अमरोहा के गजरौला थाना क्षेत्र में मकर संक्रांति पर लाखों श्रद्धालुओं ने बृजघाट और तिगरी गंगा में आस्था की डुबकी लगाई। भारी भीड़ के कारण दिल्ली-लखनऊ नेशनल हाईवे पर कई किलोमीटर लंबा जाम लग गया, जिससे यातायात प्रभावित हुआ।
लाखों श्रद्धालुओं ने गंगा में लगाई आस्था की डुबकी : मकर संक्रांति पर बृजघाट और तिगरी धाम में उमड़े आस्थावान
Jan 14, 2025 14:04
Jan 14, 2025 14:04
रातभर उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब
गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं का आना सोमवार देर रात से ही शुरू हो गया था। गजरौला के बृजघाट और तिगरी धाम पर लोगों की भारी भीड़ जमा हो गई। अमरोहा ही नहीं, बल्कि संभल, बिजनौर, रामपुर, मुरादाबाद, मेरठ, बुलंदशहर और हापुड़ जैसे आसपास के जिलों से भी श्रद्धालु पहुंचे। श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान कर पवित्र जल अर्पित किया और अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान भी किया।
धार्मिक कार्यों में दिखा उत्साह
पवित्र स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने भगवान सत्यनारायण व्रत कथा का श्रवण किया और अपने परिवार की सुख-समृद्धि और कल्याण की कामना की। घाट पर मौजूद पुरोहितों ने श्रद्धालुओं से धार्मिक अनुष्ठान कराए और दान-पुण्य की महत्ता समझाई। भक्तों ने अन्नदान और गरीबों को भोजन कराकर पुण्य अर्जित किया।
कड़ाके की ठंड को दी मात
मकर संक्रांति पर्व की महत्ता इतनी गहरी है कि कड़ाके की ठंड भी श्रद्धालुओं की आस्था को डिगा नहीं सकी। लोग गर्म कपड़ों में लिपटे हुए गंगा में स्नान के लिए पहुंचे और पवित्र जल में डुबकी लगाई। यह मान्यता है कि मकर संक्रांति पर गंगा स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है और देवता प्रसन्न होते हैं।
पुलिस ने की सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद
गंगा स्नान के दौरान पुलिस ने सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए। बृजघाट और तिगरी धाम पर भारी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात रहे ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो। ट्रैफिक पुलिस ने भी यातायात व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रयास किए, लेकिन नेशनल हाईवे पर भारी भीड़ के कारण जाम की स्थिति बन गई।
मानवता और आस्था का संगम
श्रद्धालुओं ने अपने पितरों के प्रति श्रद्धा अर्पित करने के साथ-साथ जरूरतमंदों की मदद कर मानवता का संदेश दिया। इस पर्व ने न केवल धार्मिकता को प्रोत्साहित किया, बल्कि सामाजिक समरसता का भी उदाहरण प्रस्तुत किया।
आस्था का पर्व बना प्रेरणा का स्रोत
मकर संक्रांति पर गंगा स्नान और धार्मिक कार्यों के जरिए श्रद्धालुओं ने अपनी आस्था को और मजबूत किया। यह पर्व न केवल आत्मिक शुद्धि का माध्यम है, बल्कि समाज में एकता और भाईचारे को बढ़ावा देने का संदेश भी देता है। मकर संक्रांति का यह पावन पर्व आस्था, श्रद्धा और मानवता के संगम का प्रतीक बन गया है, जहां हर वर्ग और उम्र के लोग सम्मिलित होकर धार्मिकता और सामाजिकता का अनुभव करते हैं।
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