज से गंभीर… pic.twitter.com/KrlcL4MBXP
— Uttar Pradesh Times (@UPTimesLive) March 20, 2024
पटेल ने बताया कि 18 मार्च, 2024 को एक अखबार में प्रकाशित खबर के मुताबिक 17 मार्च, 2024 को स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) लखनऊ ने 45 वर्षीय अजय प्रताप को उनके घर से हिरासत में लिया। एसटीएफ का कहना था कि अजय प्रताप के खिलाफ लखनऊ के गोमतीनगर थाने में एनडीपीएस एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज है और वे उसी संबंध में पूछताछ के लिए उन्हें ले जा रहे हैं। परिजनों ने एसटीएफ को बताया कि अजय प्रताप की तबीयत खराब है और अजय प्रताप के इलाज का पर्चा भी दिखाया, लेकिन एसटीएफ वाले नहीं माने और उन्हें लेकर चले गए।
कस्टडी में हुई मौत को छुपाने की कोशिश
एसटीएफ की कस्टडी में जाने के बाद अजय प्रताप की तबियत खराब हो गई और अस्पताल पहुंचने से पहले ही उनकी मौत हो गई। खबर के मुताबिक जब अजय प्रताप को डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया तो एसटीएफ वाले उन्हें किसी दूसरे नाम से अस्पताल में भर्ती कराकर भाग गए। जाहिर है ऐसा उन्होंने इसलिए किया कि इसे हिरासत में मौत न साबित किया जा सके। इससे यह भी पता चलता है कि इस मौत के लिए जिम्मेदार एसटीएफ के लोग इस मामले को सामान्य मौत दिखाना चाहते हैं और उनके द्वारा किया जा रहा यह दूसरा आपराधिक कृत्य है।
एसटीएफ के खिलाफ एफआईआर दर्ज
यह पूरी घटना एसटीएफ की अराजक और गैरकानूनी और आपराधिक कार्यवाही को उजागर करती है। अजय प्रताप की बेटी ने एसटीएफ के खिलाफ सांगीपुर थाने में एफआईआर दर्ज कराई है, लेकिन एक मानवाधिकार संगठन के नाते हम इसे मानवाधिकार हनन की अति गंभीर घटना मानते हैं। पुलिस हिरासत में हुई मौत की कई घटनाओं में सुप्रीम कोर्ट ने इसे हत्या का मामला मानते हुए सम्बन्धित पुलिस वालों के खिलाफ मुकदमा चलाने की नजीर दी है।
एलिट एजेंसी एसटीएफ की हिरासत में हुई मौत का मामला
सीआरपीसी की धारा 46 के अनुसार गिरफ्तारी के दौरान पुलिस किसी की हत्या नहीं कर सकती और सीआरपीसी की धारा 176(1) कहती है कि यदि पुलिस हिरासत में किसी व्यक्ति की मौत होती है, वह गायब हो जाता/जाती है या महिला के साथ बलात्कार होता है तो न्यायिक मजिस्ट्रेट उसकी न्यायिक जांच का आदेश दे सकता है। यह मामला भी पुलिस की एलिट एजेंसी एसटीएफ की हिरासत में हुई मौत का है, इसलिए यह जांच और हत्या के मुकदमे का विषय है।
व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का हुआ हनन
गौरतलब है इस मामले में घर के लोगों ने एसटीएफ के लोगों को अजय प्रताप की बीमारी के बारे में आगाह भी किया था और बीमारी का पर्चा भी दिखाया था। इसके बावजूद एसटीएफ ने इस तथ्य की अनदेखी करते हुए अजय प्रताप को हिरासत में ले लिया। यह गिरफ्तार व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का सरासर हनन है और न्यायिक प्रक्रिया की अवहेलना का मामला है। हिरासत में भी व्यक्ति के जीवन की रक्षा का अधिकार संविधान द्वारा सुनिश्चित किया गया है। एसटीएफ के लोगों ने इसकी अवहेलना की है, जो कि आपराधिक कृत्य है।
हिरासत में हुईं मौतों का डाटा
जानकारी के अनुसार 2020-2022 तक पूरे देश में करीब 4,400 मौतें हिरासत में हुईं, जिसमें से अकेले उत्तर प्रदेश में 21 प्रतिशत मौतें हुई हैं, जो पूरे देश में सबसे अधिक है। यह किसी भी लोकतंत्र के लिए शर्मनाक आंकड़ा है। अगर इस तरह की घटनाओं को संज्ञान में न लेकर, कार्यवाही न की गई तो इसे रोका नहीं जा सकेगा। पटेल ने कहा कि पीयूसीएल हिरासत में हुई मौत की इस घटना पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए निम्नलिखित मांग करता है।
- पुलिस हिरासत में हुई इस मौत की न्यायिक जांच कराई जाय।
- संबंधित एसटीएफ के अधिकारियों को तुरंत गिरफ्तार किया जाय, ताकि वे जांच को, उनसे जुड़े गवाहों को प्रभावित न कर सकें।
- संबंधित एसटीएफ के लोगों पर हत्या का मुकदमा चलाया जाय।
- मृतक के आश्रित परिजनों को मुआवजा दिया जाए।
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