Sonbhadra News : बाल भिक्षावृत्ति और मानव तस्करी रोकथाम के लिए विशेष अभियान, जागरूकता और रेस्क्यू ऑपरेशन पर जोर

बाल भिक्षावृत्ति और मानव तस्करी रोकथाम के लिए विशेष अभियान, जागरूकता और रेस्क्यू ऑपरेशन पर जोर
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Oct 03, 2024 18:30

सोनभद्र जिले के चोपन और डाला क्षेत्र में जिला बाल संरक्षण इकाई और वन स्टॉप सेंटर की संयुक्त टीम ने मानव तस्करी और बाल भिक्षावृत्ति रोकथाम हेतु एक विशेष अभियान चलाया।

Oct 03, 2024 18:30

Sonbhadra News : सोनभद्र जिले के चोपन और डाला क्षेत्र में जिला बाल संरक्षण इकाई और वन स्टॉप सेंटर की संयुक्त टीम ने मानव तस्करी और बाल भिक्षावृत्ति रोकथाम हेतु एक विशेष अभियान चलाया। यह अभियान कस्बा चोपन, वैष्णो माता मंदिर और अन्य प्रमुख स्थानों पर संचालित किया गया। इस दौरान पुलिस की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट भी टीम के साथ थी, जिससे अभियान को और मजबूती मिली। 

जागरूकता और रेस्क्यू अभियान
जिला बाल संरक्षण इकाई सोनभद्र के ओआरडब्ल्यू शेषमणि दुबे ने बताया कि बाल भिक्षावृत्ति, बाल श्रम और मानव तस्करी की समस्याओं से निपटने के लिए जागरूकता और रेस्क्यू अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के तहत, ब्लॉक बाल कल्याण और संरक्षण समिति तथा ग्राम बाल कल्याण और संरक्षण समिति के सहयोग से उन नाबालिग बच्चों का डाटा इकट्ठा किया जा रहा है जो किसी भी प्रकार की बाल भिक्षावृत्ति, बाल श्रम, मानव तस्करी या बंधुआ मजदूरी में संलिप्त हैं। 

बाल श्रम और तस्करी एक गंभीर समस्या
यह विशेष अभियान न केवल बाल श्रम और तस्करी जैसी गंभीर समस्याओं को समाप्त करने के लिए उठाया गया कदम है, बल्कि इसमें जन-जागरूकता पैदा करने पर भी ध्यान दिया जा रहा है। टीम का मानना है कि समाज में जागरूकता फैलाना और लोगों को बच्चों को भीख देने से रोकना हम सबकी जिम्मेदारी है। इस संदर्भ में अभियान के दौरान लोगों को बच्चों से संबंधित किसी भी प्रकार की शोषणकारी गतिविधियों की सूचना देने और उन्हें सही दिशा में मदद करने के लिए प्रेरित किया गया। 



बाल अधिकारों की सुरक्षा
इस अभियान के माध्यम से टीम ने न केवल नाबालिग बच्चों को इन असुरक्षित और अवैध गतिविधियों से बचाने का प्रयास किया, बल्कि उन्होंने स्थानीय लोगों से भी अपील की कि वे ऐसे मामलों में तुरंत कार्रवाई करें और बच्चों की सुरक्षा में सहयोग दें। जिला प्रशासन और संबंधित विभागों की यह पहल न केवल बच्चों को बेहतर भविष्य देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह समाज में बाल अधिकारों की सुरक्षा को मजबूत करने का भी प्रयास है।

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