Sonbhadra News : रंगों का भारतीय शास्त्रों में वैज्ञानिक, चिकित्सीय महत्व , जानिए कैसे...

रंगों का भारतीय शास्त्रों में वैज्ञानिक, चिकित्सीय महत्व , जानिए कैसे...
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Mar 20, 2024 18:01

हमारे जीवन में हवन, यज्ञ, पूजन, रंग का विशेष महत्व है, भारतीय सांस्कृतिक परंपरा में मनाया जाने वाले प्रत्येक पर्व, त्यौहार, व्रत, उपवास का वैज्ञानिक महत्व है...

Mar 20, 2024 18:01

Short Highlights
  • अखिल भारतीय गायत्री परिवार सोनभद्र की ओर से हुआ महायज्ञ का आयोजन
  • गायत्री परिजनों ने एक दूसरे से गले मिलकर,अबीर लगाकर दी रंगभरी एकादशी की बधाई
  • ढोलक की थाप पर फागुनी गीतों की बही बयार
Sonbhadra News (ज्ञान प्रकाश चतुर्वेदी) : अखिल भारतीय गायत्री परिवार सोनभद्र द्वारा रंग भरी एकादशी के अवसर पर गायत्री माता मंदिर परिसर में रंग- गुलाल से होली खेलने का कार्यक्रम आयोजित हुआ। आचार्य अरुण शास्त्री के आचार्यत्व में गायत्री महायज्ञ, हवन, पूजन, आरती प्रसाद वितरण संपन्न हुआ। 

भारतीय संस्कृतिक परंपरा के त्यौहारों का वैज्ञानिक महत्व
इस अवसर पर उपस्थित गायत्री परिजनों को संबोधित करते हुए मुख्य यजमान दीपक कुमार केसरवानी ने कहां कि हमारे जीवन में हवन, यज्ञ, पूजन, रंग का विशेष महत्व है, भारतीय संस्कृतिक परंपरा में मनाया जाने वाले प्रत्येक पर्व, त्यौहार, व्रत, उपवास का वैज्ञानिक महत्व है। रंगों का त्योहार होली के पूर्व रंगभरी एकादशी से ही होली प्रारंभ हो जाता है। इस दिन सभी देवालयों, शिवालयों में भक्तजन अपने ईष्ट देवी-देवताओं को रंग-गुलाल, अबीर चढ़ाकर, ढोलक की थाप फागुनी लोकगीत का गायन कर प्रसन्न करते हैं। इसी परंपरा के निर्वहन के लिए आज हम सभी गायत्री परिजन यहां उपस्थित हुए हैं। 

रंगों का भारतीय शास्त्रों में वैज्ञानिक, चिकित्सीय महत्व  
आयुर्वेदिक परंपराओं के अनुसार मनुष्य को स्वस्थ रखने के दृष्टि से रंगों का त्योहार होली मनाए जाने परंपरा की शुरुआत हुई। होली के दिन एक दूसरे पर प्राकृतिक रंगों की वर्षा कर एक दूसरे की स्वस्थ होने की मंगल कामना करते हैं। आज भी हमारे आदिवासीजन प्राकृतिक रंग फूलों, पेड़ों के पत्तों, हल्दी आदि आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों से तैयार कर एक दूसरे पर प्राकृतिक रंग बरसाकर आज के आधुनिक समय में भी प्रकृति से जुड़े रहने का संदेश देते हैं।आज भी इस परंपरा का पालन हम लोगों द्वारा किया जा रहा है।

यह सभी रहे उपस्थित
कार्यक्रम में गायत्री मंत्र, एकादशी कथा के पश्चात महिलाओं ने आदि देवता भगवान शंकर-भगवती पार्वती, युग पुरुष भगवान राम-सीता, कृष्ण-राधा आदि देवी-देवताओं पर आधारित फागुनी गीत गाकर उपस्थित जनों को आध्यात्मिक, सांसारिक आनंद से सरोबार कर दिया। आनंदित महिलाओं-पुरुषों और बच्चों ने एक दूसरे को अबीर-गुलाल लगाकर रंगभरी एकादशी बधाई देते हुए विश्व की समस्त मानव जाति के स्वस्थ्य, सुखी, दीर्घायु होने की मंगल कामना किया। इस अवसर पर मिथलेश देवी, उषा, सुमन, शोभा, आशा, उर्मिला, शशि, सावित्री, सरिता, रामा, पुष्पा, लीलावती, गीता, श्यामा योगेश्वरी देवी, हर्षवर्धन,रामदेव, जयराम सोनी, आनंद शंकर गुप्त, आदि गायत्री परिजन उपस्थित रहे।

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