मृतक के बेटे ने गंभीर आरोप लगाए हैं कि उनके पिता के जनाजे की नमाज पढ़ाने से स्थानीय बड़ी मस्जिद के इमाम ने इनकार कर दिया। यह इनकार केवल इसलिए किया गया क्योंकि उनके पिता और परिवार भाजपा के समर्थक थे।
Moradabad News : भाजपा कार्यकर्ता था मृतक ...इमाम ने नहीं पढ़ाई जनाजे की नमाज, परिवार का सामाजिक बहिष्कार किया
Aug 02, 2024 16:10
Aug 02, 2024 16:10
ये था मामला
थाना कुंदरकी के मोहल्ला कायस्थान निवासी अलीदाद खान की 23 जुलाई को अचानक हृदय गति रुकने से मौत हो गई थी। जिसके बाद उनके परिवार का मुसलमानों ने सामाजिक बहिष्कार कर दिया था और जनाजे की नमाज न पढ़ने का फैसला सुना दिया जाता है। जिसके बाद मृतक के परिवार में कोहराम मच गया। काफी मशक्कत के बाद इशा की नमाज के बाद कहीं दूर से इमाम को बुलाकर जनाजे की नमाज अदा कराई गई और शव को दफना दिया गया।
उत्तर प्रदेश टाइम्स ने जानी मामले की हकीकत
जब यह पूरा मामला उत्तर प्रदेश टाइम्स के सामने आया तो उत्तर प्रदेश टाइम्स की टीम ग्राउंड रिपोर्ट के लिए मृतक अलीदत खान के घर कुंदरकी के कायस्थान मोहल्ले में दिलनवाज खान के पास पहुंची तो उसने हमारे कैमरे के सामने पूरी सच्चाई बयां करते हुए बड़ी मस्जिद के इमाम राशिद और समाज के कुछ लोगों को जिम्मेदार ठहराया और अपने पिता को याद करते हुए फफक कर रोने लगा।
सपा से जुड़े स्थानीय नेता खफा थे
मृतक के बेटे दिलनवाज का कहना है कि चूंकि उनके पिता भाजपा के सच्चे सिपाही थे और अक्सर कार्यक्रमों में हिस्सा लेते थे, जिससे सपा से जुड़े स्थानीय नेता खफा थे और उनके निधन के समय उन्होंने मिलकर उनका सामाजिक बहिष्कार कर दिया और जनाजे की नमाज भी पढ़ने से मना कर दिया। दिलनवाज का कहना है कि इमाम साहब और समाज द्वारा जनाजे की नमाज पढ़ने से मना करने के बाद उन्हें और उनके परिवार को काफी जिल्लत का सामना करना पड़ा। काफी मशक्कत के बाद उन्होंने अपने रिश्तेदारों के पास जाकर इमाम को बुलाया, जिसके बाद रात में उनके पिता की नमाज अदा हो सकी।
मृतक की बेटियों ने भी समाज के ठेकेदारों पर जमकर भड़ास निकाली है। उनका कहना है कि अब वो लोग हमारे इकलौते भाई को नुकसान पहचाना चाहते हैं इसलिए वो योगी सरकार से न्याय की गुहार लगा रहे है।
मामले में इमाम साहब ने दी सफाई
उत्तर प्रदेश टाइम्स की टीम ने जब कुंदरकी की बड़ी मस्जिद आला हजरत के इमाम राशिद से बात की तो उन्होंने कहा कि मृतक अलीदत के बेटे दिलनवाज द्वारा लगाए गए सभी आरोप पूरी तरह से बेबुनियाद हैं। हम धर्मगुरु हैं, हमारा राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा, हम कभी किसी से किसी पार्टी को वोट देने के लिए नहीं कहते हैं और न ही किसी पार्टी के बारे में बुरा बोलते हैं।
मैंने अलीदाद की जनाज़ा की नमाज़ नहीं पढ़ी क्योंकि मृतक हमारे इस्लाम के बारे में बुरा-भला कहता था और हमारे पैगम्बर के बारे में भी बहुत सी गलत बातें कहता था। क्योंकि हम पैगम्बर के सच्चे प्रेमी हैं, इसलिए मैंने उनके जनाज़े की नमाज़ नहीं पढ़ी। लेकिन हमने न तो उनका विरोध किया और न ही उनका सामाजिक बहिष्कार किया। उनके जनाज़े की नमाज़ इसी मस्जिद में पढ़ी गई और उन्हें इसी मस्जिद के कब्रिस्तान में दफ़नाया गया। अगर हमने उनका बहिष्कार या विरोध किया होता तो उनके जनाज़े की नमाज़ और दफ़न नहीं होता।
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