संभल जिले के मोहल्ला लक्ष्मण गंज में मिली बावड़ी का रहस्य अब उजागर हो रहा है। पांच दिन की खुदाई के बाद, एएसआई की टीम ने बावड़ी का सर्वे किया। खोदाई में ऊपरी मंजिल का लाल पत्थर का फर्श साफ नजर आने लगा है।
संभल की बावड़ी में मिला लाल पत्थर का फर्श : छह गेट और कमरे जैसा गलियारा, अब परत दर परत खुल रहा रहस्य
Dec 25, 2024 23:58
Dec 25, 2024 23:58
खुदाई से खुलता जा रहा है रहस्य
मोहल्ला लक्ष्मण गंज में 17 दिसंबर को मिली 150 साल पुरानी खंडहरनुमा बांकेबिहारी मंदिर के पास ही एक खाली प्लाट में बावड़ी के बारे में सनातन सेवक संघ के कार्यकर्ताओं ने दावा किया था। उन्होंने डीएम राजेंद्र पैंसिया से इस बावड़ी के बारे में जानकारी दी और इसे पुनः खोलने की अपील की थी। डीएम के आदेश पर, उस दिन से ही खोदाई का काम शुरू कर दिया गया था। हर दिन सुबह 10 बजे से शाम छह बजे तक इस बावड़ी की खुदाई की जा रही है। खुदाई के पांचवें दिन बुधवार को बावड़ी के ऊपरी हिस्से का फर्श साफ तौर पर दिखने लगा, जो लाल पत्थर से बना हुआ था। इसके अलावा, बावड़ी में छह गेट नकासी बने हुए हैं, जिनमें से पांच गेट साधारण हैं, जबकि एक गेट विशेष प्रकार की नकासी में है। इसके पीछे एक कमरे जैसे गलियारे की संरचना नजर आ रही है।
बावड़ी की संरचना और विस्तार
बावड़ी में खोदाई के दौरान एएसआई की टीम ने फर्श से मिट्टी हटवाकर उसकी जांच पड़ताल की। फर्श के नीचे लगभग साढ़े दस फीट ऊंचे लिंटर की संरचना भी साफ दिखाई दे रही है। बताया जाता है कि इस ऊपरी मंजिल के नीचे एक और मंजिल है, जो बावड़ी के प्रमुख भाग में स्थित है। इसके नीचे एक कुआं है, जिसके चारों ओर सीढ़ियां बनी हुई हैं। यह बावड़ी एक व्यापक और जटिल संरचना का हिस्सा प्रतीत हो रही है, जो सदियों पुरानी हो सकती है।
50 लोगों की टीम लगी है काम में
बावड़ी के रहस्य को उजागर करने के लिए नगर पालिका परिषद के पचास लोगों की टीम कार्यरत है। इस कार्य में जल निगम के जेई अनुज कुमार भी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि बावड़ी का अस्तित्व सामने लाने के लिए पालिका के दो सेनेटरी इंस्पेक्टर, एक रेवन्यू इंस्पेक्टर, एक जेई और 30 मजदूरों की टीम काम कर रही है। इस कार्य को सुचारू रूप से चलाने के लिए एक जेसीबी और तीन ट्रैक्टर-ट्रॉलियां भी लगाई गई हैं।
खुदाई में मिली दीवारें और और जानकारी
खुदाई में अब तक बावड़ी की दीवारें स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगी हैं, जो इस बावड़ी की ऐतिहासिक महत्व को दर्शाती हैं। बांकेबिहारी मंदिर के पास यह बावड़ी शायद किसी समय एक प्रमुख जल स्रोत के रूप में कार्य करती थी। सभी टीमों के प्रयासों से यह बावड़ी अब पूरी तरह से अस्तित्व में आ रही है और इसके ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए इसे पुनः संरक्षित करने की योजना बनाई जा रही है। आगामी दिनों में इसकी पूरी संरचना को उजागर किया जाएगा, जिससे इस प्राचीन स्थल के रहस्यों का पता चल सकेगा।
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