उत्तर प्रदेश के संभल जिले के चंदौसी इलाके के लक्ष्मणगंज मोहल्ले में प्राचीन बावड़ी में पाए गए कुएं के हिस्से से निकलने वाली गैस को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। जांच में पता चला कि यह गैस जहरीली नहीं है...
संभल की बावड़ी में जहरीली गैस मामले में खुलासा : प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने की जांच, धुआं निकलने से बंद हुई थी खुदाई
Jan 07, 2025 22:15
Jan 07, 2025 22:15
डीएम ने पत्रकार वार्ता के दौरान दी जानकारी
जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र पेंसिया ने मंगलवार को पत्रकार वार्ता के दौरान बताया कि उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम ने बावड़ी का निरीक्षण किया है। यह बावड़ी करीब 150 साल पुरानी है और लगभग 400 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैली हुई है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के निर्देश पर बावड़ी का सर्वे और खुदाई कार्य बीते 15 दिनों से जारी था। बावड़ी में ऐतिहासिक महत्व के अवशेष मिलने की उम्मीद के चलते यह कार्य किया जा रहा था। बीते सप्ताह बावड़ी से गैस का रिसाव शुरू होने के कारण खुदाई कार्य को तुरंत रोक दिया गया।
'कुएं से निकलने वाली गैस हानिकारक नहीं है'
जिलाधिकारी ने बताया कि सोमवार को प्राचीन बावड़ी का निरीक्षण करने के बाद उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम ने यह जानकारी दी कि कुएं से निकलने वाली गैस प्रथम दृष्टया हानिकारक नहीं है। टीम ने विशेष उपकरणों की मदद से हवा की गुणवत्ता का भी परीक्षण किया।
ASI ने बंद करवा दिया था काम
चंदौसी इलाके में स्थित प्राचीन रानी की बावड़ी की खुदाई लगभग 24 से 25 फीट तक की जा चुकी थी। खुदाई कर रहे मजदूरों ने बताया कि बावड़ी का दूसरा तल बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुका है और अंदर से एक अज्ञात गैस का रिसाव हो रहा है। मजदूरों का कहना था कि गैस की गंध से उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। इस स्थिति की सूचना पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) को दी गई, जिसके बाद सुरक्षा कारणों से बावड़ी की खुदाई का कार्य तत्काल रोक दिया गया। लगभग दो से तीन दिनों तक खोदाई रोके जाने के बाद सोमवार को उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम ने पहुंचकर जहरीली गैस का परीक्षण किया।
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